आर. पी. सिंह भारतीय क्रिकेट टीम में एक बाएं हाथ के उत्कृष्ट तेज गेंदबाज है। जिन्होंने विकेट लेने में अपना बेहतरीन रिकॉर्ड बनाया हुआ है। आर.पी. सिंह अपने तेज गेंदबाजी के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीमों के बल्लेबाजों के लिए काफी खतरनाक साबित हुए हैं तो आइए आज हम इस आर्टिकल में आपको आर. पी. सिंह की जीवनी – R.P Singh Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे हैं.
आर. पी. सिंह की जीवनी – R.P Singh Biography Hindi
जन्म
आर.पी. सिंह का जन्म 6 दिसंबर, 1985 उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के गांव की प्यूरबाला में हुआ था। उनका पूरा नाम रूद्र प्रताप सिंह है। पिता का नाम शिव प्रताप सिंह है और माता का नाम गिरिजा देवी है. आर.पी. सिंह एक साधारण से परिवार से संबंध रखते हैं। आर.पी. सिंह के पिता भारतीय तकनीकी संस्थान की तकनीकी शाखा में ऑपरेटर के पद पर काम करते हैं। आर.पी. सिंह की दो बहने हैं, जिनका नाम आकांक्षा और दीपा है।
शिक्षा-प्रशिक्षण
आर.पी.सिंह को सन 2000 में लखनऊ भेजा गया और उन्हें वहां पर गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया। आर.पी. सिंह ने अपने कड़ी मेहनत और अभ्यास के बल पर गेंदबाजी का पूरा प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद में सन 2004 में बांग्लादेश में हुए अंडर-19 विश्व कप के दौरान एक मैच में बेहतर प्रदर्शन करने से क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी शुरुआत की। उन्होंने इन मैचों के दौरान 24.75 औसत से 8 विकेट भी लिए थे। अपने बेहतर प्रदर्शन के कारण वे सब के नजरों में आ चुके थे। उत्तर प्रदेश में रणजी ट्रॉफी के लिए खेलते हुए 6 मैचों में 34 विकेट अपने नाम कर लिए थे, और उन्होने अपना बेहतर प्रदर्शन जारी रखा।
भारत की तरफ से खेले गए मैच
सितंबर 2005 में आर.पी.सिंह ने अपने पहले एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच की शुरुआत की, उन्होंने यह मैच जिंबाब्वे के खिलाफ हरारे में किया था, उन्होने अपने पहले मैच में 2 विकेट लिए थे। श्रीलंका के खिलाफ अपने तीसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 35 रन देकर 4 विकेट को लेकर उन्होंने न केवल भारत जीत तक पहुंचाया बल्कि उन्होंने अपना पहला” मैन ऑफ द मैच पुरस्कार” भी अपने नाम कर लिया।
आर.पी. सिंह अपनी शैली को ज्यादा लंबे समय तक बरकरार नहीं रख पाए, और मई 2006 में उन्होंने अपने पहले मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ हुई टूर्नामेंट में बुरी तरह से असफल रहे, और इसी प्रकार लगातार कई क्रिकेट मैचों में विकेट ना ले पाने के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए विवादों में रहना पड़ा, और कुछ समय के लिए टीम से बाहर निकाल दिया गया।
रूद्र प्रताप सिंह उर्फ आर.पी। सिंह ने इसी बीच अपने पहले टेस्ट मैच की शुरुआत जनवरी 2006 में पाकिस्तान के फैसलाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ खेले जा रहे, दूसरे टेस्ट मैच से की। जिसमें उन्होंने इस टेस्ट मैच में 5 विकेट लिए और उन्हें एक बार फिर मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया। आर. पी. सिंह ने अपने तेज गेंदबाजी का जादू एक बार फिर से बिखेरा, और पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच में 4 विकेट लिए जिससे भारत को 3-1 की सीरीज में बढ़त हासिल हुई और इस मैच में भी मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया।
रूद्र प्रताप सिंह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2006 में भारतीय एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच स्कार्ड का भी हिस्सा रहे। लेकिन उन्हें लंबे समय तक अपने खराब प्रदर्शन के कारण भारतीय टीम में कोई जगह नहीं मिल पाई।
हालांकि बाद में, आर.पी. सिंह फिर से 2007 में बांग्लादेश और इंग्लैंड के दौरे के लिए चुने गए। आर .पी. सिंह इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए इंग्लैंड के खिलाफ हुए पांचवें एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 31.71 की औसत से 7 विकेट लिए और इसी तरह उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में अपने पहले टेस्ट मैच में 5 विकेट लिए, और इंग्लैंड के खिलाफ हुए एक और अन्य टेस्ट मैच में 5/59 के शानदार आंकड़ों के साथ अपनी टीम में फिर से वापसी की।
आर. पी. सिंह ने सितंबर 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुई आईसीसी विश्व कप T 20 क्रिकेट टूर्नामेंट में भी भारतीय टीम का एक हिस्सा थे। आर.पी. सिंह ने अपने प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए लगभग सात मैचों में 12.66 औसत के साथ 12 विकेट लिए, और 2007 में क्रिकेट टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए। आर.पी। सिंह के द्वारा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सुपर 8 के चरण में एक महत्वपूर्ण मैच में उन्होने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। वहां पर उन्होंने 4 ओवरों में 13 रन देकर 4 विकेट लिए।
आर. पी. सिंह को 2009 के T20 कप के लिए भारतीय टीम में लिया गया था, और वे आईपीएल में सबसे ज्यादा 52 विकेट लेने वाले अकेले गेंदबाज हैं।
आई. पी. एल. मैचों में आर पी सिंह कोच्ची ट्स्कर्स के लिए खेलते थे। 2011 से वे डेक्कन चार्जर्स के लिए खेलने लगे, और आई .पी .एल. के दूसरे सीजन में आर. पी. सिंह एक बहुत ही सफल गेंदबाज साबित हुए।आई. पी. एल. मैचों के दौरान उन्होंने 16 मैचों में सबसे ज्यादा 23 विकेट लेकर पर्पल कैप अपने नाम कर ली।