प्रफुल्लचंद्र सेन (English – Prafulla Chandra Sen) बंगाल के प्रमुख कांग्रेसी नेता, महात्मा गांधी जी के अनुयायी और स्वतंत्रता सेनानी थे।
1968 के कांग्रेस विभाजन में इंदिरा गांधी जी के साथ न जाकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने पुराने नेतृत्व के साथ ही रहने का निश्चय किया था।
प्रफुल्लचंद्र सेन की जीवनी – Prafulla Chandra Sen Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | प्रफुल्लचंद्र सेन, आरामबाग के गांधी |
पूरा नाम | प्रफुल्लचंद्र सेन |
जन्म | 10 अप्रैल 1897 |
जन्म स्थान | आरामबाग, जिला हुगली |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जन्म
Prafulla Chandra Sen का जन्म 10 अप्रैल 1897 में हुगली ज़िले के आरामबाग नामक स्थान में हुआ था।
अपने पिता की हस्तांतरणीय सेवा के कारण उन्होंने पूर्वी भारत के बिहार प्रांत में अपना बचपन बिताया।
शिक्षा
प्रफुल्लचंद्र ने बिहार के देवघर में आर मित्रा इंस्टीट्यूट से अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
इसके बाद उन्होंने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज़ में विज्ञान का अध्ययन किया। फिर कोलकाता विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक हुए।
योगदान
गांधी जी के भाषण से प्रभावित होकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने विदेशों में अध्ययन की सभी योजनाओं को त्याग दिया और अंग्रेज़ों के खिलाफ एक जन गैर सहयोग आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया।
प्रफुल्लचंद्र सेन उदार जीवन शैली के साथ जीवन व्यतीत करते रहें।
प्रफुल्लचंद्र सेन के ऊपर आरंभ से लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल (लाल बाल पाल) के विचारों का प्रभाव था।
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद से भी वे प्रभावित थे। बाद में जब गांधी जी से संपर्क हुआ तो वे सदा के लिए उनके अनुयायी बन गए। प्रफुल्लचंद्र सेन खादी उद्योग के समर्थन में थे।
प्रफुल्लचंद्र सेन स्वतंत्रता आंदोलन में सदा सक्रिय रहे। 1921, 1930, 1932, 1934 और 1942 में उन्होंने कैद की सजा भोगी और कुल ग्यारह साल तक जेल में बंद रहे।
रचनात्मक कार्यों में प्रफुल्लचंद्र सेन की बड़ी निष्ठा थी। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान के कारण ओग उन्हें ‘आरामबाग का गांधी’ कहने लगे थे।
करियर
प्रफुल्लचंद्र सेन के राजनैतिक जीवन का आरंभ 1948 में डॉ. विधान चंद्र राय के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में सम्मिलित होने के साथ हुआ।
1962 में बिधान चंद्र राय की मृत्यु के बाद वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और 1967 तक इस पद पर रहे। इस वर्ष के निर्वाचन में कांग्रेस पराजित हो गई थी।
इसके बाद का प्रफुल्लचंद्र सेन का समय रचनात्मक कार्यों में ही बीता। 1968 के कांग्रेस विभाजन में इंदिरा जी के साथ न जाकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने पुराने नेतृत्व के साथ ही रहने का निश्चय किया।
इस प्रकार उनकी राजनैतिक गतिविधियाँ समाप्त हो गईं।
मृत्यु
प्रफुल्लचंद्र सेन की मृत्यु 25 सितंबर 1990 को कलकत्ता में हुआ था।