मनोहर श्याम जोशी (English – Manohar Shyam Joshi) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, फ़िल्म पट-कथा लेखक, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक थे।
उन्हे 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
मनोहर श्याम जोशी की जीवनी – Manohar Shyam Joshi Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | मनोहर श्याम जोशी |
पूरा नाम | मनोहर श्याम जोशी |
जन्म | 9 अगस्त 1933 |
जन्म स्थान | अजमेर, राजस्थान |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | 30 मार्च, 2006 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
जन्म
Manohar Shyam Joshi का जन्म 9 अगस्त 1933 को अजमेर, राजस्थान में हुआ था।
शिक्षा
मनोहर श्याम जोशी ने स्नातक की शिक्षा विज्ञान में लखनऊ विश्वविद्यालय से की। परिवार में पीढ़ी दर पीढी शास्त्र-साधना एवं पठन-पाठन व विद्या-ग्रहण का क्रम पहले से चला आ रहा था, अतः विद्याध्ययन तथा संचार-साधनों के प्रति जिज्ञासु भाव उन्हें बचपन से ही संस्कार रूप में प्राप्त हुआ, जो कालान्तर में उनकी आजीविका एवं उनके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास का आधार बना।
करियर
मनोहर श्याम जोशी को साहित्य और पत्रकारिता की बहुमुखी प्रतिभा का धनी माना जाता है। उन दिनों टेलीविजन धारावाहिकों में उनकी लिखी पटकथाएं लोकप्रियता शीर्ष पायदान पर रहीं। उसी तरह कुमाउंनी हो या अवधी, उनकी रचनाओं में भाषा के भी अलग-अलग मिजाज मिलते हैं। साथ ही बंबइया और उर्दू की भी मुहावरेदारी और ‘प्रभु तुम कैसे किस्सागो’ में कन्नड़ के शब्दों की बहुतायत। मनोहर श्याम जोशी जिन दिनो मुंबई में फ्रीलांसिंग कर रहे थे तो ‘धर्मयुग’ के संपादक धर्मवीर भारती ने उनसे ‘लहरें और सीपियां’ स्तंभ लिखवाना चाहा।
‘लहरें और सीपियां’ मुंबई के उस देह व्यापार पर केंद्रित करके लिखना था, जो जुहू चौपाटी में उन दिनों फूल-फल रहा था। इस गलीज धंधे का अपना एक तंत्र था। चुनौती खोजी पत्रकारिता की थी। स्वभाव के विपरीत होते हुए भी मनोहर श्याम जोशी ने उस चैलेंज को सिर-माथे लिया।
जोशी ने साप्ताहिक हिंदुस्तान और वीकेंड रिव्यू का भी संपादन किया और विज्ञान से लेकर राजनीति तक सभी विषयों पर लिखा। उन्हें 2005 में साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया था।
मनोहर श्याम जोशी का कहना था कि समाज में व्यंग्य की जगह ख़त्म हो गई है क्योंकि वास्तविकता व्यंग्य से बड़ी हो गई है। व्यंग्य उस समाज के लिए है, जहाँ लोग छोटे मुद्दों को लेकर भी संवेदनशील होते हैं। हम तो निर्लज्ज समाज में रहते हैं, यहाँ व्यंग्य से क्या फ़र्क पड़ेगा। टीवी सीरियलों की दशा से नाखुशी जताते हुए वह कहते थे कि टीवी तो फ़ैक्टरी हो गया है और लेखक से ऐसे परिवार की कहानी लिखवाई जाती है, जिसमें हीरोइन सिंदूर लगाकर पैर भी छू लेती है और फिर स्विम सूट भी पहन लेती है।
कृतियाँ
प्रमुख धारावाहिक
- हमलोग
- बुनियाद
- कक्का जी कहिन
- मुंगेरी लाल के हसीन सपनें
- हमराही
- ज़मीन आसमान
- गाथा
प्रमुख उपन्यास
- कसप
- नेताजी कहिन
- कुरु कुरु स्वाहा
- कौन हूँ मैं
- क्या हाल हैं चीन के
- उस देश का यारो क्या कहना
- बातों बातों में
- मंदिर घाट की पौडियां
- एक दुर्लभ व्यक्तित्व
- टा टा प्रोफ़ेसर
- क्याप
- हमज़ाद
मृत्यु
मनोहर श्याम जोशी की मृत्यु हृदयगति रुक जाने के कारण 30 मार्च 2006 को नई दिल्ली में हुई।