आज इस आर्टिकल में हम आपको कल्पना दत्त की जीवनी – Kalpana Dutt Biography Hindi के बारे में बताएगे।
कल्पना दत्त की जीवनी – Kalpana Dutt Biography Hindi
Kalpana Dutt स्वतन्त्रता आंदोलन की महान क्रांतिकारी थी।
वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्यसेन की इंडियन रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ी।
1930 में इस दल ने चटगांव शास्त्रागार लूटा अंग्रेज़ो की नजर में आने पर पढ़ाई छोड़कर चटगांव आना पड़ा।
इसके बाद 1933 में गिरफ्तार हो गई। 1934 में उन्हे कारावास की सजा सुनाई गई।
1979 में उन्हे वीर महिला की उपाधि दी गई।
2010 में आशुतोष गूवारिकर ने उनके जीवन पर आधरित फिल्म ‘खेलें हम जी जान से, बनाई थी।
जन्म
कल्पना दत्त का जन्म 27 जुलाई 1913 को बांगलादेश में हुआ था।
1943 में उनका कम्युनिस्ट नेता पूरन चंद जोशी से विवाह हो गया और वह कल्पना जोशी बन गईं।
शिक्षा – कल्पना दत्त की जीवनी
कल्पना ने शुरुआती पढ़ाई चटगांव से की। इसके बाद 1929 में वह कलकत्ता चली गई। यहाँ उन्होंने बीएससी में दाखिला लिया और क्रांतिकारियों की कहानियाँ पढने लगी। इन कहानियों ने उन पर गहरा प्रभाव डाला। वह छात्र संघ से जुड़ गई और खुद भी क्रांतिकारी कामों में रूचि लेने लगी।
स्वतन्त्रता आंदोलन में भूमिका और जेल यात्रा
Kalpana Datta प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्यसेन की इंडियन रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ी। सूर्यसेन को मास्टर दा के नाम से भी जाना जाता हैं। उनके संगठन ‘इन्डियन रिपब्लिकन आर्मी’ से जुड़कर उन्होंने अंग्रेजो की खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
1930 में इस दल ने चटगांव शास्त्रागार लूटा अंग्रेज़ो की नजर में आने पर पढ़ाई छोड़कर चटगांव आना पड़ा। तो उन्हें पढ़ाई छोड़कर चटगाँव आना पड़ा। वह वहीँ से इस दल के चुपचाप संपर्क में रही। उनके साथ के कई क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए।
Kalpana Datta वेष बदलकर कलकत्ता से विस्फोटक सामग्री ले जाने लगीं और संगठन के लोगो को हथियार पहुंचाने लगी। उन्होंने साथियों को आजाद कराने का प्लान बनाया और जेल की अदालत की दीवार को बम से उड़ाने की योजना बनाई, लेकिन पुलिस को योजना का पता चल गया।
वह वेष बदलकर घुमती फिर रही थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, हालांकि अभियोग सिद्ध ना होने पर उन्हें छोड़ दिया गया, पुलिस ने उनके घर पर पहरा लगा दिया, लेकिन वह आंखों में धुल झोंककर भाग गई। सूर्यसेन को पुलिस ने गिरफ्तार लिया और 1933 में कल्पना भी गिरफ्तार हो गई। क्रांतिकारियों पर मुकदमा चला और 1934 में सूर्यसेन को फांसी और कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सजा हो गई।
रिहाई
फरवरी 1934 में 21 वर्ष की कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सज़ा हुई, लेकिन 1937 में जब पहली बार प्रदेशों में भारतीय मंत्रिमंडल बने, तब महात्मा गांधी जी, रवीन्द्र नाथ टैगोर आदि के विशेष प्रयत्नों से कल्पना जेल से बाहर आ सकीं।
सम्मान
सितम्बर 1979 में कल्पना दत्त को पुणे में ‘वीर महिला’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
कल्पना दत्त की मृत्यु 8 फरवरी 1995 को कलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुई।
फिल्म – कल्पना दत्त की जीवनी
2010 में आशुतोष गूवारिकर ने उनके जीवन पर आधरित फिल्म ‘खेलें हम जी जान से, बनाई थी।
इसे भी पढ़े – मोहम्मद उस्मान की जीवनी – Mohammad Usman Biography Hindi