जीवनी हिंदी

प्रशांत चंद महालनोबिस की जीवनी – Prashant Chand Mahalanobis Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रशांत चंद महालनोबिस की जीवनी – Prashant Chand Mahalanobis Biography Hindi के बारे में बताएगे।

प्रशांत चंद महालनोबिस की जीवनी – Prashant Chand Mahalanobis Biography Hindi

Prashant Chand Mahalanobis प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद थे।

उन्हे दूसरी पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार करने के कारण जाना जाता है।

स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में वह सांख्यिकी सलाहकार बने थे।

महालनोबिस दूरी का सिद्धान्त दिया, जो सांख्यिकी की एक माप के रूप में स्थापित किया। इनके नाम पर 29 जून को सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1968 में उन्हे पद्म विभूषण से नवाजा गया।

जन्म

प्रशांत चंद महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता, बंगाल को हुआ था।

उनके पिता का नाम प्रबोध चंद महालनोबिस तथा उनकी माता का नाम निरोदबसिनी था।

कोलकाता में प्रशांत चन्द्र महालनोबिस की मुलाकात निर्मला कुमारी से हुई जो हेरम्भाचंद मित्रा की पुत्री थीं।

हेरम्भाचंद एक अग्रणी शिक्षाविद और ब्राह्मो समाज के सदस्य थे।

27 फरवरी 1923 को दोनों ने हेरम्भाचंद की मर्जी के विरुद्ध विवाह कर लिया।

प्रशांत के मामा सर नीलरतन सरकार ने कन्या के पिता का रस्म अदा किया।

शिक्षा

Prashant Chand Mahalanobis की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उनके दादा, गुरु चरन महालनोबिस द्वारा स्थापित ब्रह्मो ब्वायज स्कूल में हुई। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा इसी स्कूल से 1908 ई में पास की।

प्रेसीडेंसी कालेज से भौैतिकी विषय में आनर्स करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए ये लंदन चले गए। वहां इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की। ये एकमात्र छात्र थे, जिसने भौतिकी में पहला स्थान प्राप्त किया था। उसके बाद ये कोलकाता लौट आए।

भारतीय सांख्यिकी संस्थान

Prashant Chand Mahalanobis के कई सहयोगियों ने सांख्यिकी में दिलचस्पी लेना प्रारंभ किया और धीरे-धीरे ये समूह बढ़ता ही गया। ये सभी लोग प्रशांत के प्रेसीडेंसी कॉलेज कमरे में इकठ्ठे होते थे। 17 दिसंबर 1931 को भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना हुई और 28 अप्रैल 1932 को औपचारिक तौर पर पंजीकरण करा लिया गया।

प्रारंभ में संस्थान प्रेसीडेंसी कॉलेज के भौतिकी विभाग से चलाया गया पर धीरे-धीरे इसके सदस्यों ने जैसे जैसे इस दिशा में काम किया वैसे-वैसे संस्थान भी बढ़ता गया।

‘बायोमेट्रिका’ के तर्ज पर सन 1933 में संस्थान के जर्नल ‘संख्या’ की स्थापना हुई।

सन 1938 में संस्थान का प्रशिक्षण प्रभाग स्थापित किया गया। सन 1959 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान को ‘राष्ट्रिय महत्त्व का संस्थान’ घोषित किया गया और इसे ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिया गया।

कोलकाता के अलावा भारतीय सांख्यिकी संस्थान की शाखाएं दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई, गिरिडीह सहित भारत के दस स्थानों में हैं। इसका मुख्यालय कोलकाता में है जहाँ मुख्य रूप से सांख्यिकी की पढ़ाई होती है।

सांख्यिकी में योगदान – प्रशांत चंद महालनोबिस की जीवनी

आचार्य ब्रजेन्द्रनाथ सील के निर्देशन में Prashant Chand Mahalanobis ने सांख्यिकी पर काम करना शुरु किया और इस दिशा में जो सबसे पहला काम उन्होंने किया, वह था कालेज के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण। इस काम में उन्हें काफी सफलता मिली।

इसके बाद महालनोबिस ने कोलकाता के ऐंग्लो-इंडियंस के बारे में एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया। यह विश्लेषण और इसका परिणाम भारत में सांख्यिकी का पहला शोध-पत्र कहा जा सकता है।

महालनोबिस का सबसे बड़ा योगदान उनके द्वारा शुरु किया गया ‘सैंपल सर्वे’ की संकल्पना है। इसके आधार पर आज के युग में बड़ी-बड़ी नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही हैं।

महालनोबिस की प्रसिद्धि ‘महालनोबिस दूरी’ के कारण भी है जो उनके द्वारा सुझाया गयी एक सांख्यिकीय माप है।

सम्मान और पुरस्कार

मृत्यु – प्रशांत चंद महालनोबिस की जीवनी

प्रशांत चंद महालनोबिस की मृत्यु 28 जून, 1972 को हुई।

इसे भी पढ़े – शबाना आजमी की जीवनी – Shabana Azmi Biography Hindi

Exit mobile version