प्रणब मुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।उनका कार्यालय 25 जुलाई 2012 से आरंभ हुआ और 25 जुलाई 2017 में समाप्त हुआ। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं। उन्हें सन् 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हे 26 जनवरी 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रणब मुखर्जी की जीवनी – Pranab Mukherjee Biography Hindi के बारे में बताएगे।
प्रणब मुखर्जी की जीवनी – Pranab Mukherjee Biography Hindi
जन्म
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 को बंगाल (भारत) में वीरभूम जिले के मिराती (किर्नाहार) गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और उनकी माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। प्रणव का विवाह 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके बच्चों के नाम शर्मिष्ठा,अभिजीत,इन्द्रजीत है।
शिक्षा
उन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित सूरी विद्यासागर कॉलेज से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ही इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम. ए. ) की पढ़ाई पूरी की। कोलकाता विश्वविद्यालय से क़ानून की उपाधि (लॉ) की शिक्षा के बाद पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के एक कॉलेज में प्राध्यापक (प्रोफेसर) की नौकरी शुरू की।
करियर
राजनीति में आने से पहले प्रणब मुखर्जी पश्चिम बंगाल के एक कॉलेज के शिक्षक भी रह चुके हैं। उनका राजनीतिक करियर 1969 में शुरू हुआ और वे कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के सदस्य बने।
सन 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में इन्होने राजनीतिक में प्रवेश किया। मिदनापुर उप-चुनाव में इन्होंने स्वतंत्रा उम्मीदवार कृष्णा मेनन की सफलता चुनाव मुहिम को अंजाम दिया। इससे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा गांधी ने बेहद प्रभावित हुई और इनकी प्रतिभा को पहचान कर अपने दिल में सम्मिलित कर लिया। इन्हे जुलाई 1969 में राज्यसभा मे प्रतिनिधि बनाया गया। फिर 1975, 1981, 1993 और 1999 मे उन्हे दोबारा राज्यसभा के लिए चुने गया ।
प्रणब मुखर्जी ने 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया। उनका कार्यकाल भारत के अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण की 1.1 अरब अमरीकी डॉलर की आखिरी किस्त नहीं अदा कर पाने के लिए उल्लेखनीय रहा। वित्त मंत्री के रूप में प्रणव के कार्यकाल के दौरान डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।
वे इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र लोगों में से एक रहे हैं। विवादास्पद आपातकाल के दौरान उन पर ज्यादितियां करने का भी आरोप लगा। राजीव गांधी के कार्यकाल में उनके सितारे गर्दिश में रहे क्योंकि वे भी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन राजीव समर्थकों के कारण असफल हो गए। वे राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र के शिकार भी हुए जिसने इन्हें मन्त्रिमणडल में शामिल नहीं होने दिया। प्रणब मुखर्जी की जीवनी – Pranab Mukherjee Biography Hindi
कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन 1989 मे राजीव से सुलह के बाद उन्होंने कांग्रेस में वापसी की। बाद में, पी.वी. नरसिंहराव ने योजना आयोग का प्रमुख बनाया। सोनिया गांधी को कांग्रेस प्रमुख बनवाने में भी उन्होंने अहम योगदान दिया। इससे पहले वे देश के विदेश मंत्री रहे। जब कांग्रेस नेतृत्व में यूपीए बनी तब उन्होंने पहली बार लोकसभा के लिए जांगीपुर से चुनाव जीता।
सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार के अगुआ के रूप में सरकार बनायी, तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह सिर्फ एक राज्यसभा सांसद थे। इसलिए जंगीपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणव मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। उन्हें रक्षा, वित्त, विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी हासिल है। वह कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधायक दल के नेता रह चुके हैं, जिसमें देश के सभी कांग्रेस सांसद और विधायक शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त वे लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय वित्त मन्त्री भी रहे। वे मनमोहन के बाद सरकार के दूसरे बड़े नेता रहे।
10 अक्टूबर 2008 को मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर हस्ताक्षर किए। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी थे। सन 1984 में उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता की। मई और नवम्बर 1995 के बीच उन्होंने सार्क मन्त्रिपरिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।
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जुलाई 2012 के चुनाव में उन्होंने पी.ए. संगमा को आसानी से हराकर राष्ट्रपति पद हासिल किया। उन्होंने निर्वाचक मंडल के 70 फीसदी मत हासिल किए थे।
उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनका कार्यालय 25 जुलाई 2012 से आरंभ हुआ और 25 जुलाई 2017 में समाप्त हुआ। उनके बाद रामनाथ कोविंद भारत के 14 वें राष्ट्रपति बने।
वे पहले ऐसे वित्त मंत्री थे, जो 7 बजट पेश कर चुके हैं।
पुरस्कार
- न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 में दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे।
- उन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला।
- वित्त मन्त्रालय और अन्य आर्थिक मन्त्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया। वह लम्बे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1। 1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया। उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता की।
- उन्हें सन् 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया।
- प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
पुस्तकें
- The Coalition Years – 2017
- The Turbulent Years: 1980 – 1996 – 2016
- The Dramatic Decade: The Indira Gandhi Years – 2014
- Thoughts and Reflections – 2014
- Selected Speeches: Pranab Mukherjee, the President of India – 2015
- Beyond survival -1984
- Challenges Before the Nation/Saga of Struggle and Sacrifice – 1993
- Selected Speeches: July 2012-July 2015 – 2015
विवाद
- आपातकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी, इन्दिरा गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इसी दौरान उन पर कई ग़लत व्यक्तिगत निर्णय लेने जैसे गंभीर आरोप लगे। प्रणब मुखर्जी के ख़िलाफ़ पुलिस केस भी दर्ज किया गया, लेकिन इन्दिरा गांधी के वापस सत्ता में आते ही वह केस खारिज हो गया।
- विदेश मंत्री रहते हुए, विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को घर में नजरबंद रख सुरक्षा प्रदान करने के प्रणब मुखर्जी के निर्णय पर लगभग सभी मुसलमान समुदायों ने आपत्ति उठाई और प्रणब मुखर्जी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए। परिणामस्वरूप तस्लीमा नसरीन को 2008 में भारत से बाहर जाना पड़ा।
- प्रणब मुखर्जी पर यह भी आरोप लगे कि उन्होंने निजी बैंकों को गुजरात में निवेश ना करने की धमकी दी है क्योंकि वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।
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विचार
- भारतीयों के रूप में, हमें निश्चित रूप से अतीत से सीखना चाहिए ; लेकिन हमें भविष्य पर ध्यान केंद्रित रहना चाहिए। मेरे विचार से, शिक्षा वह वास्तविक रस-विधा है जो भारत को अपने अगले स्वर्ण युग में ला सकता है।
- भारत के युवा लोगों एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करेंगे जो राजनीतिक रूप से परिपक्व और आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र होगा, जिसमे राष्ट्र के लोग उच्च गुणवत्ता का जीवन और न्याय दोनों का आनंद ले सके।
- भारत वह देश है जहाँ बहुत गरीबी है ; भारत एक आकर्षक, उत्थान सभ्यता है जो सिर्फ हमारे शानदार कला में ही नहीं निखरती बल्कि हमारे शहर और गांव के रचनात्मकता और हमारे दैनिक जीवन की मानवता में भी निखर उठती है।
- हमारी पीढ़ी में, हमारे रोल मॉडल गांधी और नेहरू थे। वे प्रतिष्ठित है। वे व्यक्तित्व की पूजा अर्चना करते थे। मैंने नेहरू जी के लगभग हर भाषण पढ़ा है।
- हमारी माँ के लिए हम सभी बच्चे समान है, और भारत सभी से यह पूछ रहा है की हम इस राष्ट्र निर्माण के जटिल नाटक में अपनी कौन सी भूमिका निभा रहे है , हमारा कर्तव्य है की हम हमारे संविधान में प्रतिष्ठापित मूल्यों के प्रति निष्ठा व प्रतिबद्धता रखे।
- सम्पूर्ण भारत सिर्फ भारत के लिए बना है, और समृद्धि के उच्च पद पर बैठने की इच्छा से प्रेरित है। यह अपने मिशन में आतंकी गतिविधियों द्वारा भी नही हटेगा।
COVID-19
COVID-19 महामारी के दौरान, 10 अगस्त 2020 को, मुखर्जी ने ट्विटर पर घोषणा की कि उन्होंने मस्तिष्क के थक्के को हटाने के लिए अपनी सर्जरी से पहले COVID-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था।वह दिल्ली में सेना के अनुसंधान और रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल में वेंटिलेटर समर्थन और गंभीर स्थिति में थे।
इससे तीन दिन पहले ही प्रणब मुखर्जी ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वो कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं. उन्हें अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के लिए भर्ती कराया गया था, जहां ये सर्जरी खून के थक्के हटाने के लिए की गई. टेस्टिंग के दौरान ही उनकी कोरोना वायरस जांच रिपोर्ट पॉजिटव आई थी।
निधन
प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को RR Hospital में निधन हो गया. जिसकी सबसे पहले जानकारी उनके बेटे अभिजित मुखर्जी ने twitter की जरिये शेयर की.
https://twitter.com/ABHIJIT_LS/status/1300407074560471041?s=20