किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी है. एक सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व और भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी और एक राजनेता है। 29 मई 2016 से वे पांडुचेरी की उपराज्यपाल बनी। उन्होंने कई पदों पर कार्य किया है और वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस में स्पेशल आयुक्त के पद पर कार्य कर चुकी हैं। आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको किरण बेदी की जीवनी – Kiran Bedi Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
किरण बेदी की जीवनी – Kiran Bedi Biography Hindi
जन्म
किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 में अमृतसर, पंजाब (भारत) में हुआ था। उनके के पिता का नाम का नाम प्रकाश लाल पेशावरिया और माता का नाम प्रेमलता है। अमृतसर के एक छोटे से परिवार में जन्मी चार बेटियों ने आगे चलकर अपने माता पिता का नाम रोशन किया। जिनमें से प्रकाश लाल पेशावरिया की दूसरी बेटी किरण बेदी है। उनके माता-पिता ने उनकी परवरिश इस प्रकार की पुरुष प्रधान समाज में रहते हुए, वे स्वाभिमान और मस्ती के साथ जी सके। उन्होंने अपनी बेटियों को आत्मसम्मान और अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया वही किरण बेदी और उनकी बहनो लिए असली संपत्ति बनी।
शिक्षा
किरण बेदी बचपन से ही हमने जिंदगी को बचपन से ही अपनी जिंदगी को एक अलग नजरिए से जीना चाहते थे। उनके मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा था । इसलिए उन्होंने एक अलग ही राह चुनी। किरण बेदी को बचपन से टेनिस खेलना बहुत पसंद था और वे टेनिस के खिलाड़ी है। किरण बेदी ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियन की विजेता भी रही। किरण बेदी और उनकी बहनों को पेशावर बहनों के नाम से जाना था
किरण बेदी नहीं अपनी शुरू की शिक्षा अमृतसर के सीक्रेट हर्ट कान्वेंट स्कूल से की. वहां पर उन्होंने नेशनल क्रेडिट कोर्स में भर्ती हुई। 1964-68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स में बी. ए. और 1968-70 राजनीतिक शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की इस महीने पहले स्थान पर आई।
विवाह
1972 में मैं उनके शादी श्री ब्रिज बेदी से हुई। उनकी बेटी का नाम साइना है। उसी साल वे भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती हुई। किरण बेदी को भारतीय पुलिस सेवा में आईपीएस के पद के लिए चुना गया था और इसके साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी ।1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय कानून में स्नातक की उपाधि। किरण बेदी ने राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान ,नई दिल्ली से ,1993 में सामाजिक विज्ञान में नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा जैसे विषयों पर उनके शोध पर पीएचडी की डिग्री हासिल की।
पहली महिला अधिकारी
किरण बेदी आईपीएस के पद पर आने वाली देश की पहली महिला अधिकारी है। किरण बेदी पहली भारतीय महिला है जिन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य कर के गौरव हासिल किया। किरण बेदी के द्वारा किए गए पदों पर कार्य उनके नाम इस प्रकार हैं-
- यातायात दिल्ली ट्रेफिक पुलिस प्रमुख
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
- डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, मिजोरम
- इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न,तिहाड़
- स्पेशल सेक्रेट्री टो लेफ्टिनेंट गवर्नर ,दिल्ली
- इस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस चंडीगढ़
- ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग
- कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेंस
- यूएएन सिविलियन पुलिस एडवाइजर
