महंत नरेंद्र गिरि (English – Mahant Narendra Giri)अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे । 72 वर्षीय महंत जी का प्रयागराज के बाघंबरी मठ में 20 सितंबर को उनका निधन हो गया। फिलहाल मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। पुलिस ने कहा कि पांच पन्नों का एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है, जिसमें उसने अपने एक शिष्य आनंद गिरी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस महानिरीक्षक केपी सिंह के अनुसार, महंत गिरी का शव उनके शिष्यों ने छत से लटका पाया था। आईजीपी ने कहा कि पुलिस को मठ से शाम साढ़े पांच बजे फोन आया कि गिरि ने फांसी लगा ली है।
महंत नरेंद्र गिरि की जीवनी – Mahant Narendra Giri Biography Hindi

करियर
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत स्वामी नरेंद्र गिरी जी अपने बचपन से ही जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।
- मार्च 2015 में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। पूर्व अध्यक्ष ज्ञानदास के कार्यकाल के बाद उनकी ताजपोशी हुई थी।
- महंत नरेंद्र गिरी जी राम मंदिर आंदोलन से भी लंबे समय तक जुड़े रहे तथा राम मंदिर के आंदोलन को आगे बढ़ाने मे इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 2016 में श्रीमहंत नरेंद्र गिरी उज्जैन शहर गए थे तथा वहां के स्थानीय प्रशासन से बड़ी दबंगता से सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों की रक्षा करने के लिए कहा था और सभी अखाड़ों में नया निर्माण करवाकर संतो को नई सुविधा प्रदान करवाई थी।
- श्री महंत नरेंद्र गिरी प्रकृति से बहुत प्रेम करते थे। नरेंद्र गिरी जी ने नदियों के जल स्वच्छ बनाने के लिए बहुत से प्रयास किए। श्री महंत नरेंद्र गिरी जी चाहते थे कि उज्जैन की शिप्रा नदी में प्राकृतिक प्रवाह लौट आए जिससे शिप्रा नदी की स्वच्छता बनी रहे। श्री महंत नरेंद्र गिरि जी के सुझाव पर ही मध्यप्रदेश के वन विभाग ने शिप्रा नदी के किनारे पर पौधारोपण कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
- वर्ष 2016 के सिंहस्थ मेले के पहले नरेंद्र गिरि जी उज्जैन नगर के शहरकाजी खलीकुर्रहमान के घर भी गए थे और उन्हें सिंहस्थ मेले में आने का न्यौता भी दिया था।
- अक्टूबर 2019 में महंत नरेंद्र गिरी जी को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। मात्र 11 वर्ष की उम्र में ईश्वर से संदेश पाकर नरेंद्र गिरी जी धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़े।
- प्रयागराज के बाघंबरी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर की करोड़ों रुपये की संपत्ति है। दोनों जगहों से करोड़ों रुपये की आमदनी होती है। यही नहीं, मठ के पास प्रयागराज शहर के अलावा नोएडा में भी कई एकड़ जमीन है जिसकी कीमत अरबों में है।
13 अखाड़ों की काउंसिल है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
नरेंद्र गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे। 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। यह परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है। अध्यक्ष के तौर पर यह Mahant Narendra Giri का दूसरा कार्यकाल था। अखाड़ा परिषद ही एक तरह से महामंडलेश्वर और बाबाओं को सर्टिफिकेट दिया करती है। कहा जाता है कि देश के 13 अखाड़ों के जिम्मे एक तरह से सनातन हिंदू धर्म की रक्षा का भार है।
बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना की थी। तब बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ आदि की भी स्थापना की गई और उसी काल में युवा साधुओं के लिए मठ और अखाड़ों की स्थापना हुई। फिलहाल देश में कुल 13 अखाड़े हैं। ये सभी 13 अखाड़े तीन मतों में बंटे हुए हैं।
विवाद
महंत नरेंद्र गिरि का विवादों से पुराना नाता रहा है। साल 2012 में सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह के साथ उनका विवाद हुआ था। साल 2015 में ही उन्होंने सचिन दत्ता नाम के एक रियल स्टेट व्यवसायी को महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी थी। 17 नवंबर 2019 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की भी संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद कुछ लोगों ने महंत नरेंद्र गिरि पर भी सवाल उठाए थे।
