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कृष्णा सोबती की जीवनी – Krishna Sobti Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको कृष्णा सोबती की जीवनी – Krishna Sobti Biography Hindi के बारे में बताएगे।

कृष्णा सोबती की जीवनी – Krishna Sobti Biography Hindi

कृष्णा सोबती मुख्य रूप से हिन्दी की आख्यायिका (फिक्शन) लेखिका थे।

उन्हें 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा 1996 में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया था।

अपनी बेलाग कथात्मक अभिव्यक्ति और सौष्ठवपूर्ण रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं।

कृष्णा सोबती ने हिंदी की कथा भाषा कोअसाधारण सी ताज़गी़ दी है।

उनके भाषा संस्कार के घनत्व, जीवन्त शिष्टता और परामर्श ने हमारे समय के कई पेचीदा सच को उजागर किया हैं।

जन्म

कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात में हुआ था।

भारत के विभाजन के बाद गुजरात का वह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया है।

विभाजन के बाद वे दिल्ली में आकर रहने लगी और तब से यहीं रहकर साहित्य-सेवा दे रही थी ।

2017 में इन्हें भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।

ये मुख्यतः कहानी लेखिका हैं। इनकी कहानियाँ ‘बादलों के घेरे’ नामक संग्रह में संकलित हैं।

इन कहानियों के अलावा उन्होंने आख्यायिका (फिक्शन) की एक विशिष्ट शैली के रूप में विशेष प्रकार की लंबी कहानियों का सृजन किया है जो औपन्यासिक प्रभाव उत्पन्न करती हैं।

ऐ लड़की, डार से बिछुड़ी, यारों के यार, तिन पहाड़ जैसी कथाकृतियाँ अपने इस विशिष्ट आकार प्रकार के कारण उपन्यास के रूप में प्रकाशित भी हैं।

प्रकाशित कृतियाँ – कृष्णा सोबती की जीवनी

कहानी संग्रह-

उपन्यासिका –

उपन्यास-

विचार-संवाद-संस्मरण

 

हम हशमत (तीन भागों में)सोबती एक सोहबतशब्दों के आलोक में
सोबती वैद संवादमुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में -2017 मेंलेखक का जनतंत्र -2018 में
मार्फ़त दिल्ली -2018 में

यात्रा-आख्यान-

पुरस्कार – कृष्णा सोबती की जीवनी

मृत्यु – कृष्णा सोबती की जीवनी

25 जनवरी 2019 को कृष्णा सोबती की मृत्यु हुई थी।

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