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पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी – Jai Narayan Kaushik Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी – Jai Narayan Kaushik Biography Hindi के बारे में बताएंगे

पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी – Jai Narayan Kaushik Biography Hindi

पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी
पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी

Jai Narayan Kaushik 1956 में उन्होंने विविंग स्पिलिंग का कोर्स करने के बाद जगाधरी के एसडी हाई स्कूल में खादी के अध्यापक के रूप में सेवाएं दी।

1963 तक वे खादी का प्रशिक्षण देते रहे।

फिर कुरुक्षेत्र आकर ज्योतिष व वेदों के पठन-पाठन में जुट गए।

वे खादी बचाने के लिए समर्पित थे और संस्कृति की शिक्षा दे कर वेदपाठियों और ज्योतिषविद बनाने में जुटे रहे,

ताकि उनके बाद यह पौराणिक प्रथा जीवित रहे।

उन्होंने 250 से भी ज्यादा शिष्य तैयार किए जो आज देश के कौने-कौने में संस्कृत और ज्योतिष वेदों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

जन्म

जयनारायण कौशिक का जन्म 1925 में हुआ था।

करियर – पंडित जयनारायण कौशिक की जीवनी

पंडित जयनारायण कौशिक राष्ट्रपति महात्मा गांधी से काफी प्रभावित हुए थे।

इसी के चलते 1956 में उन्होंने विविंग स्पिलिंग का कोर्स करने के बाद जगाधरी के एसडी हाई स्कूल में खादी के अध्यापक के रूप में  कार्य किया। 1963 तक वे खादी का प्रशिक्षण देते रहे।

इसके बाद फिर कुरुक्षेत्र आकर ज्योतिष और वेदों के पठन-पाठन में जुट गए। पंडित जी ने 18 पुराण, 18 उप पुराण, वाल्मीकि रामायण, अद्भूत रामायण और महाभारत के एक लाख 40 हजार श्लोक और कुरुक्षेत्र के 48 कोस के सभी तीर्थो का कई बार पढ़ कर अध्ययन किया।

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पंडित जयनारायण कौशिक का पूरा जीवन देश की संस्कृति और संरक्षण को बचाने में निकल गया।

वे खादी बचाने के लिए समर्पित थे और संस्कृति की शिक्षा दे कर वेदपाठियों और ज्योतिषविद बनाने में जुटे रहे, ताकि उनके बाद यह पौराणिक प्रथा जीवित रहे। उन्होंने 250 से भी ज्यादा शिष्य तैयार किए जो आज देश के हर क्षेत्र में संस्कृत और ज्योतिष वेदों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

उपन्यास

मृत्यु

पंडित जयनारायण कौशिक की मृत्यु 85 वर्ष की आयु में 28 जून, 2014 को हुई थी।

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