2004 में मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनने के बाद नरेंद्र गिरि का सबसे पहला विवाद तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह के साथ हुआ था। यह विवाद भी जमीन से ही जुड़ा था। दरअसल, आरएन सिंह से जमीन बेचने के मामले में पैसों को लेकर कुछ विवाद हो गया था। इसके बाद डीआईजी ने मंदिर के सामने कई दिनों तक धरना दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था। उन्होंने आरएन सिंह को सस्पेंड कर दिया तब जाकर मामला शांत हुआ था।
शिष्य आनंद गिरि से विवाद
नरेंद्र गिरि का उनके शिष्य आनंद गिरि से विवाद खूब चर्चा में रहा था। आनंद गिरि ने उन पर मठ और हनुमान मंदिर से होने वाली करोड़ों रुपये की आमदनी में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। आनंद गिरि ने दो वीडियो जारी कर मंदिर के रुपयों के दुरुपयोग के आरोप लगाए थे। एक वीडियो में बार-बालाओं के साथ मठ और मंदिर से जुड़े लोग डांस कर रहे थे।
मामले ने खूब तूल पकड़ लिया था और यह महंत के लिए सम्मान की लड़ाई बन चुकी थी। उन्होंने आनंद को आश्रम से निष्कासित कर दिया था। हालांकि अखाड़ों के हस्तक्षेप के बाद आनंद गिरि ने उनके पैरों में गिर कर माफी मांगी थी। काफी कुछ होने के बावजूद दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं हो पाया था। अब उत्तराखंड पुलिस ने आनंद गिरि को गिरफ्तार किया है। हालांकि आनंद का कहना है कि साजिश के तहत उन्हें फंसाया जा रहा है।
कौन हैं आनंद गिरी?
आनंद गिरि को स्वामी आनंद गिरि के नाम से भी जाना जाता है। आनंद गिरी की उम्र 40 साल है। आनंद गिरी ने कहा है कि 12 साल की उम्र में उन्हें ईश्वर का संदेश मिला और वे आध्यात्मिक पथ पर चल पड़े। कहा जाता है कि आनंद गिरि की मुलाकात महंत नरेंद्र गिरि से हरिद्वार के एक आश्रम में हुई थी। नरेंद्र गिरि को लगा कि आनंद उनके अच्छे शिष्य बन सकते हैं, इसलिए वे उन्हें अपने साथ प्रयागराज ले आए। आनंद गिरी 2007 में निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए और अब इस अखाड़े में महंत हैं। इसके अलावा आनंद गिरि विश्व प्रसिद्ध लेटे हनुमान मंदिर के उप महंत हैं। मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले 40 वर्षीय स्वामी आनंद गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य हैं। वह देश-विदेश में योग सिखाने का काम करते हैं।
मृत्यु
बताया जा रहा है, कि 20 सितंबर 2021 सोमवार के दिन प्रयागराज के बाघंबरी मठ में महंत नरेंद्र गिरी की लाश एक पंखे से लटकी हुई थी और उनका सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है और सुसाइड नोट बरामद करने के बाद उनके शिष्य आनंद गिरी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महंत के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा,
“अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेंद्र गिरि जी का निधन अत्यंत दुखद है।
उन्होंने आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति समर्पित रहते हुए संत समाज की कई धाराओं को आपस में जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। प्रभु उन्हें आपके चरणों में रखें। शांति!!”
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शोक व्यक्त किया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पूज्य संत महंत नरेंद्र गिरि जी महाराज के जाने की दुखद सूचना प्राप्त हुई।
सनातन धर्म के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य स्वामी जी का समाज के कल्याण में दिया गया योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। भगवान उनकी आत्मा को उनके चरणों में स्थान दें, ”उन्होंने ट्वीट किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने शोक संदेश में कहा,
“अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी का निधन,
आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। भगवान श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।