जीवनी हिंदी

मोतीलाल नेहरू की जीवनी – Motilal Nehru Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको मोतीलाल नेहरू की जीवनी – Motilal Nehru Biography Hindi के बारे में बताते हैं.

मोतीलाल नेहरू की जीवनी – Motilal Nehru Biography Hindi

मोतीलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय अभियान के कार्यकर्ता और राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता
भी थे,

उन्होंने कांग्रेस में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और वे नेहरू और गांधी परिवार
के संस्थापक कुलपति भी थे

यह भारत की आजादी के लिए कई बार जेल भी गए.

जन्म

मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 में आगरा में हुआ था

उनके पिता का नाम गंगाधर नेहरू और माता का नाम जीवरानी था।

गंगाधर नेहरू शहर के कोतवाल हुआ करते थे।

फरवरी 1861 में गंगाधर नेहरू की मृत्यु हो गई थी और इसके 3 महीने के बाद जीवरानी ने अपने सबसे छोटे बेटे मोतीलाल नेहरू को जन्म दिया। मोतीलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था।मोतीलाल नेहरू पढ़ने लिखने में ध्यान नहीं देते थे लेकिन अपने स्कूल और कॉलेज में हंसी मजाक और खेलकूद के लिए वे काफ़ी जाने जाते थे। मोतीलाल नेहरू का विवाह स्वरूप रानी से हुआ था। मोतीलाल नेहरू के तीन संताने थी।

जिनमें जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते बेटे थे और उनकी दो बेटियां जिनका नाम विजय लक्ष्मी और कृष्णा था. विजय लक्ष्मी को बाद में विजय लक्ष्मी पंडित के नाम से मशहूर हुई और छोटी बेटी जिनका नाम कृष्णा था वह कृष्णा हठीसिंह कहलाई।

शिक्षा

मोतीलाल नेहरु नहीं अपनी प्रारंभिक शिक्षा अरबी और फारसी में प्राप्त की।

मोतीलाल नेहरू अपनी पढ़ाई की और ज्यादा ध्यान नहीं देते थे जिसके कारण वे बीए की परीक्षा मे पास नहीं हो पाये।बी. ए. की परीक्षा में उन्होंने बिल्कुल भी तैयारी नहीं की थी, जिसके कारण उन्होने अपना एक ही पेपर देकर यह सोचा कि वे परीक्षा में पास नहीं हो पाएंगे और ताजमहल घूमने के लिए चले गए।

लेकिन उनका वह पेपर बिल्कुल ठीक हुआ था और उनके शिक्षक ने उन्हे बुलाकर फटकार लगाई।

इसका परिणाम यह हुआ कि मोतीलाल नेहरू की पढ़ाई यहीं पर समाप्त हो गई।

वह बी. ए.. पास नहीं कर पाए। उनकी शुरुआती पढ़ाई कानपुर बाद में इलाहाबाद में हुई।

उन्होंने कानपुर में ही वकालत की शुरुआत की थी।

अपने कॉलेज के समय में मोतीलाल नेहरू पश्चिमी सभ्यता से इतने प्रभावित हो गए की उन्होंने अपने आप को पूरी
तरह उसी में ढाल लिया था।

मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद जैसे छोटे से शहर की वेशभूषा और सभ्यता को अपनाकर एक नई क्रांति को जन्म दिया ।भारत में जब पहली बार बाइसिकल आई, तो मोतीलाल नेहरू वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इसको खरीदा था।

राजनीतिक जीवन

नेहरू ने दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

उन्होंने एक बार अमृतसर 1919 में और दूसरी बार कोलकाता 1928 में, मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस की छवि में
विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मोतीलाल नेहरू ने सितंबर 1920 में असहाय आंदोलन में पार्टी का नेतृत्व किया इसके बाद कोलकाता अधिवेशन में गांधी जी ने सभी के सामने एक प्रस्ताव जारी किया, जिसमें लिखा गया था” कि यदि ब्रिटेन 1 साल के भीतर अपने वर्चस्व और प्रभाव को कम नहीं करता तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संपूर्ण आज़ादी की मांग करेगी,  और जरूरत पड़ने पर सविनय अवज्ञा आंदोलन कर अंग्रेजों से लड़ेगी भी।”

मोतीलाल नेहरू के कानून पर अच्छी पकड़ होने के कारण साइमन कमीशन के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन
में 1927 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिससे उन्हे भारत के संविधान का दायित्व सौंपा गया।

इस रिपोर्ट को नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।

मोतीलाल नेहरू को 1910 में सयुंक्त प्रांत, विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया।

1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग हत्याकांड में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान में अपनी वकालत छोड़ दी।

मोतीलाल नेहरू देशबंधु चितरंजन दास के साथ 1923 में स्वराज्य पार्टी का गठन किया।

इस पार्टी के जरिए वे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली पहुंचे और बाद में वहां विपक्ष के नेता बने।

योगदान

निधन

मोतीलाल नेहरू का निधन 6 फरवरी 1931 को लखनऊ में हुआ मोतीलाल नेहरू की मृत्यु पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था” कि यह चिता नहीं राष्ट्र का हवन कुंड है, और यज्ञ में डाली हुई है एक महान आहुति है।”

Read This राहुल गांधी की जीवनी – Rahul Gandhi Biography Hindi

Exit mobile version