मेहदी हसन ( Mehdi Hassan) प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक थे। उनको 1957 में एक गायक के रूप में पहली बार रेडियो पाकिस्तान में बतौर ठुमरी गायक की पहचान मिली।
मेहदी हसन ने क़रीब 54,000 ग़ज़लें, गीत और ठुमरी गाईं। भारत सरकार ने उन्हे 1979 में ‘सहगल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।
मेहदी हसन की जीवनी – Mehdi Hassan Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | मेहदी हसन |
पूरा नाम अन्य नाम | मेहदी हसन ख़ान ख़ाँ साहब |
जन्म | 18 जुलाई 1927 |
जन्म स्थान | झुंझुनू, राजस्थान |
पिता का नाम | उस्ताद अज़ीम ख़ाँ |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | पाकिस्तान |
धर्म | – |
जाति | खान |
जन्म
Mehdi Hassan का जन्म 18 जुलाई 1927 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम मेहदी हसन ख़ान है। उनके पिता का नाम उस्ताद अज़ीम ख़ाँ था। मेहदी हसन के अनुसार कलावंत घराने में वे उनसे पहले की 15 पीढ़ियां भी संगीत से ही जुड़ी हुई थीं।
मेहदी हसन के दो विवाह हुए थे। इनके नौ बेटे और पाँच बेटियाँ हैं। उनके छह बेटे ग़ज़ल गायकी और संगीत क्षेत्र से जुड़े हैं।
संगीत शिक्षा
संगीत की आरंभिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता उस्ताद अजीम खान और चाचा उस्ताद ईस्माइल खान से ली. दोनों ही ध्रुपद के अच्छे जानकार थे। भारत-पाक बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। वहां उन्होंने कुछ दिनों तक एक साइकिल दुकान में काम की और बाद में मोटर मेकैनिक का भी काम उन्होंने किया। लेकिन संगीत को लेकर जो जुनून उनके मन में था, वह कम नहीं हुआ।
करियर
मेहदी हसन को 1957 में एक गायक के रूप में पहली बार रेडियो पाकिस्तान में बतौर ठुमरी गायक की पहचान मिली। यहीं से उनकी कामयाबी का सफ़र शुरू हुआ। इस ग़ज़ल को मेहदी हसन ने शास्त्रीय पुट देकर गाया था।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके ग़ज़ल कार्यक्रम दुनियाभर में आयोजित होने लगे।
1980 के दशक में तबीयत की ख़राबी के चलते ख़ान साहब ने पार्श्वगायकी छोड़ दी और काफ़ी समय तक संगीत से दूरी बनाए रखी। अक्टूबर, 2012 में एचएमवी कंपनी ने उनका एल्बम ‘सरहदें’ रिलीज किया, जिसमें उन्होंने पहली और आखिरी बार लता मंगेशकर के साथ डूएट गीत भी गाया।
1957 से 1999 तक सक्रिय रहे मेहदी हसन ने गले के कैंसर के बाद पिछले 12 सालों से गाना लगभग छोड़ दिया था।
उनकी अंतिम रिकार्डिंग 2010 में ‘सरहदें’ नाम से आयी, जिसमें फ़रहत शहज़ाद की लिखी ‘तेरा मिलना बहुत अच्छा लगे है’ की रिकार्डिंग उन्होंने 2009 में पाकिस्तान में की और उस ट्रेक को सुनकर 2010 में लता मंगेशकर ने अपनी रिकार्डिंग मुंबई में की।
इस तरह यह युगल अलबम तैयार हुआ। यह उनकी गायकी का जादू ही है कि सुकंठी लता मंगेशकर तनहाई में सिर्फ़ मेहदी हसन को सुनना पसंद करती हैं। इसे भी तो एक महान् कलाकार का दूसरे के लिये आदरभाव ही माना जाना चाहिये। सन 1980 के बाद उनके बीमार होने से उनका गायन कम हो गया।
मेहदी हसन ने क़रीब 54,000 ग़ज़लें, गीत और ठुमरी गाईं। उन्होंने ग़ालिब, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, अहमद फ़राज़, मीर तक़ी मीर और बहादुर शाह ज़फ़र जैसे शायरों की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी।
ग़ज़लें
- ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं…
- अब के हम बिछड़े तो शायद
- बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी…
- रंजिश ही सही…
- यूं ज़िंदगी की राह में…
- मोहब्बत करने वाले कम ना होंगे…
- हमें कोई ग़म नहीं था…
- रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये…
- न किसी की आंख का नूर…
- शिकवा ना कर, गिला ना कर…
- गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले…
पुरस्कार
मेहदी हसन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जनरल अयूब ख़ाँ ने उन्हें ‘तमगा-ए-इम्तियाज़’, जनरल ज़िया उल हक़ ने ‘प्राइड ऑफ़ परफ़ॉर्मेंस’ और जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने ‘हिलाल-ए-इम्तियाज़’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके अलावा भारत सरकार ने 1979 में ‘सहगल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।
मृत्यु
मेहदी हसन की मृत्यु फेंफड़ों में संक्रमण के कारण 13 जून 2012 को कराची में हुई