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राजेंद्र प्रसाद की जीवनी – Rajendra Prasad Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको राजेंद्र प्रसाद की जीवनी – Rajendra Prasad Biography Hindi के बारे में बताएगे।

राजेंद्र प्रसाद की जीवनी – Rajendra Prasad Biography Hindi

राजेंद्र प्रसाद की जीवनी
राजेंद्र प्रसाद की जीवनी

राजेन्द्र प्रसाद स्वतन्त्रता सेनानी और भारत के पहले राष्ट्रपति थे।

वे दो बार भारत के राष्ट्रपति चुने गए।

उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।

उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना अहम योगदान दिया था जिसकी परिणति 26 जनवरी 1950 को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी।

उन्हे 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया।

राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। राष्ट्रपति के रूप में 12 साल के कार्यकाल के बाद वर्ष 1962 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेवानिवृत्त हो गए और उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

जन्म

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई गांव सीवान जिला, बिहार में हुआ था।

उनके पिता का नाम महादेव सहाय और उनकी माता का नाम कमलेश्वरी देवी था।

प्रसाद का विवाह भी केवल बारह वर्ष की आयु में हो गया था।

उनकी पत्नी का नाम राजवंशी देवी था।

राजेन्द्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी।

उनके चेहरे मोहरे को देखकर पता ही नहीं लगता था कि वे इतने प्रतिभा सम्पन्न और उच्च व्यक्तित्व वाले सज्जन हैं।

देखने में वे सामान्य किसान जैसे लगते थे।

उन्हे पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था।

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शिक्षा – राजेंद्र प्रसाद की जीवनी

उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और उन्हें 30 रूपए मासिक छात्रवृत्ति दिया गया। वर्ष 1902 में उन्होंने प्रसिद्ध कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। यहाँ उनके शिक्षकों में महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस और माननीय प्रफुल्ल चन्द्र रॉय शामिल थे।

बाद में उन्होंने विज्ञान से हटकर कला के क्षेत्र में एम ए और कानून में मास्टर्स की शिक्षा पूरी की। इसी बीच, वर्ष 1905 में अपने बड़े भाई महेंद्र के कहने पर राजेंद्र प्रसाद स्वदेशी आंदोलन से जुड़ गए। वह सतीश चन्द्र मुख़र्जी और बहन निवेदिता द्वारा संचालित ‘डॉन सोसाइटी’ से भी जुड़े।

करियर

योगदान

राष्ट्रपति बनते ही प्रसाद ने कई सामाजिक कार्यों में योगदान दिया उन्होने कई सरकारी दफ्तरों की स्थापना की और उसी समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया।

राज्य सरकार के मुख्य होने के कारण उन्होंने कई राज्यों में पढाई का विकास किया कई पढाई करने की संस्थाओ का निर्माण किया और शिक्षण क्षेत्र के विकास पर ज्यादा ध्यान देने लगे।

उनके इसी तरह के विकास भरे काम को देखकर 1957 के चुनावो में चुनाव समिति द्वारा उन्हें फिर से राष्ट्रपति घोषित किया गया और वे अकेले ऐसे व्यक्ति बने जिन्हें लगातार दो बार भारत का राष्ट्रपति चुना गया।

पुरस्कार – राजेंद्र प्रसाद की जीवनी

पुस्तकें

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विचार – राजेंद्र प्रसाद की जीवनी

मृत्यु

भारत के पहले राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की मृत्यु 28 फरवरी 1963 में हुआ था।

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