राजेन्द्रलाल मित्रा (English – Rajendralal Mitra) भारत विद्या से संबंधित विषयों के प्रख्यात विद्वान् थे। उन्होंने अनेक ग्रंथ एवं रचनाओं का संपादन किया है। राजेन्द्रलाल मित्रा 25 वर्ष तक ‘वाडिया इंस्टीट्यूट’ के निदेशक रहे थे।
राजेन्द्रलाल मित्रा की जीवनी – Rajendralal Mitra Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | राजेन्द्रलाल मित्रा |
पूरा नाम, अन्य नाम | राजेन्द्रलाल मित्रा |
जन्म | 16 फरवरी, 1822 |
जन्म स्थान | कोलकाता, भारत |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | 27 जुलाई, 1891 |
मृत्यु स्थान | – |
जन्म
राजेन्द्रलाल मित्रा का जन्म 16 फरवरी, 1822 ई. में कोलकाता, भारत में हुआ था।
शिक्षा
Rajendralal Mitra की शिक्षा में बड़ी बाधाएं आईं। 15 वर्ष की उम्र में मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए। वहां चार वर्ष की पढ़ाई में अपनी योग्यता से बड़ी ख्याति अर्जित की, पर कुछ कारणों से डिग्री नहीं ले सके। फिर इन्होंने कानून की पढ़ाई आरंभ की, पर पर्चे आउट हो जाने की सूचना से यहां भी परीक्षा नहीं हो सकी। लेकिन अपने अध्यवसाय से इन्होंने संस्कृत, फ़ारसी, बंगला और अंग्रेजी भाषाओं में दक्षता-प्राप्त की
करियर
1849 में प्रसिद्ध संस्था ‘एशियाटिक सोसायटी’ के सहायक मंत्री बन गए। यहां पर पुस्तकों और पांड्डलिपियों का भंडार इनके अध्ययन के लिए खुल गया। 10 वर्ष सोसायटी में रहने के बाद 25 वर्ष तक वे ‘वाडिया इंस्टीट्यूट’ के निदेशक रहे। फिर भी सोसायटी से उनका संपर्क बना रहा।
लेखन कार्य
- छांदोग्य उपनिषद
- तैत्तरीय ब्राह्मण और आरण्यक
- गोपथ ब्राह्मण
- ऐतरेय आरण्यक
- पातंजलि का योगसूत्र
- अग्निपुराण
- वायुपुराण
- बौद्ध ग्रंथ ललित विस्तार
- अष्टसहसिक
- उड़ीसा का पुरातत्व
- बोध गया
- शाक्य मुनि
सम्पादन कार्य
राजेन्द्रलाल मित्रा अनेक संस्थाओं के सम्मानित सदस्य थे। 1885 में ये ‘एशियाटिक सोसायटी’ के अध्यक्ष रहे। 1886 की कोलकाता कांग्रेस में उन्होंने अपने विचार प्रकट किए थे। ‘विविधार्थ’ और ‘रहस्य संदर्भ’ नामक पत्रों का संपादन किया।
पुरस्कार
उनकी योग्यता के कारण सरकार ने पहले उन्हें ‘रायबहादुर’ और 1888 में ‘राजा’ की उपाधि दे कर सम्मानित किया था।
निधन
राजेन्द्रलाल मित्रा का निधन 27 जुलाई, 1891 को हुआ।