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राजेंद्र कुमार की जीवनी – Rajendra Kumar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको राजेंद्र कुमार की जीवनी – Rajendra Kumar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

राजेंद्र कुमार की जीवनी – Rajendra Kumar Biography Hindi

राजेंद्र कुमार की जीवनी - Rajendra Kumar Biography Hindi

Rajendra Kumar भारतीय फ़िल्म अभिनेता थे। उन्होने 1950 में बतौर अभिनेता उनकी फिल्म ‘जोगन’ थी।

गूंज उठी शहनाई उनकी पहली सुपर हिट फिल्म रही।

इसके अलावा मदर इंडिया, संगम, मेरे महबूब, आरजू उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में रही।

उनकी कई फिल्मों ने रजत जयंती – सिल्वर जुबली मनाई, इसलिए उन्हे जुबली कुमार कहा जाने लगा।

1969 में राजेंद्र कुमार को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

जन्म

राजेंद्र कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को पंजाब के सियालकोट में हुआ था।

उनकी पत्नी का नाम शुक्ला था। उनका एक बेटा तथा दो बेटियाँ जिनका नाम इस प्रकार है –  उनके पुत्र कुमार गौरव का विवाह राज कपूर की पुत्री रीमा के साथ तय हुआ था लेकिन किसी कारणवश वह रिश्ता टूट गया। इसके पश्चात् उसका विवाह सुनील दत्त और नर्गिस की पुत्री नम्रता- जो कि संजय दत्त की बहन हैं- के साथ संपन्न हुआ।

करियर – राजेंद्र कुमार की जीवनी

उन्होने 1950 में बतौर अभिनेता उनकी फिल्म ‘जोगन’ थी।

जिसमें उनको दिलीप कुमार और नर्गिस के साथ अभिनय करने का अवसर मिला।

उनको 1957 में बनी मदर इंडिया से ख्याति प्राप्त हुयी जिसमें उन्होंने नर्गिस के बेटे की भूमिका अदा की।

1959 की फ़िल्म गूँज उठी शहनाई की सफलता के बाद उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेता नाम कमाया।

60 के दशक में उन्होंने काफ़ी नाम कमाया और कई दफ़ा ऐसा भी हुआ कि उनकी 6-7 फ़िल्में एक साथ सिल्वर जुबली हफ्ते में होती थीं। इसी कारण से उनका नाम ‘जुबली कुमार’ पड़ गया।अपने फ़िल्मी जीवन में राजेन्द्र कुमार ने कई सफल फ़िल्में दीं जैसे धूल का फूल, दिल एक मंदिर, मेरे महबूब, संगम, आरज़ू, प्यार का सागर, गहरा दाग़, सूरज और तलाश।

उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार के लिए फ़िल्म दिल एक मंदिर, आई मिलन की बेला और आरज़ू के लिए नामांकित किया गया और सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता की श्रेणी में संगम के लिए।

1972 से उनको राजेश खन्ना से स्पर्धा का सामना करना पड़ा।

इसी दौरान नूतन के साथ उन्होंने 1978 में फ़िल्म साजन बिना सुहागन में काम किया।

70 के दशक के आख़िर से 80 के दशक तक उन्होंने चरित्र भूमिका की ओर रुख़ किया।

उन्होंने कई पंजाबी फ़िल्मों में भी काम किया जैसे तेरी मेरी एक जिन्दड़ी।

1981 में उन्होंने अपने पुत्र कुमार गौरव को फ़िल्मों में लव स्टोरी नामक फ़िल्म से प्रवेश करवाया। इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक होने के साथ-साथ उन्होंने इस फ़िल्म में कुमार गौरव के पिता की भूमिका भी अदा की।

यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस में बहुत सफल सिद्ध हुयी।

उन्होंने अपने पुत्र को लेकर कई और फ़िल्में भी निर्मित कीं।

1986 में उन्होंने अपने पुत्र और संजय दत्त को लेकर नाम फ़िल्म बनाई जो फिर से बॉक्स ऑफ़िस में धमाल करने में कामयाब हुयी। उनका आख़िरी अभिनय अर्थ फ़िल्म में था।

फिल्में

जोगन – 1950आवाज़ – 1956तूफ़ान और दिया – 1956मदर इंडिया – 1957
एक झलक – 1957देवर भाभी – 1958घर संसार – 1958खजांची – 1958
तलाक – 1958चिराग कहाँ रोशनी कहाँ – 1959धूल का फूल – 1959दो बहन – 1959
गूंज उठी शहनाई – 1959संतान – 1959क़ानून – 1960माँ बाप – 1960
मेंहदी रंग लाग्यो – 1960पतंगा – 1960आस का पंछी – 1961धर्मपुत्र – 1961
घराना – 1961प्यार का सागर – 1961ससुराल – 1961ज़िंदगी और ख़्वाब – 1961
अकेली मत जइयो – 1963अमर रहे ये प्यार – 1963दिल एक मंदिर – 1963गहरा दाग़ – 1963
हमराही – 1963मेरे महबूब – 1963आई मिलन की बेला – 1964संगम – 1964
ज़िंदगी – 1964आरजू – 1965सूरज – 1966अमन – 1967
पालकी – 1967झुक गया आसमान – 1968साथी – 1968अंजाना – 1969
शतरंज – 1969तलाश – 1969धरती – 1970गँवार – 1970
गीत – 1970मेरा नाम जोकर – 1970आप आये बहार आई – 1971आन बान – 1972
गाँव हमारा शहर तुम्हारा – 1972गोरा और काला – 1972ललकार – 1972तांगेवाला – 1972
दो शेर – 1974दु:ख भंजन तेरा नाम – 1974दो जासूस – 1975रानी और लालपरी – 1975
सुनहरा संसार – 1975तेरी मेरी ज़िंदगी – 1975मज़दूर जिंदाबाद – 1976दो शोले – 1977
शिरडी के साईं बाबा – 1977आहुति – 1978साजन बिना सुहागन – 1978सोने का दिल लोहे का हाथ – 1978
डाकू और महात्मा – 1978बिन फेरे हम तेरे – 1979ओह बेवफ़ा – 1980धन दौलत – 1980
बदला और बलिदान – 1980गुनहगार – 1980ये रिश्ता ना टूटे – 1981लव्ह स्टोरी – 1981
साजन की सहेली – 1981मैं तेरे लिये – 1988क्लर्क – 1989फूल – 1993
दिया और तूफान – 1995अंदाज़ – 1995अर्थ – 1998

पुरस्कार – राजेंद्र कुमार की जीवनी

राजेंद्र कुमार ने 1950 और 1960 के दशक में कई कामयाब फ़िल्में दी। इनमें ‘धूल का फूल’, ‘मेरे महबूब’, ‘संगम’ और ‘आरजू’ प्रमुख रहीं। राजेंद्र कुमार को फ़िल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में तीन बार नामांकन मिला, हालांकि उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिल पाया, क्योंकि वह दौर कई महान् अभिनेताओं का था, जो कुछ मामलों में उनसे बीस नजर आए।

1969 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। हिन्दी फ़िल्म ‘क़ानून’ और गुजराती फ़िल्म ‘मेंहदी रंग लाग्यो’ के लिए उन्हें पं. जवाहरलाल नेहरू के कर-कमलों द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजेंद्र कुमार की जीवनी – Rajendra Kumar Biography Hindi

मृत्यु

Rajendra Kumar की मृत्यु 12 जुलाई 1999 को कैंसर के कारण हुई।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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