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राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी – Rajendra Kumar Pachauri Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी – Rajendra Kumar Pachauri Biography Hindi के बारे में बताएगे।

राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी – Rajendra Kumar Pachauri Biography Hindi

राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी
राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी

(English – Rajendra Kumar Pachauri)राजेन्द्र कुमार पचौरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित प्रसिद्ध पर्यावरणविद थे।

2001 में पचौरी टेरी के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए।

इसी वर्ष भारत सरकार ने उनको उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया।

उन्हें अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल्बर्ट ऑर्नल्ड (अल) गोर गुनियर के साथ संयुक्त रूप से 2007 का ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ मिला था।

संक्षिप्त विवरण

नामराजेन्द्र पचौरी
पूरा नाम, अन्य नाम
डॉ राजेन्द्र कुमार पचौरी
जन्म20 अगस्त, 1940
जन्म स्थाननैनीताल, उत्तराखण्ड
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
मृत्यु
13 फरवरी, 2020
मृत्यु स्थान
नई दिल्ली, भारत

जन्म – राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी

राजेन्द्र कुमार पचौरी का जन्म 20 अगस्त, 1940 को नैनीताल, उत्तराखण्ड में हुआ था।

उनका परिवार हाई क्लास है। एक भाई लेफ्टिनेंट कर्नल है।

उनके पिता ने लंदन से पी.एचडी. की थी और एजुकेशनल साइकोलॉजिस्ट थे।

उनकी पत्नी सरोज डॉक्टर हैं और इंडियन पॉपुलेशन काउंसिल में स्कॉलर रही हैं।

वे दिल्ली के गोल्फ लिंक में रहते हैं। वहां उनके पड़ोसियों में लक्ष्मी मित्तल भी शामिल हैं।

उस घर की कीमत 55 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

शिक्षा

Rajendra Kumar Pachauri ने उत्तरी केरोलिना राज्य विश्वविद्यालय और ला मार्टिनियर, लखनऊ से अपनी शिक्षा प्राप्त की।

करियर

राजेंद्र कुमार ने अपने करियर की शुरुआत बतौर रेलवे एप्रेंटिस हुई थी। राजेन्द्र पचौरी ने डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी, उत्तर प्रदेश से अपने कैरियर का आगाज किया। यहां उन्होंने कई वरिष्ट प्रबंधकीय पदों पर कार्य को बखूबी अंजाम दिया। पचौरी जब भारत लौटे तो उनका अनुभव भी उनके साथ था।

भारत लौटकर पचौरी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज, हैदराबाद में बतौर सीनियर फैकल्टी मेम्बर नियुक्त हुए। 1975 से 1979 तक आप यहीं कार्यरत रहे। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि हैदराबाद के इसी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज में देश के वरिष्ट नौकरशाहों (आईएएस) को प्रशिक्षित किया जाता है।

उच्च पदों पर कार्य – राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी

जुलाई, 1979 से 1981 मार्च तक राजेन्द्र पचौरी कंसलटिंग एंड एप्लाइड रिसर्च डिविजन में डायरेक्टर रहे।
अप्रैल, 1981 में राजेन्द्र पचौरी ने टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट (टेरी) का कार्यभार बतौर डायरेक्टर संभाला। ऊर्जा, पर्यावरण, वन, बायो तकनिक तथा प्राकृतिक संपदाओं के अनुरक्षण के क्षेत्र में टेरी को महारत हासिल है।
2001 में पचौरी टेरी के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए। इसी वर्ष भारत सरकार ने उनको उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया।
1988 में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम तथा विश्व जलवायु संगठन ने आईपीसीसी की स्थापना की। राजेन्द्र पचौरी ने 20 अप्रैल, 2002 को इस संस्था के चेयरमैन का पदभार संभाला।

भारतीय समितियों में सहभागिता

भारत सरकार की अनेक समितियों में भी राजेन्द्र पचौरी की सहभागिता रही। बतौर सदस्य राजेन्द्र पचौरी ऊर्जा के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए। यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था।

