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पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी – Pandit Sundarlal Sharma Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी – Pandit Sundarlal Sharma Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी – Pandit Sundarlal Sharma Biography Hindi

पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी
पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी

Pandit Sundarlal Sharma छत्तीसगढ़ में जन जागरण और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे।

वे एक कवि सामाजिक कार्यकर्ता, समाज सेवक, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।

उन्हें ‘छत्तीसगढ़ का गांधी’ भी कहा जाता है।

नाट्यकला, मूर्तिकला व चित्रकला में पारंगत विद्वान श्री शर्मा प्रहलाद चरित्र करुणा- पचिसी व सतनामी-भजन-माला जैसे ग्रंथों के रचयिता है।

उनकी छत्तीसगढ़ी-दीन-लीला छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकप्रिय प्रबंध काव्य ग्रंथ है।

उन्होंने लगभग 18 ग्रन्थ लिखे जिनमें चार नाटक 2 उपन्यास तथा शेष काव्य रचनाएं हैं।

उन्होंने राजिम में 1907 में संस्कृत पाठशाला व रायपुर में सतनामी-आश्रम की स्थापना की तथा 1910 में राजीम में प्रथम स्वदेशी दुकान व 1920 के कंडेल सत्याग्रह के भी वे सूत्रधार थे।

छत्तीसगढ़ की राजनीति व देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका ऐतिहासिक योगदान है।

पंडित सुंदरलाल शर्मा के सम्मान में उनके नाम पर पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के स्थापना की गई है।

जन्म

पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसंबर 1881 को राजिम के निकट महानदी के तट पर बसे हुए गांव चंद्रपुर में हुआ था।

उनके पिता का नाम जगलाल तिवारी था और उनके माता का नाम देवमती था।

शिक्षा – पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी

पंडित सुंदर लाल शर्मा की प्राथमिक स्तर तक ही शिक्षा हुई और आगे आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने घर पर ही खुद के अध्याय से संस्कृत, बांग्ला, उड़िया भाषा सीखी।

किशोरावस्था से उन्होंने कविताएं लेख और नाटक लिखने शुरू कर दिए।

वे कुरीतियों को मिटाने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार को आवश्यक समझते थे।

उन्होंने हिंदी भाषा के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को भी महत्व दिया।

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ग्रंथ

पंडित सुंदर लाल शर्मा ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी में लगभग 18 ग्रंथों की रचना की जिसमें छत्तीसगढ़ी दानलीला चर्चित कृति है ।

इन्हें छ. ग. का प्रथम स्वप्नदृष्टा वह संकल्पना कार कहा जाता है।

उन्होने छ.ग. में दुलरवा पत्रिका और हिंदी में कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका लिखा।

योगदान

19 वीं सदी के अंतिम चरण में देश में राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना की लहरें उठ रही थी।

समाज में समाज सुधारकों, चिंतकों तथा देशभक्तों ने परिवर्तन के इस दौर में समाज को नयी सोच और दिशा दी।

छत्तीसगढ़ में उन्होने सामाजिक चेतना का स्वर घर-घर पहुंचाने में अविस्मरणीय कार्य किया।

पंडित सुंदर लाल शर्मा ने राष्ट्रीय कृषक आंदोलन, मद्यनिषेध, आदिवासी आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन  जुड़े और स्वतंत्रता के यज्ञवेदी पर अपना सब कुछ अर्पित कर दिया।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में व्याप्त रुढ़िवादिता, अंधविश्वास, अस्पृश्यता तथा कुरीतियों को दूर करने के लिए सुंदर लाल शर्मा ने काफी प्रयास किया। उन्होंवे हरिजनोद्धार कार्य की प्रशंसा महात्मा गांधी ने मुक्त कंठ से करते हुए, इस कार्य में पंडित सुंदर लाल शर्मा को गुरु माना था।

1920 में धमतरी के पास कंडेल नहर सत्याग्रह में भी सुंदर लाल शर्मा नेतृत्व में सफल रहे।

उनके प्रयासों से ही महात्मा गांधी 20 दिसम्बर 1920 को पहली बार रायपुर आए थे।

असहयोग आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ से जेल जाने वाले व्यक्तियों में वे प्रमुख थे।

जीवन-पर्यन्त सादा जीवन, उच्च विचार के आदर्श का पालन करते रहे।

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सम्मान – पंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनी

मृत्यु

28 दिसंबर 1940 को पंडित सुंदरलाल शर्मा की मृत्यु हो गई थी।

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