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मैरी कॉम की जीवनी – Mary Kom Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको मैरी कॉम की जीवनी – Mary Kom Biography Hindi के बारे में बताएगे।

मैरी कॉम की जीवनी – Mary Kom Biography Hindi

Mary Kom ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला मुक्केबाजी के लिए पदक जीतने वाले पहली महिला बॉक्सर है।

उन्होने 2001 में पहली बार राष्ट्रीय महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती।

मैरी कॉम छ्ह बार वर्ल्ड एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन रही।

2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।

2016 में मैरी कॉम राज्यसभा की सदस्य बनी।

उन्हे अबतक पद्म विभूषण, अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया।

2014 में उनके जीवन पर आधरित फिल्म बनी और किताब भी लिखी गई।

जन्म

Mary Kom का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चूराचांदपुर जिले में हुआ था।

उनका पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है।

उनके पिता का नाम मंगते टोनपा कोम और उनकी माता का नाम मंगते अखम कोम है।

मैरीकॉम की शादी ओन्लर कॉम से हुई है।

उनके जुङवाँ बच्चे तथा 2013 में उनके तीसरे बच्चे, प्रिंस कोम का जन्म हुआ

शिक्षा और प्रशिक्षण

उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिस्चियन मॉडल हाई स्कूल, मोइरंग में ग्रहण की और उच्च माध्यमिक शिक्षा
सेंट सवीआर कैथोलिक स्कूल, मोइरंग से ग्रहण की।

बाद मे मैरी कॉम NIOS से ही अपनी परीक्षा देने लगी।

जहा चुराचांदपुर कॉलेज से वह ग्रेजुएट हुई।

बचपन से ही मैरी कॉम को एथलेटिक्स में दिलचस्पी थी और 2000 में डिंगको सिंह ने उन्हें बॉक्सर बनने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने अपना प्रशिक्षण एम. नरजित से लेना शुरू किया, जो मणिपुर राज्य के बॉक्सिंग कोच थे।

करियर – मैरी कॉम की जीवनी

मैरी कॉम का करियर 2000 में शुरू हुआ जब उन्होंने मणिपुर राज्य महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय चैम्पियनशिप में जीत हासिल की। 2001 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी। वह केवल 18 साल की थी जब उन्होंने पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, और 48 किलो वर्ग में रजत पदक जीता। 2002 में, उन्होंने तुर्की में द्वितीय एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 45 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। उसी साल उन्होंने हंगरी में विच कप में 45 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। मैरी कॉम की जीवनी – Mary Kom Biography Hindi

2003 में मैरी कॉम ने भारत में एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 46 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और 2004 में नॉर्वे में महिला मुक्केबाजी के विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता। 2005 में,उन्होंने फिर से 46 किलो वजन वर्ग में ताइवान में एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप और रूस में एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप दोनों में स्वर्ण पदक जीता। 2006 में, उन्होंने डेनमार्क में वीनस बॉक्स कप में स्वर्ण पदक जीता और भारत में एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में फिर से स्वर्ण पदक जीता।
एक वर्ष के ब्रेक के बाद, मैरी कॉम ने 2008 में वापसी की और भारत में आयोजित एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में एक रजत पदक जीता और चीन में एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में लगातार चौथा स्वर्ण पदक जीता, दोनों 46 भार श्रेणी में थे।

2009 में उन्होंने वियतनाम में एशियाई इंडोर खेलों में स्वर्ण पदक जीता।

2010 से 2014 तक

2010 में, मैरी कॉम ने कजाकिस्तान में आयोजित एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और बारबाडोस में एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में लगातार पांचवा स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 48 किलो भार वर्ग में हिस्सा लिया क्योंकि एआईबीए ने 46 किलो वर्ग को बंद कर दिया था। उन्होंने एशियाई खेलों में 51 किलो भार वर्ग में भी भाग लिया और एक कांस्य पदक जीता था।

दिल्ली में आयोजित 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्हें विजेंदर सिंह के साथ स्टेडियम में उद्घाटन समारोह के दौरान क्वींस बैटन पकड़ने का सम्मान मिला था। हालांकि, उन्होंने प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं किया था क्योंकि महिलाओं की मुक्केबाजी स्पर्धा को खेलों में शामिल नहीं किया गया था। 2011 में, चीन में एशियाई महिलाओं की कप में 48 किलो भार वर्ग में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2012 में, उन्होंने मंगोलिया में एशियाई महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 51 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

2012 लंदन ओलंपिक उनके लिए और अधिक आदर और सम्मान लाया जब वह ओलिंपिक में क्वालीफाई करने और कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बन गयी। उन्होंने 51 किलो वजन वर्ग में भाग लिया और साथ ही ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला बनी।

मैरी कॉम ने 2014 के एशियाई खेलों में एक स्वर्ण पदक जीता और भारत के लिए इतिहास रचा।

वह महिलाओं के फ्लाईवेट (48-52 किलो) विभाग में स्वर्ण पदक जीता जो एशियाई खेलों में उनका पहला स्वर्ण पदक था।

2015 से 2019 तक

26 अप्रैल 2016 को उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में संसद सदस्य के रूप में नामित किया गया था।8 नवंबर 2017 को, उन्होंने वियतनाम में हो ची मिन्ह में आयोजित ASBC एशियाई परिसंघ की महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अभूतपूर्व पाँचवाँ स्वर्ण पदक (48 किलोग्राम) प्राप्त किया।

एकमात्र प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम, जिसे उसने कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक से पहले नहीं देखा था, क्योंकि उसकी श्रेणी लाइट फ्लाईवेट को 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में कभी भी खेलों में शामिल नहीं किया गया था, जहाँ से उम्मीद थी कि उसने महिला लाइटवेट 48 किलोग्राम में शान से स्वर्ण पदक अर्जित किया था।

24 नवंबर 2018 को, उन्होंने भारत के नई दिल्ली में आयोजित 10 वीं एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में यह उपलब्धि हासिल करने वाली 6 विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया।अक्टूबर 2019 में, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने उन्हें 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए मुक्केबाजी के एथलीट राजदूत समूह की महिला प्रतिनिधि के रूप में नामित किया।

पुरस्कार

प्रमुख उपलब्धियाँ – मैरी कॉम की जीवनी

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