Karpoori Thakur बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक के नाम से मशहूर समाजवादी नेता थे। वे पढ़ाई छोड़कर भारत छोड़ो आंदोलन में कूदे। उन्होने 26 महीने जेल में बिताए। उन्होने स्वतंत्रता के बाद अपने गाँव में शिक्षक के रूप में काम किया। 1952 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने। वे उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए इन्होनें पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।[5] उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं। वे दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और जून 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उन्होने बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगाया था। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको कर्पूरी ठाकुर की जीवनी – Karpoori Thakur Biography Hindi के बारे में बताएगे।
कर्पूरी ठाकुर की जीवनी – Karpoori Thakur Biography Hindi

जन्म
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर के पितौझिया (जिसे अब कर्पूरीग्राम) गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे। ये जब पहली बार उपमुख्यमंत्री बने तो अपने बेटे रामनाथ को पत्र लिखना नहीं भूले। इस पत्र में लिखा होता था, इसके बारे में रामनाथ कहते हैं, “पत्र में तीन ही बातें लिखी होती थीं- तुम इससे प्रभावित नहीं होना। कोई लोभ लालच देगा, तो उस लोभ में मत आना। मेरी बदनामी होगी।” रामनाथ ठाकुर इन दिनों भले राजनीति में हों और पिता के नाम का लाभ भी उन्हें मिला हो, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में उन्हें राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाने का काम नहीं किया।
शिक्षा
उन्होंने 1940 में मैट्रिक की परीक्षा पटना विश्वविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में पास की। उन्होने स्वतंत्रता के बाद अपने गाँव में शिक्षक के रूप में काम किया।
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करियर
भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होने 26 महीने जेल में बिताए। वे 1952 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। वे उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रहे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।
मृत्यु
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु 64 साल की उम्र में 17 फरवरी 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
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Naai bihaar me thakur kyo likhate h