- महानिदेशक होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा
- महानिदेशक पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो
विवाद
1994 में किरण बेदी को तिहाड़ जेल के कारागार महानिदेशक और फिर भारत के उत्तम न्यायालय द्वारा उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की शुरुआत एक विचाराधीन कैदी विदेशी चिकत्सक ध्यान प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करने के लिए निकाला गया था। 1988 में आयोग के कार्यालय के बाहर एक सहयोगी के गिरफ्तारी के विरोध के अनुसार में भूमिका के लिए बेदी की आलोचना की गई
सरहनीय कार्य
अपने कार्यकाल के दौरान और कार्यकाल के बाद हुई किरण बेदी ने कई सराहनीय कार्य किए हैं। जिनके कारण उन्हें प्रसिद्धि मिली। दिल्ली पुलिस आयुक्तके अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने तलवारे लहराती हुई भीड़ का अकेले ही सामना करके लोगों को यह संदेश दे दिया था कि किसी ईमानदार अधिकारी को भीड़ और कुंडा तंत्र के दम पर नहीं डराया जा सकता।
भारत की सबसे बड़ी जेल दिल्ली में जितेंद्र तिहाड़ जेल में तैनाती के समय सुधारात्मक कदम उठाते हुए किरण बेदी ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली थी। जब किरण बेदी को तिहाड़ जेल का महान रख कर बनाया गया तो उन्होंने कैदियों के प्रति ‘सुधारात्मक रवैया’ अपनाते हुए उन्हें योग, ध्यान, शिक्षा, संस्कारों की शिक्षा देते हुए उनकी जिंदगी में सुधार लाने की एक एक नई पहल की थी। यह उनका बहुत कठिन लक्ष्य था, लेकिन अपने दृढ़ निश्चय के कारण किरण बेदी ने जेल का नक्शा ही बदल कर उसे ‘तिहाड़ आश्रम’ बना दिया।
तीखे तेवरों वाली महिला किरण बेदी जब नई दिल्ली की ट्रैफिक कमिश्नर बनी तो उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को भी नहीं बख्शा। किरण बेदी ने कानूनों को सभी नागरिकों के लिए एक मानते हुए अपने कर्तव्य को निभाते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के गाड़ी को भी क्रेन से उठवा दिया। जिसके कारण लोगों उन्हें किरण बेदी की जगह ‘क्रेन बेदी’ कहना शुरू कर दिया
सम्मान
किरण बेदी ने ‘लोग क्या कहेंगे’ इस की परवाह न करते हुए अपने लक्ष्य पर अडिग रहें। उन्होंने इमानदारी और कर्तव्य परायणता के कारण देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कामों की एक ऐसे ख्याति बना ली थी, कि उन्हें दुनिया के संगठन में पुरस्कृत कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस किया। किरण बेदी को उनके द्वारा की गई सेवाओं के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया इस प्रकार है-
- प्रेसिडेंट गैलेटी अवॉर्ड (1979)
- इटली का वूमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड (1980)
- नार्व के संगठन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन गुड टेंपलर्स ड्रग प्रिवेशन एवं कंट्रोल के लिए दिया गया जाने वाला एशिया रीजन अवार्ड (1991)
- महिला शिरोमणि अवार्ड(1995)
- फादर मैचिस्मों ह्यूमेटेरियन अवार्ड (1995)
- प्राइड ऑफ इंडिया (1999)
- मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल अवॉर्ड (2005)
- अमेरिकी मॉरीशन-टॉम निटकॉक अवॉर्ड (2001)
- जर्मन फाउंडेशन का जोसफ ब्यूज अवॉर्ड आदि प्रमुख है
- इन सब के अलावा किरण बेदी को सराहनीय सेवा के लिए 1994 में एशिया का ‘नोबेल पुरस्कार’ कहा जाने वाला ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ से नवाजा गया
- 2005 में किरण बेदी को ‘डॉक्टर आफ लॉ’ की उपाधि से नवाजा गया।
26 दिसंबर 2007 को उन्होंने अपने पुलिस सेवा से सेवानिवृत्ति ले ली।
किरण बेदी ने 1987 में नवज्योति तथा 1994 इंडिया विजन फाउंडेशन नामक संस्थानों की शुरुआत की। इनके माध्यम से उन्होंने नशा खोरी अंकुश लगाने तथा गरीब व जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने जैसे काम शुरू किए।