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कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी – Kamladevi Chattopadhyay Biography

आज इस आर्टिकल में हम आपको कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी – Kamladevi Chattopadhyay Biography Hindi के बारे में बताएगे।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी – Kamladevi Chattopadhyay Biography Hindi

कमलादेवी चट्टोपाध्याय समाजसुधारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा भारतीय हस्तकला के क्षेत्र में नवजागरण लाने वाली गांधीवादी महिला थी।

कमला देवी ने ‘ऑल इंडिया वीमेन्स कांफ्रेंस’ की स्थापना की।

समाज सेवा के लिए भारत सरकर ने उन्हें नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से 1955 में सम्मानित किया।

जन्म

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल, 1903 को मंगलोर, कर्नाटक में हुआ था।

उनके पिता का नाम अनंथाया धारेश्वर तथा उनकी माता का नाम गिरिजाबाई था।

उनके पिता मंगलोर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर थे। जब वे 7 साल की थी  तो उनके पिता का स्वर्गवास हो गया।

शिक्षा

उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मंगलोर से प्राप्त की तथा इसके बाद में लन्दन के अर्थशास्त्र स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। उनकी शादी छोटी उम्र में कृष्णा राव से कर दी गई तथा स्कूली शिक्षा के दौरान विधवा हो गयी थी। इसके बाद में उन्होंने 1919 में ही सरोजिनी नायडू के छोटे भाई हरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय के साथ पुन: विवाह के बंधन में बंध गईं. हालांकि जात-पात में विश्वास रखने वाले उनके रिश्तेदारों ने इसका घोर विरोध किया ।

कमलादेवी ने अपनी पति के साथ व्यापक रूप से यात्राएं की।

वे एक सामाजिक कार्यकर्ता और कला और साहित्य की समर्थक थी।

उनके बेटे का नाम रामकृष्ण चट्टोपाध्याय था।

योगदान – कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी

महिला आन्दोलन में योगदान

प्रकृति की दीवानी कमला देवी ने ‘ऑल इंडिया वीमेन्स कांफ्रेंस’ की स्थापना की।

ये बहुत दिलेर थीं और पहली ऐसी भारतीय महिला थीं, जिन्होंने 1920 के दशक में खुले राजनीतिक चुनाव में खड़े होने का साहस जुटाया था, वह भी ऐसे समय में जब बहुसंख्यक भारतीय महिलाओं को आजादी शब्द का अर्थ भी नहीं मालूम था।

ये गांधी जी के ‘नमक आंदोलन’ (वर्ष 1930) और ‘असहयोग आंदोलन’ में हिस्सा लेने वाली महिलाओं में से एक थीं।

नमक कानून तोड़ने के मामले में बांबे प्रेसीडेंसी में गिरफ्तार होने वाली वे पहली महिला थीं।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे चार बार जेल गईं और पांच साल तक जेल में रहीं।

देश के प्रमुख सांस्कृतिक और आर्थिक संस्थनों की स्थापना में योगदान

भारत में आज अनेक प्रमुख सांस्कृतिक संस्थान इनकी दूरदृष्टि और पक्के इरादे के परिणाम हैं. जिनमें प्रमुख हैं- नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, संगीत नाटक अकेडमी, सेन्ट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम और क्राफ्ट कौंसिल ऑफ इंडिया।

इन्होंने हस्तशिल्प और को-ओपरेटिव आंदोलनों को बढ़ावा देकर भारतीय जनता को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने में अपना योगदान दिया। हालांकि इन कार्यों को करते समय इन्हें आजादी से पहले और बाद में सरकार से भी संघर्ष करना पड़ा।

हस्तशिल्प तथा हथकरघा कला को विकसित करने में योगदान

कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने देश के विभिन्न हिस्सों में बिखरी समृद्ध हस्तशिल्प तथा हथकरघा कलाओं की खोज की दिशा में अद्भुत एवं सराहनीय कार्य किया। कमला चट्टोपाध्याय पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने हथकरघा और हस्तशिल्प को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

आजादी के बाद इन्हें वर्ष 1952 में ‘आल इंडिया हेंडीक्राफ्ट’ का प्रमुख नियुक्त किया गया। ग्रामीण इलाकों में उन्होंने घूम-घूम कर एक पारखी की तरह हस्तशिल्प और हथकरघा कलाओं का संग्रह किया।

उन्होंने देश के बुनकरों के लिए जिस शिद्दत के साथ काम किया, उसका असर यह था कि जब ये गांवों में जाती थीं, तो हस्तशिल्पी, बुनकर, जुलाहे, सुनार अपने सिर से पगड़ी उतार कर इनके कदमों में रख देते थे। इसी समुदाय ने इनके अथक और निःस्वार्थ मां के समान सेवा की भावना से प्रेरित होकर इनको ‘हथकरघा मां’ का नाम दिया था।

पुस्तकें

पुरस्कार – कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी

मृत्यु

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का 29 अक्टूबर 1988 को उनकी मृत्यु हो गई।

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