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प्रताप सिंह कैरों की जीवनी – Partap Singh Kairon Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रताप सिंह कैरों की जीवनी – Partap Singh Kairon Biography Hindi के बारे में बताएगे.

प्रताप सिंह कैरों की जीवनी – Partap Singh Kairon Biography Hindi

प्रताप सिंह कैरों एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और प्रमुख नेता थे।

उस समय ‘पंजाब’ के अन्तर्गत हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी थे।

भारतीय स्वतंत्रता के लिये अमरीका में ‘ग़दर पार्टी’ के नाम से जो संस्था स्थापित हुई थी, उसके कार्यों में  भी वे सक्रिय रूप से भाग लेते थे।

जन्म

प्रताप सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1901 को अमृतसर ज़िले के ‘कैरों’ नामक गाँव में हुआ था।

शिक्षा

प्रताप सिंह कैरों ने खालसा कालेज से बी.ए. करके वे अमरीका चले गए और वहाँ के मिशिगन विश्वविद्यालय से एम.ए.
किया और वहीं वे भारत की राजनीति की ओर अग्रसर हुए।

करियर – प्रताप सिंह कैरों की जीवनी

भारतीय स्वतंत्रता के लिये अमरीका में ‘ग़दर पार्टी’ के नाम से जो संस्था स्थापित हुई थी, उसके कार्यों में वे सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। भारत वापस आने पर 1926 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और तब से स्वतंत्रता प्राप्त होने तक कांग्रेस के आंदोलनों में निरंतर भाग लेते रहे और जेल भी गए।

भारत के स्वतंत्र होने के बाद विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और वे 1956 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने और 1964 तक इस पद पर आसीन रहे । जिन दिनों वे मुख्यमंत्री थे उन दिनों पंजाब की राजनीतिक स्थिति अत्यंत विस्फोटक थी। उन दिनों मास्टर तारासिंह के नेतृत्व में स्वतंत्र पंजाब का आंदोलन जोरों से चल रहा था। प्रांत में एक प्रकार की अराजकता फैली हुई थी। कैरों ने अपने सुदृढ़ व्यक्तित्व और राजनीतिक दूरदर्शिता से आंदोलन का सामना किया और उनकी कूटनीति आंदोलन के मुख्य स्तंभ मास्टर तारा सिंह और संत फ़तह सिंह में फूट उत्पन्न करने में सफल हुई तथा आंदोलन छिन्न भिन्न हो गया। वे एक स्थिर और प्रभावशाली शासक के रूप में उभरकर सामने आए।

उन्होंने अपने प्रदेश की आर्थिक अवस्था को विकसित करने का सर्वागीण प्रयास किया।

उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में पंजाब में अभूतपूर्व उन्नति करने में सफल हुई।

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योगदान – प्रताप सिंह कैरों की जीवनी

1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो कैरों ने अपने प्रदेश से जन और धन से जैसी सहायता की वह अपने आप में एक इतिहास है।

1929 में शिरोमणि अकाली दल में सम्मिलित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया।

कैरों ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और 1932 में पाँच साल के लिए जेल में बंद कर दिये गये।

उन्होने भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया।

प्रताप सिंह कैरों ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में विकास के कई कार्य पूरे किये।

इनमें मुख्य भाखडा-नांगल बांध, कुरुक्षेत्र और पटियाला की पंजाब यूनिवर्सिटी, लुधियाना का कृषि विश्वविद्यालय, हिसार का पशु चिकित्सा कॉलेज प्रमुख थे।

इन्होंने पंजाब के औद्योगीकरण के लिए भी कई कदम उठाये।

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मृत्यु

अपने कार्यकाल के दौरान ही उन पर व्यक्तिगत पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें 1964 ई. में मुख्यमंत्री पद का परित्याग करना पड़ा। उसके कुछ ही दिनों बाद  6 फरवरी 1965 के दिन जब वह मोटर कार द्वारा दिल्ली से वापस लौट रहे थे, मार्ग में कुछ लोगों ने उन्हें गोली मार दी और उसी समय उनकी मृत्यु हो गई।

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