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लीलधर जगुड़ी की जीवनी – Leeladhar Jagodi Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको लीलधर जगुड़ी की जीवनी – Leeladhar Jagodi Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

लीलधर जगुड़ी की जीवनी – Leeladhar Jagodi Biography Hindi

लीलधर जगुड़ी की जीवनी

लीलाधर जगूड़ी हिंदी कवि और साहित्यकार है।

लीलाधर जगूड़ी की कविताएं आज के जीवन की व्यथा कथा के अनुभवों को स्पष्ट वाणी देती है।

उन्हे साहित्य अकादमी, व्यास सम्मान, और पद्मश्री के अलावा कई पुरस्कारों द्वारा नवाजा जा चुका है।

‘जितने लोग उतने प्रेम’ (काव्य संग्रह -2013) के लिए के० के० बिरला फाउण्डेशन द्वारा 2018 का 28 वाँ व्यास सम्मान  मिला। उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में कई कविता, गद्य व नाटक लिखे हैं, जिनमें प्रमुख उनकी कविता संग्रह ‘अनुभव के आकाश में चांद’ है। उनके कृति ‘अनुभव के आकाश में चांद’ को 1997 मे पुरस्कार प्राप्त हुआ।

उनकी कविताओं में अकथित और अज्ञात के भी अनुभव मिल जाते हैं।

हर बार कविता की एक नई प्रजाति को जन्म देने के आकांक्षी और आधुनिक संस्कारों के इस कवि ने छोटी -बड़ी कई कविताएं लिखी है जो ‘शंखमुखी शिखरों से’ संग्रह से लेकर ‘जितने लोग उतने प्रेम’ तक में शामिल है।

यहां उनके आर्थिक प्रेम और आत्मिक प्रेम दोनों का समन्वय दिखता है इसके अलावा बाजार में प्रेम का क्या हाल है यह कविताएं जीवन के अनुभव को सामने लाती है।

जन्म

लीलाधर जगूड़ी का जन्म 1 जुलाई 1940 को धंगड़, टिहरी-गढ़वाल जिला, उत्तराखंड में हुआ था।

वे फिलहाल देहरादून में रहते हैं।

शिक्षा – लीलधर जगुड़ी की जीवनी

लीलाधर जगूड़ी ने वाराणसी से बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है।

करियर

लीलाधर जगूड़ी जी ने शिक्षक की नौकरी की और उसके बाद उत्तर प्रदेश सूचना विभाग में अधिकारी रहे।

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प्रमुख कृतियाँ

उनकी कविताओं में अकथित और अज्ञात के भी अनुभव मिल जाते हैं।

हर बार कविता की एक नई प्रजाति को जन्म देने के आकांक्षी और आधुनिक संस्कारों के इस कवि ने छोटी -बड़ी कई कविताएं लिखी है जो ‘शंखमुखी शिखरों से’ संग्रह से लेकर ‘जितने लोग उतने प्रेम’ तक में शामिल है।

यहां उनके आर्थिक प्रेम और आत्मिक प्रेम दोनों का समन्वय दिखता है।

इसके अलावा बाजार में प्रेम का क्या हाल है। यह कविताएं जीवन के अनुभव को सामने लाती है। उनकी  प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार है –

कविता संग्रह

नाटक – लीलधर जगुड़ी की जीवनी

गद्य:

लीलाधर जगूड़ी की प्रतिनिधि कविताएँ

आँधीअपने से बाहरचट्टान पर चीड़एक बुढ़िया का इच्छा-गीत
मेरा ईश्वरपत्थर विमर्शअपने अन्दर से बाहर आ जाओदेव शिल्पी
असंत-वसंत के बहानेआज का दिनगिलहरी और गाय के बहानेजाति विहीन
नई दिशादेखने का बोलनारोज़ाना बदलता है बहुत कुछडर
भाषा में लोगमौसमउछाली हुई चीज़लापता पूरी स्त्री
प्रेमअध:पतनसीढ़ीसरल नदी
मरने का लौटनाजादूदु:ख की बातसुबह का फ़ोटो
जन्म-जन्मांतरों सेअँधेरा-उजाला-1अँधेरा-उजाला-2मुँह न मिलें
काम की ढूँढ़ मेंअपने-अपने युद्धइक्कीसवीं सदी का आम आदमी-1कला भी ज़रूरत है
जब मैं आया थाईश्वर का प्रश्न‍इक्कीसवीं सदी का आम आदमी-2अतिरिक्त ज़िम्मेदारी
कई बारकोई एक जीवित हैराजेश शर्मा की आत्महत्याएक दिन में करोड़ों बरस
खबरेंकोई नहीं जानतापहले एक चाँद जरूरी हैएक प्रतीकहीन कविता
गुंडा समयपाषाणकालीन भतीजालाखों साल पीछे: हजारों साल आगेचुल्लू की आत्मकथा
धन्यवादमहँगाई का अगीतसुबह का फोटछिपाने के‍ लिए कोई तारा
नरकवह शतरूपासिल्ला१ और चिल्ला२ गाँवतुम अब स्मृति हो
प्रेम व्यापारवि़द्या दोराजेश शर्मा की आत्महत्यातुम रोबो नहीं हो
मूस भेखड़ाविराट चिड़ियादिल्ली में हैं तो क्या हुआतितली की प्रतीक्षा
वैसी सुरक्षाहम नहीं

विचार – लीलधर जगुड़ी की जीवनी

पदमश्री, साहित्य अकादमी आदि कई सामानों से सम्मानित जगूड़ी कहते हैं कि ‘कविता की रचना प्रक्रिया गद्य की रचना प्रक्रिया से बहुत अलग होती है। कविता में सोचना ज्यादा पड़ता है, जबकि गद्य में लिखना।’ इसी संग्रह में वे कविता में लिखते हैं – मेरी आत्मा लोहार है/ रोज लोहा लेती है/ मेरी आत्मा धोबी है/ मन का मैल आंसुओं से धोती है।

सम्मान

लीलाधर जगूड़ी को हिंदी साहित्य के लिए कई पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें प्रमुख ये हैं:

जगूड़ी को व्यास सम्मान दिया जाना उस कवि को सम्मानित करना है, जिन्होने कविता में चिंतन की जड़े मजबूत करने में अपने छ्ह रचनात्मक दशक लगा दिए।

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