आज इस आर्टिकल में हम आपको कृष्णानंद स्वामी की जीवनी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे है. कृष्णानंद स्वामी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होने 1921-1922 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ का हिस्सा लिया था।
वे 1952 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको कृष्णानंद स्वामी के जीवन के बारे में बताएगे।

कृष्णानंद स्वामी की जीवनी
जन्म
कृष्णानंद स्वामी का जन्म खनाकागली गांव, मंडी जिले में हुआ था।
योगदान
कृष्णानंद स्वामी जी ने उन्होंने 921-1922 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ का हिस्सा लिया था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया। 1952 में वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे ।
इन्होनें विज्ञान, साहित्य एवं क़ानून में उच्च शिक्षा ग्रहण कर, आपने हिमालय के गोमुख, तपोवन, बद्रीनाथ, अलकापुरी, कामाख्या आदि स्थानों में रहकर गहनतम साधनाएं, घोर तप एवं आध्यात्मिक शोध और अनुसन्धान किया । इन्होनें एक समाज सेवा शुरू की जिसका नाम ‘सद्विप्र समाज सेवा’ है.
इनका कहना था साधना करते-करते एक स्थिति आती है करते कर्म करहुं विधि नाना, मन राखहुं जहां कृपा निधाना। जो कहते हो मन को अलग कैसे करें? तो जब साधना करते-करते आपके अंदर जहां कृपानिधान है, परमपुरुष है, परमात्मा है, ज्योतिर्लिंग है वहां आपका मन हर समय टिका रहता है तो वह मन पुल बन जाता है शरीर और आत्मा के बीच में अब तुम आराम से जा रहे हो आ रहे हो। काम करते रहते हो तो मस्ती में रहते हो। उसी को कबीर साहब कहते हैंगृह बन खण्ड एक करि जानो भाव मिटावो दूजा ।