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नीरद चन्द्र चौधरी की जीवनी – Nirad Chandra Chaudhuri Biography

आज इस आर्टिकल में हम आपको नीरद चन्द्र चौधरी की जीवनी – Nirad Chandra Chaudhuri Biography Hindi के बारे में बताएगे।

नीरद चन्द्र चौधरी की जीवनी – Nirad Chandra Chaudhuri Biography Hindi

नीरद चन्द्र चौधरी एक प्रसिद्ध बांग्ला तथा अंग्रेज़ी लेखक और विद्वान थे।

उनके साहित्यिक करियर के दौरान, उन्हें अपने लेखन के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए।

1966 में, द कॉन्टिनेंट ऑफ सर्स को डफ कूपर मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिससे चौधरी को पहला और एकमात्र भारतीय पुरस्कार दिया गया।

जन्म

नीरद चन्द्र चौधरी का जन्म 23 नवंबर 1897 में किशोरगंज में एक हिंदू परिवार में हुआ था।

ब्रिटिश शासन के वफ़ादार

भारत के साहित्यिक परिदृश्य पर नीरद चन्द्र चौधरी का आगमन विवादों से घिरा हुआ था।

वह ब्रिटिश शासन के प्रति वफ़ादार थे और उन्होंने अपनी पहली पुस्तक ‘द ऑटोबायोग्राफ़ी ऑफ़ एन अननोन इंडियन’ (1951) को ब्रिटिश साम्राज्य को समर्पित किया था।

उनका दृढ़ विश्वास था कि “हममें जो कुछ भी अच्छा तथा जीवंत है, वह दो सौ वर्ष पुराने औपनिवेशिक शासन के दौरान ही पोषित और विकसित हुआ है।” अपनी असुरक्षाओं से जूझने की कोशिश कर रहे नव-स्वतंत्र राष्ट्र में, जहां उपनिवेश विरोधी भावनाएं चरम पर थीं, उनकी कृति का स्वागत नहीं हुआ।

वह अस्वीकार्य व्यक्ति बन गए और उन्हें बौद्धिक यंत्रणाएं झेलनी पड़ीं। व्यवस्था ने उनके प्रति काफ़ी कड़ा रुख अपनाया और उन्हें ऑल इंडिया रेडियो से बाहर निकाल दिया गया, जहां वह प्रसारक तथा राजनीतिक टिप्पणीकार के रूप में कार्यरत थे।

इंग्लैण्ड में निवास

नीरद चन्द्र चौधरी को ‘अंतिम ब्रिटिश साम्राज्यवादी’ और ‘अंतिम भूरा साहब’ कहा गया। उनकी कृति की लगातार आलोचना की गई तथा भारत के साहित्यिक जगत् से उन्हें निष्कासित कर दिया गया।

स्वनिर्वासन के तौर पर 1970 के दशक में वह इंग्लैंण्ड रवाना हो गए और विश्वविद्यालय शहर ऑक्सफ़ोर्ड में बस गए। उनके लिए यह घर लौटने के समान था। लेकिन यह घर उस इंग्लैण्ड से काफ़ी भिन्न था, आदर्श रूप में चौधरी जिसकी कल्पना करते थे।

कृतियाँ – नीरद चन्द्र चौधरी की जीवनी

बांग्ला

अंग्रेजी

पुरस्कार – नीरद चन्द्र चौधरी की जीवनी

उनके द्वारा रचित एक जीवनी स्कॉलर एक्स्ट्राऑर्डिनरी के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके साहित्यिक करियर के दौरान, उन्हें अपने लेखन के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए।

1966 में, द कॉन्टिनेंट ऑफ सर्स को डफ कूपर मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिससे चौधरी को पहला और एकमात्र भारतीय पुरस्कार दिया गया।

मृत्यु

नीरद चन्द्र चौधरी की मृत्यु 1 अगस्त 1999 को ऑक्सफ़ोर्ड, इंग्लैण्ड में हुई।

 

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