आज इस आर्टिकल में हम आपको मृणाल सेन की जीवनी – Mrinal Sen Biography Hindi में बताएंगे।
मृणाल सेन की जीवनी – Mrinal Sen Biography Hindi
मृणाल सेन भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक थे।
1955 में उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘रात भोर’ बनाई।
उनकी दूसरी फिल्म नील आकाशेर नीचे ने उनको पहचान दी।
इसके बाद उनकी तीसरी फिल्म बाइशे श्रावण ने उनको अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलवाई।
उनकी अधिकतर फिल्में बांग्ला में है।
1981 में उन्हें पद्म भूषण, 2005 में पद्म विभूषण और 2003 में दादा साहेब फालके अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
1969 में आई भुवन शोम ने उन्हें बड़े कलाकारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
जन्म
मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 को फरीदपुर, बांग्लादेश में हुआ था।
वे अपने समय के क्षत्रिय वामपंथी रहे।
शिक्षा और करियर – मृणाल सेन की जीवनी
मृणाल सेन ने फरीदपुर के हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने बाद उन्होंने शहर छोड़ दिया और कोलकाता में पढ़ने के लिये आ गये। उन्होंने कोलकाता के स्कोटिश चर्च कॉलेज़ एवं कलकत्ता यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की।
उन्होने भौतिक शास्त्र में पढ़ाई पूरी करने के बाद मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, पत्रकारिता और साउंड रिकॉर्डिंग सरीखे कई काम किए।
पुस्तक
फिल्मों में जीवन के यथार्थ को रखने से जुड़े और पढ़ने के शौकीन में डाल से नई फिल्मों के बारे में गहराई से अध्ययन किया और सिनेमा पर कई पुस्तकें भी प्रकाशित कीं, जिनमें ‘न्यूज ऑन सिनेमा’ (1977) तथा ‘सिनेमा, आधुनिकता’ (1992) शामिल है।
फिल्मी करियर
- मृणाल सेन ने फ़िल्मों में निर्देशन की शुरुआत 1956 में बंगाली फ़िल्म ‘रात भोरे’ से की।
- 1958 में उनकी दूसरी सफल फ़िल्म ‘नील आकाशेर नीचे’ आई। इस महत्वाकांक्षी फ़िल्म में उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन’ में चीनियों के जापानी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष से की।
- 1960 की उनकी तीसरी फ़िल्म ‘बाइशे श्रावण’, जो कि 1943 में बंगाल में आये भयंकर अकाल पर आधारित थी
- 1965 में आई ‘आकाश कुसुम’ ने एक महान् निर्देशक के रूप में मृणाल सेन की छवि को विस्तार दिया।
- 1969 में आई उनकी फिल्म भुवन शोम ने उन्हें बड़े कलाकारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
मृणाल की अन्य सफल बंगाली फ़िल्में रहीं –
- ‘इंटरव्यू’ (1970)
- ‘कलकत्ता ‘71’ (1972)
- ‘पदातिक’ (1973), जिन्हें ‘कलकत्ता ट्रायोलॉजी’ कहा जाता है।
मृणाल सेन का हिन्दी फ़िल्मों में योगदान
बंगाली फ़िल्मों की तरह ही मृणाल सेन हिन्दी फ़िल्मों में भी समान रूप से सक्रिय दिखते हैं। इनकी पहली हिन्दी फ़िल्म 1969 की कम बजट वाली फ़िल्म ‘भुवन शोम’ थी।
फ़िल्म एक अडियल रईसजादे की पिछड़ी हुई ग्रामीण महिला द्वारा सुधार की हास्य-कथा है। साथ ही, यह फ़िल्म वर्ग-संघर्ष और सामाजिक बाधाओं की कहानी भी प्रस्तुत करती है।
फ़िल्म की संकीर्णता से परे नये स्टाइल का दृश्य चयन और संपादन भारत में समानांतर सिनेमा के उद्भव पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
फिल्में – मृणाल सेन की जीवनी
रात भोरे | नील आकाशेर नीचे | बाइशे श्रावण |
पुनश्च | अवशेष | प्रतिनिधि |
अकाश कुसुम | मतीरा मनीषा | भुवन शोम |
इच्छा पुराण | इंटरव्यू | महापृथ्वी |
अन्तरीन | 100 ईयर्स ऑफ सिनेमा | एक अधूरी कहानी |
कलकत्ता 1971 | बड़ारिक | कोरस |
मृगया | ओका उरी कथा | परसुराम |
एक दिन प्रतिदिन | आकालेर सन्धाने | चलचित्र |
खारिज | खंडहर | जेंनसिस |
एक दिन अचानक | सिटी लाईफ-कलकत्ता भाई एल-डराडो | आमार भुवन |
सम्मान और पुरस्कार
- मृणाल सेन को भारत सरकार द्वारा 1981 में कला के क्षेत्र में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।
- 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- इसके अलावा 2003 में दादा साहेब फालके अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- उनको 1998 से 2000 तक मानक संसद सदस्यता भी मिली।
- फ़िल्मों के सृजन संसार को आजीवन समर्पित मृणाल सेन ने कई सम्मान और पुरस्कार बटोरे, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ भी शामिल है, जो उन्हें चार बार मिला।
- अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी उन्हें कई पुरस्कारसे सम्मानित किया गया। इनमें फ़िल्म ‘खारिज’ के लिए कान्स में ‘द प्रिक्स ड्यू ज्यूरी’ सम्मान शामिल है।
- 2004 में मृणाल सेन ने अपनी आत्मकथा ‘आलवेज बिंग बोर्न’ पूरा किया।
- 2008 में उन्हें ‘ओसियन सिने फैन फेस्टिवल’ और ‘इंटर नेसनल फ़िल्म फेस्टिवल’ द्वारा ‘लाइफ़ टाइम अचिएवेमेंट’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
मृत्यु – मृणाल सेन की जीवनी
मृणाल सेन का 95 साल की आयु में रविवार 30 दिसम्बर 2018 को कोलकाता के भवानीपुर स्थित अपने आवास पर उनकी मृत्यु हो गई। वे काफी लंबे समय से कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे।
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