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रघुवीर सहाय की जीवनी – Raghuvir Sahay Biography Hindi

रघुवीर सहाय (English – Raghuvir Sahay) हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे। इसके साथ ही वे एक प्रभावशाली कवि होने के साथ ही साथ कथाकार, निबंध लेखक और आलोचक थे। रघुवीर सहाय ‘नवभारत टाइम्स’, दिल्ली में विशेष संवाददाता रहे। ‘दिनमान’ पत्रिका के 1969 से 1982 तक प्रधान संपादक रहे।
उनकी मुख्य रचनाएँ ‘लोग भूल गये हैं’, ‘आत्महत्या के विरुद्ध’, ‘हंसो हंसो जल्दी हंसो’, ‘सीढ़ियों पर धूप में’ आदि। उन्हें वर्ष 1982 में उनकी पुस्तक ‘लोग भूल गये हैं’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

रघुवीर सहाय की जीवनी – Raghuvir Sahay Biography Hindi

रघुवीर सहाय की जीवनी
रघुवीर सहाय की जीवनी

संक्षिप्त विवरण

नामरघुवीर सहाय
पूरा नामरघुवीर सहाय
जन्म9 दिसंबर 1929
जन्म स्थानलखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
हिन्दू
जाति

जन्म

रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। उन्होंने 1955 में विमलेश्वरी सहाय से विवाह किया।

शिक्षा

रघुवीर सहाय 1951 में ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और साहित्य सृजन 1946 से प्रारम्भ किया। अंग्रेज़ी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने पर भी उन्होंने अपना रचना संसार हिंदी भाषा में रचा। ‘नवभारत टाइम्स के सहायक संपादक तथा ‘दिनमान साप्ताहिक के संपादक रहे।आईएएसके बाद स्वतंत्र लेखन में रत रहे।
इन्होंने प्रचुर गद्य और पद्य लिखे हैं। रघुवीर सहाय ‘दूसरा सप्तक के कवियों में हैं। मुख्य काव्य-संग्रह हैं : ‘आत्महत्या के विरुध्द, ‘हंसो हंसो जल्दी हंसो, ‘सीढियों पर धूप में, ‘लोग भूल गए हैं, ‘कुछ पते कुछ चिट्ठियां आदि। ये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।

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करियर

रघुवीर सहाय दैनिक ‘नवजीवन’ में उपसंपादक और सांस्कृतिक संवाददाता रहे। ‘प्रतीक’ के सहायक संपादक, आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक, ‘कल्पना'[2] तथा आकाशवाणी[3], में विशेष संवाददाता रहे। ‘नवभारत टाइम्स’, दिल्ली में विशेष संवाददाता रहे। समाचार संपादक, ‘दिनमान’ में रहे। रघुवीर सहाय ‘दिनमान’ के प्रधान संपादक 1969 से 1982 तक रहे। उन्होंने 1982 से 1990 तक स्वतंत्र लेखन किया।

रचना के विषय

सहाय ने अपनी कृतियों में उन मुद्दों, विषयों को छुआ जिन पर तब तक साहित्य जगत् में बहुत कम लिखा गया था। उन्होंने स्त्री विमर्श के बारे में लिखा, आम आदमी की पीडा ज़ाहिर की और 36 कविताओं के अपने संकलन की पुस्तक ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ के जरिए द्वंद्व का चित्रण किया। सहाय एक बडे और लंबे समय तक याद रखे जाने वाले कवि हैं। उन्होंने साहित्य में अक्सर अजनबीयत और अकेलेपन को लेकर लिखी जाने वाली कविताओं से भी परे जाकर अलग मुद्दों को अपनी कृतियों में शामिल किया।
सहाय राजनीति पर कटाक्ष करने वाले कवि थे। मूलत: उनकी कविताओं में पत्रकारिता के तेवर और अख़बारी तजुर्बा दिखाई देता था। भाषा और शिल्प के मामले में उनकी कविताएं नागार्जुन की याद दिलाती हैं। अज्ञेय की पुस्तक ‘दूसरा सप्तक’ में रघुवीर सहाय की कविताओं को शामिल किया गया। उस दौर में तीन नाम शीर्ष पर थे – गजानन माधव मुक्तिबोध फंतासी के लिए जाने जाते थे, शमशेर बहादुर सिंह शायरी के लिए पहचान रखते थे, जबकि सहाय अपनी भाषा और शिल्प के लिए लोकप्रिय थे।

रचनाएँ

काव्य संग्रह

  • सीढ़ि‍यों पर धूप में
  • आत्‍महत्‍या के विरूद्ध
  • लोग भूल गये हैं
  • कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ
  • एक समय था
  • हँसो हँसो जल्दी हँसो

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कविताएँ

  • पहले बदलो
  • लोकतन्त्र का संकट
  • समझौता
  • मौक़ा
  • अरे, अब ऐसी कविता लिखो
  • पराजय के बाद
  • स्वाधीन व्यक्ति
  • आनेवाला खतरा
  • प्रभाती
  • बिखरना
  • आनेवाला कल
  • दे दिया जाता हूँ
  • आओ, जल भरे बर्तन में
  • यही मैं हूँ
  • पानी
  • पानी के संस्मरण
  • जब मैं तुम्हें
  • इतने शब्द कहाँ हैं
  • मत पूछना
  • हम दोनों
  • बसन्त आया
  • आज फिर शुरू हुआ
  • संशय
  • अख़बारवाला
  • तोड़ो
  • अधिनायक
  • सेब बेचना
  • अरे अब ऐसी कविता लिखो
  • प्रेम नई मनः स्थिति
  • लम्बी सड़कें
  • गुमसुम रात में
  • सोचने का परिणाम
  • बुड्ढ़े की मृत्यु
  • जानना
  • कमरा
  • याचना
  • राष्ट्रगीत
  • दुनिया
  • पढ़िए गीता
  • नशे में दया
  • बसंत
  • भला
  • प्रतीक्षा
  • खिंचा चला जाता है
  • दर्द
  • पुरानी तस्वीर
  • औरत की ज़िन्दगी
  • हमारी हिंदी
  • दृश्य-1
  • चाँद की आदतें
  • अगर कहीं मैं तोता होता
  • बौर
  • पानी के संस्मरण
  • खोज खबर
  • नई हंसी
  • वसंत
  • अँग्रेज़ी
  • दृश्य-2
  • अतुकांत चंद्रकांत
  • चढ़ती स्त्री
  • लाखों का दर्द
  • सुकवि की मुश्किल
  • वसन्त
  • स्वीकार
  • नारी
  • बौर
  • एक रात नागा
  • बिखरना
  • ठंड से मृत्यु
  • गुलामी
  • बदलो
  • बड़ा अफ़सर
  • आप की हँसी
  • रामदास
  • मेरा जीवन
  • अकेला
  • निंदा
  • बिखरना
  • मेरे अनुभव
  • हिन्दी
  • डर
  • ग़रीबी
  • बेटे से
  • बैंक में लड़कियाँ
  • मेरी स्त्री
  • फ़िल्म के बाद चीख़
  • सभी लुजलुजे हैं
  • किताब पढ़कर रोना

बाल कविताएँ

  • चल परियों के देश
  • फायदा

सम्मान

रघुवीर सहाय को 1982 में लोग भूल गए हैं कविता संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

निधन

रघुवीर सहाय का निधन 30 दिसंबर 1990 को नई दिल्ली में हुआ था।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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