पुरुषोत्तम दास टंडन एक स्वतन्त्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्होने सविनय अवज्ञा आदोलन और बिहार किसान आंदोलन में बढ़चढ़ कर योगदान किया । पुरुषोत्तम जी हिन्दी के प्रबल समर्थक थे। उन्होने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के काफी प्र्यत्न किए थे।तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको पुरुषोत्तम दास टंडन की जीवनी – Purushottam Das Tandon Biography Hindi के बारे में बताते है।
पुरुषोत्तम दास टंडन की जीवनी – Purushottam Das Tandon Biography Hindi
जन्म
1 अगस्त 1982 को पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता का नाम सालीग्राम टंडन था। उनका विवाह मुरादाबाद निवासी चन्द्रमुखी देवी के साथ हुआ। सन 1900 में उनकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। लगभग इस समय वे सव्त्नत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे।1903मेंइनके पिता की मृत्यु हो गई।
शिक्षा
उनकी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के सिटी एंग्लो वर्नाक्यूलर स्कूल से ली बाद में इसी स्कूल से सन 1894 में मिडिल की परीक्षा पूरी की। 1899 में इंटरमिडियट की परीक्षा पूरी की बाद में आगे की पढ़ाई के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्याल्य म्योर सेंट्रल कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन उन्हे उनकी क्रांतिकारी गतिविधियो के कारण उन्हे सन 1901 में कॉलेज से निकाल दिया गया । 1904 में उन्होने स्नातक की परीक्षा पूरी की।
योगदान
उन्होंने 1980 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में तेज बहादुर सप्रू के निर्देशन में वकालत शुरु की। 1921 ई. में वे वकालत छोड़ कर सक्रिय राजनीति में कूद पड़े। 1899 ई. में ही वे कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन तथा नमक सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
वह किसान आंदोलन के प्रमुख नेता थे तथा राज्यसभा के सभापति निर्वाचित हुए। लगातार 13 वर्षों तक जुलाई 1937 से अगस्त, वर्तमान UP के विधानसभा अध्यक्ष रहे तथा 1946 मेंसंविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1952 ई. में वे लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
हिन्दी के समर्थक
पुरुषोत्तम दास टंडन ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाया । उन्होने 10 अक्तूबर , 1910 को नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना की।
सम्मान
1961 ई. में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया और इसके अलावा उनको सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी दिया गया था।
निधन
पुरुषोत्तम दास टंडन का देहांत 1 जुलाई,1962 ई. को हुआ।