Kamal Amrohi मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक थे। युवा अवस्था में उन्होने उर्दू कहानियाँ लिखनी शुरू की। 16 साल की उम्र में भागकर लाहौर पहुंचे। केएल सहगल के कहने पर मुंबई गए। 1949 में फिल्म महल का निर्देशन किया। 1956 में दायरा और 1974 में काफी उतार चढ़ाव के बाद पाकीजा रिलीज हुई। उन्होने कमालिस्तान स्टूडियो की भी स्थापना की। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको कमाल अमरोही की जीवनी – Kamal Amrohi Biography Hindi के बारे में बताएगे।
कमाल अमरोही की जीवनी – Kamal Amrohi Biography Hindi
जन्म
Kamal Amrohi का जन्म 17 जनवरी 1918 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत के अमरोहा में हुआ था। उनका पूरा नाम सैयद आमिर हैदर कमाल नकवी था।
कमाल अमरोही ने तीन शादियां कीं। उनकी पहली बीवी का नाम ‘बानो’ था, जो नर्गिस की माँ जद्दनबाई की नौकरानी थी। बानो की अस्थमा से मौत होने के बाद उन्होंने ‘महमूदी’ से निकाह किया। Kamal Amrohi ने तीसरी शादी अभिनेत्री मीना कुमारी से की जो उनसे उम्र में लगभग पंद्रह साल छोटी थीं। दोनों की मुलाकात एक फ़िल्म के सेट पर हुई थी और उनके बीच प्यार हो गया। उस समय कमाल अमरोही 34 साल के थे जबकि मीना कुमारी की उम्र 19 साल थी। 1952 में दोनों ने विवाह कर लिया लेकिन यह संबंध ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया और उनका अलग हो गए। मीना कुमारी के प्रति Kamal Amrohi का प्रेम शायद आखिर तक बरकरार रहा तभी तो उन्हें मौत के बाद क़ब्रिस्तान में मीना कुमारी की क़ब्र के बगल में दफनाया गया।
करियर
कमाल अमरोही के लिए लाहौर उनके जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ। वहाँ उन्होंने ‘प्राच्य भाषाओं’ में मास्टर की डिग्री हासिल की और फिर एक उर्दू समाचार पत्र में मात्र 18 वर्ष की आयु में ही नियमित रूप से स्तम्भ लिखने लगे। उनकी प्रतिभा का सम्मान करते हुए अख़बार के सम्पादक ने उनका वेतन बढाकर 300 रुपए मासिक कर दिया, जो उस समय क़ाफी बड़ी रकम थी।
अख़बार में कुछ समय तक काम करने के बाद वह कलकत्ता चले गए और फिर वहाँ से मुम्बई आ गए। लाहौर में उनकी मुलाक़ात प्रसिद्ध गायक, अभिनेता कुन्दनलाल सहगल से हुई थी, जो उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें फ़िल्मों में काम करने के लिए ‘मिनर्वा मूवीटोन’ के मालिक निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी के पास ले गये। इसी समय उनकी एक लघु कथा ‘सपनों का महल’ से निर्माता-निर्देशक और कहानीकार ‘ख़्वाजा अहमद अब्बास’ प्रभावित हुए।
कमालिस्तान स्टूडियो की स्थापना
महल फ़िल्म की कामयाबी के बाद कमाल अमरोही ने 1953 में ‘कमाल पिक्चर्स’ और 1958 में कमालिस्तान स्टूडियो की स्थापना की। कमाल पिक्चर्स के बैनर तले उन्होंने अभिनेत्री पत्नी मीना कुमारी को लेकर ‘दायरा’ फ़िल्म का निर्माण किया लेकिन भारत की कला फ़िल्मों में मानी जाने वाली यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई। इसी दौरान निर्माता-निर्देशक के.आसिफ अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म मुग़ल-ए-आजम के निर्माण में व्यस्त थे। इस फ़िल्म के लिए वजाहत मिर्जा संवाद लिख रहे थे लेकिन आसिफ को लगा कि एक ऐसे संवाद लेखक की ज़रूरत है जिसके लिखे डायलॉग दर्शकों के दिमाग से बरसों बरस नहीं निकल पाएं और इसके लिए उन्हें कमाल अमरोही से ज्यादा उपयुक्त व्यक्ति कोई नहीं लगा। उन्होंने उन्हें अपने चार संवाद लेखकों में शामिल कर लिया। उनके उर्दू भाषा में लिखे डायलॉग इतने मशहूर हुए कि उस दौरान प्रेमी और प्रेमिकाएं प्रेमपत्रों में मुग़ले आजम के संवादों के माध्यम से अपनी मोहब्बत का इजहार करने लगे थे। इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का फ़िल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। उनकी हिंदी फिल्मों में महल (1949), पकीजाह (1972) और रजिया सुल्तान (1983) शामिल हैं।
फिल्में
क्रमांक | सन | फ़िल्म | कार्य |
---|---|---|---|
1. | 1938 | जेलर | कहानी |
2. | 1939 | पुकार | लेखन |
3. | 1940 | मैं हारी | संवाद |
4. | 1940 | भरोसा | |
5. | 1943 | मज़ाक | संवाद |
6. | 1945 | फूल | संवाद |
7. | 1946 | शाहजहाँ | |
8. | 1949 | महल | निर्देशन |
9. | 1953 | दायरा | लेखन, निर्देशन |
10. | 1960 | मुग़ले आजम | संवाद |
11. | 1972 | पाकीज़ा | लेखन, निर्देशन |
12. | 1977 | शंकर हुसैन | संवाद |
13. | 1979 | मजनूं | निर्देशन |
14. | 1983 | रज़िया सुल्तान | लेखन, निर्देशन |
मृत्यु
Kamal Amrohi की मृत्यु 11 फरवरी 1993 को हुई थी।