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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी – Mokshagundam Visvesvaraya Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी – Mokshagundam Visvesvaraya Biography Hindi के बारे में बताएगे।

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी – Mokshagundam Visvesvaraya Biography Hindi

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी - Mokshagundam Visvesvaraya Biography Hindi

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत के महान अभियन्ता एवं राजनयिक थे।

उन्होने पानी रोकने वाले ऑटोमेटिक फ़्लडगेट का डिजायन तैयार कर पेंटेंट कराया था, जो 1903 में पहली बार पुणे के खड़कवासला जलाशय में इस्तेमाल किया गया।

1932 में कृष्ण राजा सागर बांध के निर्माण परियोजना में चीफ इंजीनियर की भूमिका निभाई।

1955 में भारत रत्न से सम्मानित हुए। विश्वेश्वरैया का जन्मदिन पूरे देश में इंजीनियर्स – डे के रूप में मनाया जाता है।

जन्म

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1860 को मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर में हुआ था।

उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री तथा उनकी माता का नाम वेंकाचम्मा था।

शिक्षा

विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा चिक्काबल्लापुर से ही पूरी की।

आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बंगलूर के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया।

लेकिन यहां उनके पास धन का अभाव था। अत: उन्हें टयूशन करना पड़ा।

विश्वेश्वरैया ने 1881 में बीए की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया।

इसके बाद मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में दाखिला लिया।

1883 की एलसीई व एफसीई (वर्तमान समय की बीई उपाधि) की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया।

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करियर –  मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्हें मुंबई के PWD विभाग में नौकरी मिल गयी।

उन्होंने डेक्कन में एक जटिल सिंचाई व्यवस्था को कार्यान्वित किया।

संसाधनों और उच्च तकनीक के अभाव में भी उन्होंने कई परियोजनाओं को सफल बनाया।

इनमें प्रमुख थे कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय और बैंक ऑफ मैसूर। ये उपलब्धियां एमवी के कठिन प्रयास से ही संभव हो पाई।मात्र 32 साल के उम्र में सुक्कुर (सिंध) महापालिका के लिए कार्य करते हुए उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को जल आपूर्ति की जो योजना उन्होंने तैयार किया वो सभी इंजीनियरों को पसंद आया।

अँगरेज़ सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के उपायों को ढूंढने के लिए एक समिति बनाई। उनको इस समिति का सदस्य बनाया गया। इसके लिए उन्होंने एक नए ब्लॉक प्रणाली का आविष्कार किया। इसके अंतर्गत उन्होंने स्टील के दरवाजे बनाए जो कि बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करता था। उनके इस प्रणाली की बहुत तारीफ़ हुई और आज भी यह प्रणाली पूरे विश्व में प्रयोग में लाई जा रही है।उन्होंने मूसा व इसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी योजना बनायीं थी। इसके बाद उन्हें वर्ष 1909 में मैसूर राज्य का मुख्य अभियन्ता नियुक्त किया गया।

वो मैसूर राज्य में आधारभूत समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि को लेकर भी चिंतित थे। इन समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने ने ‘इकॉनोमिक कॉन्फ्रेंस’ के गठन का सुझाव दिया। इसके बाद उन्होंने मैसूर के कृष्ण राजसागर बांध का निर्माण कराया। चूँकि इस समय देश में सीमेंट नहीं बनता था इसलिए इंजीनियरों ने मोर्टार तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था।

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योगदान

पुरस्कार

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पुस्तक – मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी

मृत्यु

14 अप्रैल 1962 को बेंगलुरु में 102 साल की आयु में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की मृत्यु हो गई।

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