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मीरा बेन की जीवनी – Meera ben Biography Hindi

आज़ इस आर्टिकल में हम आपको मीरा बेन की जीवनी – Meera ben Biography Hindi के बारे में बताएगे।

मीरा बेन की जीवनी – Meera ben Biography Hindi

मीरा बेन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर खादी का प्रचार करने वाली एक ब्रिटिश सैन्‍य अधिकारी बेटी थी।

उनका वास्तविक मैडलिन स्‍लेड था।

गांधीजी के विचारों से वह पहली बार रोमन रोनाल्ड की पुस्तक महात्मा गांधी पढ़ने के बाद गाँधीवादी दर्शन से परिचित हुई।

मैडलिन स्‍लेड ने मानव विकास, गांधी जी के सिद्धांतों की उन्नति और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

ऐसा करते देख गाँधी जी ने उन्हें मीरा बेन नाम दिया।

उनकी बुनियादी शिक्षा, अस्पृश्यता निवारण जैसे कार्यों में गांधी के साथ मीरा की अहम भूमिका रही।

जन्म

मीरा बेन का जन्म 22 नवम्बर 1892 को इंग्लैंण्ड में हुआ था।

उनके पिता का नाम ऐडमिरल सर ऐडमंड स्लेड था जोकि मुम्बई में ‘ईस्ट इण्डिया स्क्वैड्रन’ में कार्यरत थे।

जब उनके पिता मुम्बई में ‘इस्ट इण्डिया स्क्वैड्रन’ के कमांडर-इन-चीफ़ के पद पर कार्यरत थे उस समय उन्होने कुछ वर्ष भारत में बिताये।

वह प्रकृति से प्रेम करतीं थी तथा अपने बचपन से ही सादा जीवन से उन्हें प्यार था।

संगीत में उनकी गहरी रूचि थी तथा बिथोवेन का संगीत उन्हें बहुत भाता था।

मैडलिन स्लैड बचपन में एकाकी स्वभाव की थीं, स्कूल जाना तो पसंद नहीं था
लेकिन अलग-अलग भाषा सीखने में रुचि थी।

उन्होंने फ्रेंच, जर्मन और हिंदी समेत अन्य भाषाएं सीखीं।

योगदान – मीरा बेन की जीवनी

मैडलिन स्‍लेड ने मानव विकास, गांधी जी के सिद्धांतों की उन्नति और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

ऐसा करते देख गाँधी जी ने उन्हें मीरा बेन नाम दिया।

उनकी बुनियादी शिक्षा, अस्पृश्यता निवारण जैसे कार्यों में गांधी के साथ मीरा की अहम भूमिका रही।

मीरा बेन ने गांधीजी के बहुत से राजनैतिक व सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

उन्होंने गांधी के खादी के सिद्धांतों तथा सत्याग्रह आंदोलन को उन्नतशील बनाने के लिए देश के कई भागों में यात्रा की।

उन्होंने यंग इंडिया तथा हरिजन पत्रिका में अपने हजारों लेख लिखकर योगदान दिया।

वर्धा के पास सेवा ग्राम आश्रम स्थापित करने में मीरा बेन में अहम भूमिका निभाई।

1931 में वह लंदन में गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ सम्मिलित हुयी।

मीरा बेन अपने सामाजिक पुनरुत्थान के कार्यकलापों के लिए जानी जाती हैं।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुलदास पुर में किसान आश्रम की स्थापना की ताकि ग्रामीण व मवेशियों की सुचारू रूप से देखभाल की जा सके।वह उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकाधिक अनाज उत्पादन अभियान में प्रतिष्ठान विशेष सलाहकार के रूप में नियुक्त की गई, 1947 में उन्होंने ऋषिकेश के नजदीक आश्रम पशुलोक की शुरुआत की जिसका नाम बाद में बापू ग्राम रखा गया।

1959 में वह भारत से प्रस्थान कर वियना के नजदीक एक गाँव में रहने लगी।

जेल यात्राएं

मीरा बेन  गांधी के नेतृत्व में लड़ी जा रही आजादी की लड़ाई में अंत तक उनकी सहयोगी रहीं।

इस दौरान 9 अगस्त 1942 को गांधी जी के साथ उन्हें गिरफ़्तार कर किया गया और उन्हे आगा खां हिरासत केंद्र में मई, 1944 तक रखा गया। लेकिन उन्होंने गांधी जी का साथ नहीं छोड़ा। 1932 के द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में वह महात्मा गांधी के साथ थीं। महात्मा गांधी के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में किये सुधारात्मक और रचनात्मक कार्यों में मीरा की अहम भूमिका थी।

वे सेवा बस्तियों और पिछड़े वर्ग के लोगों में जाकर नि:संकोच स्वयं सफाई कार्य करतीं।

सम्मान

मीरा बेन  को गांधी जी के विचार और कार्यों के प्रसार में जुटी रहने  के चलते 1982 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।भारत के प्रति मीरा बेन का लगाव इतना था कि वह भारत को अपना देश और इंगलैंड को विदेश मानती थीं।मीरा बेन के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए ‘इंडियन कोस्ट गार्ड’ ने नए गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा है।

मृत्यु – मीरा बेन की जीवनी

मीरा बेन की मृत्यु 20 जुलाई 1982 को वियना में हुई।

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