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निदा फाजली की जीवनी – Nida Fazli Biography Hindi

आज़ इस आर्टिकल में हम आपको निदा फाजली की जीवनी – Nida Fazli Biography Hindi के बारे में बताएगे।

निदा फाजली की जीवनी – Nida Fazli Biography Hindi

निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे।

वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया।

उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया।

सरफरोश, रज़िया सुल्तान, सुर जैसी फिल्मों के लिए बेहतरीन गीत लिखे।

उन्होने कई टीवी धारावाहिकों का शीर्षक गीत भी लिखा।

2013 में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया।

जन्म

निदा फाजली का जन्म 12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था।

उनका वास्तविक नाम मुक़्तदा हसन निदा था।

उनके पिता का नाम मुर्तुज़ा हसन तथा उनकी माता का नाम जमील फ़ातिमा था।

उनके पिता एक शायर थे, जो भारत विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए।

उनकी एक बेटी है जिसका नाम तहरीर है।

शिक्षा

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर से ही प्राप्त की और इसके बाद ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई भी पूरी की।

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करियर – निदा फाजली की जीवनी

निदा फाजली 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया।

फ़िल्म प्रोड्यूसर-निर्देशक-लेखक कमाल अमरोही उन दिनों फ़िल्म रज़िया सुल्तान (हेमा मालिनी, धर्मेन्द्र अभिनीत) बना रहे थे जिसके गीत जाँनिसार अख़्तर लिख रहे थे जिनका अकस्मात निधन हो गया।

जाँनिसार अख़्तर ग्वालियर से ही थे और निदा के लेखन के बारे में जानकारी रखते थे जो उन्होंने शत-प्रतिशत शुद्ध उर्दू बोलने वाले कमाल अमरोही को बताया हुआ था।

तब कमाल अमरोही ने उनसे संपर्क किया और उन्हें फ़िल्म के वो शेष रहे दो गाने लिखने को कहा जो कि उन्होंने लिखे। इस प्रकार उन्होंने फ़िल्मी गीत लेखन प्रारम्भ किया और उसके बाद इन्होने कई हिन्दी फिल्मों के लिये गाने लिखे।

उनकी पुस्तक मुलाक़ातें में उन्होंने उस समय के कई स्थापित लेखकों के बारे मे लिखा और भारतीय लेखन के दरबारी-करण को उजागर किया जिसमें लोग धनवान और राजनीतिक अधिकारयुक्त लोगों से अपने संपर्कों के आधार पर पुरस्कार और सम्मान पाते हैं।

इसका बहुत विरोध हुआ और ऐसे कई स्थापित लेखकों ने निदा का बहिष्कार कर दिया और ऐसे सम्मेलनों में सम्मिलित होने से मना कर दिया जिसमें निदा को बुलाया जा रहा हो।

जब वह पाकिस्तान गए तो एक मुशायरे के बाद कट्टरपंथी मुल्लाओं ने उनका घेराव कर लिया और उनके लिखे शेर –

घर से मस्जिद है बड़ी दूर, चलो ये कर लें।
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए॥

पर अपना विरोध प्रकट करते हुए उनसे पूछा कि क्या निदा किसी बच्चे को अल्लाह से बड़ा समझते हैं? निदा ने उत्तर दिया कि मैं केवल इतना जानता हूँ कि मस्जिद इंसान के हाथ बनाते हैं जबकि बच्चे को अल्लाह अपने हाथों से बनाता है।

रचनाएँ

काव्य संग्रह

आत्मकथा

संपादित

संस्मरण

लोकप्रिय गीत – निदा फाजली की जीवनी

पुरस्कार

मृत्यु – निदा फाजली की जीवनी

8 फरवरी 2016 को निदा फाजली का देहांत हो गया।

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