इसके अतिरिक्त दिल्ली विजन–कोर प्लानिंग ग्रुप, भारत सरकार के एडवाइजरी बोर्ड ऑन एनर्जी, नेशनल एनवायरनमेंटल काउंसिल तथा ऑयल इंडस्ट्री रिस्ट्रक्चरिंग ग्रुप के मेम्बर भी पचौरी रहे। ट्राइरीम साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में उन्हें शामिल किया गया था। इंडिया इंटरनेशल सेंटर की एक्जीक्यूटिव कमेटी के वे 1985 से सदस्य हैं।

1987 से इंडिया हैबिटेट सेंटर की गवर्निंग काउंसिल का मेम्बर होने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ कॉलेज के कोर्ट ऑफ़ गवर्नर्स के भी वे सदस्य हैं। राजेन्द्र पचौरी को 1999 में को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हेरिटेज फाउंडेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2001 में उन्हें प्रधानमंत्री के प्रति उत्तरदायी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का सदस्य बनाया गया।

10 दिसंबर, 2007 को ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त करते समय उनकी विनम्रता दर्शनीय थी। राजेन्द्र पचौरी ने आईपीसीसी के लिए ‘नोबेल पुरस्कार’ ग्रहण करते हुए कहा था कि- “इस पुरस्कार के मिलने से जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या की ओर समूचे विश्व का ध्यान आकृष्ट होगा।”

उपलब्धियाँ और पुरस्कार – राजेन्द्र कुमार पचौरी की जीवनी

राजेन्द्र पचौरी की अनेक उपलब्धियां रही हैं-

  • वेस्ट वजीर्निया यूनिवर्सिटी के मिनरल एंड एनर्जी रिसोर्सेज कॉलेज में रिसोर्स इकोनॉमिक्स विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर रहे।
  • रिसोर्स सिस्टम इंस्टीट्युट, ईस्ट–वेस्ट सेंटर, अमेरिका में सीनियर विजिटिंग फैलो रहे।
  • विश्व बैंक, वाशिंगटन, डी.सी. में विजिटिंग रिसर्च फैलो रहे। राजेन्द्र पचौरी 1994 से 1999 तक इस कार्य से जुड़े रहे।
  • 2000 में पचौरी येल यूनिर्वसिटी, अमेरिका के स्कूल ऑफ़ एनवायरमेंटल एंड फ़ॉरेस्ट स्टडीज से बतौर फैलो जुड़े।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजेन्द्र पचौरी इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (आईएसईएस) तथा वर्ल्ड रिर्सोर्सिंग इंस्टीट्युट ऑन डेवलपिंग कंट्रीज से बतौर मेम्बर जुड़े रहे।
  • इंटरनेशल एसोसिएशन फ़ॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स (आईएईई) वाशिंगटन, डी.सी. में पचौरी ने पहले प्रेसिडेंट तथा बाद में चेयरमैन का पदभार संभाला।
    राजेन्द्र पचौरी 1992 से एशियन एनर्जी इंस्टीट्युट के प्रेजिडेंट भी हैं।
  • भारत सरकार ने पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए राजेन्द्र पचौरी को 2001 में ‘पद्म विभूषण’ से नवाजा  गया। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में वारोलिना स्टेट विश्वविद्यालय में एमएस और पीएच डी की उपाधि लेने वाले राजेन्द्र पचौरी के ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र के कार्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1994 से 1999 तक उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया था।
    यही नहीं उनको 14 जुलाई, 2006 को जब फ़्राँस के राष्ट्रीय दिवस पर नई दिल्ली में कुछ चुनिंदा लोगों के साथ सम्मानित किया गया, तब भारत में फ़्राँस के राजदूत डी गिरार्ड ने कहा कि “आप केवल विज्ञानी ही नहीं, बल्कि एक जिंदादिल इनसान भी हैं।” पचौरी की इस जिंदादिली ने उन्हें और उनकी अध्यक्षता वाली संस्था को इस मुकाम तक पहुंचाया कि विश्व शांति के ‘नोबल पुरस्कार’ में भारत की हिस्सेदारी भी जुड़ गई। पर्यावरण संतुलन पर कार्य करने वाले राजेन्द्र पचौरी का मानना है कि “ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारण विश्व भर में कोई सुरक्षित नहीं है।

निधन

डॉ. राजेंद्र कुमार पचौरी का निधन 13 फरवरी, 2020 को हुआ।

इसे भी पढ़े – 20 फरवरी का इतिहास – 20 February History Hindi

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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