नरेश मेहता (English – Naresh Mehta) हिन्दी के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं, जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। उन्होने इन्दौर से प्रकाशित ‘चौथा संसार’ हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया। नरेश महेता को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नरेश मेहता की जीवनी – Naresh Mehta Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | नरेश मेहता |
पूरा नाम, अन्य नाम | नरेश मेहता |
जन्म | 15 फरवरी, 1922 |
जन्म स्थान | शाजापुर, मध्य प्रदेश, भारत |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | 22 नवंबर 2000 |
मृत्यु स्थान | – |
जन्म
नरेश मेहता का जन्म 15 फरवरी, 1922 को मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ था।
शिक्षा
Naresh Mehta ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से अपनी एम.ए. की शिक्षा प्राप्त किया।
करियर
नरेश मेहता ने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।
भाषा शैली
नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है। शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उसमें ताजगी और नयापन है। उन्होंने सीधे, सरल बिम्बों का प्रयोग भी किया है। नरेश मेहता की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है। उनके काव्य में रूपक, मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है। नवीन उपमानों के साथ-साथ परंपरागत और नवीन छंदों का प्रयोग किया है। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्य परम्परा और साहित्य को नरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी।
मुख्य रचनाएँ
- अरण्या
- उत्तर कथा
- एक समर्पित महिला
- कितना अकेला आकाश
- चैत्या
- दो एकान्त
- धूमकेतुः एक श्रुति
- पुरुष
- प्रति श्रुति
- प्रवाद पर्व
- बोलने दो चीड़ को
- यह पथ बन्धु था
- हम अनिकेतन
पुरस्कार
- नरेश मेहता को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए 1992 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
निधन
नरेश मेहता का निधन 22 नवंबर 2000 ई. में हुआ था।