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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography Hindi

रामधारी सिंह 'दिनकर' की जीवनी

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, कवि और निबंधकार थे।

वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर कवियों में से एक थे।

रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता के बाद एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाने लगे।

वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे।

एक और उनकी कविताओं में जोश,विद्रोह आक्रोश और क्रांति की पुकार है तो दूसरी और कोमल श्रृंगारिक भावनाओं को भी व्यक्त करती है।

इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरमोत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में भी मिलता है।

जन्म

रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 दिसंबर 1908 को सिमरिया गांव के बेगूसराय, बिहार में हुआ था।

शिक्षा – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी

रामधारी सिंह दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से B.A की परीक्षा उत्तीर्ण की।

और इसके बाद में उन्होंने एक विद्यालय में अध्यापक के रूप में कार्य किया

करियर

रामधारी सिंह दिनकर ने 1934 से 1947 तक बिहार सरकार की सेवा में सब रजिस्ट्रार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक के पदों पर काम किया।

1950 से 1952 तक रामधारी दिनकर ने मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिंदी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर भी कार्य कर चुके हैं और इसके बाद उन्होंने भारत सरकार के हिंदी सलाहकार के रूप में भी कार्य किया और वे फिर दिल्ली लौट आये।

रामधारी सिंह दिनकर का 4 साल में 22 बार तबादला किया गया था।

कृतियां

रामधारी दिनकर ने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना भी की।

रामधारी दिनकर ने एक प्रगतिवादी और मानवता वादी कवि के रूप में ऐतिहासिक पात्र और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों का तानाबाना दिया उनकी प्रमुख रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल है। उर्वशी को छोड़कर दिनकर के अधिकतर रचनाएं वीर रस से ओत-प्रोत है। भूषण के बाद उन्हें वीर रस का श्रेष्ठ कवि  माना जाने लगा।

उनकी रचना उर्वशी को ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया।

उनकी रचना की कहानी मानवीय, प्रेम वासना और संबंधों के आस-पास घूमती है।

उर्वशी नामक कहानी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद लिखी गई रचना है।

वहीं सामधेनी की रचना कवि के सामाजिक चिन्तन के अनुरुप हुई है।

संस्कृति के चार अध्याय में दिनकरजी ने कहा कि सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद भारत एक देश है।

क्योंकि सारी विविधताओं के बाद भी, हमारी सोच एक जैसी है।

काव्य

बारदोली विच्छेद संदेश -1928 मेंप्रणभंग -1929 मेंरेणुका -1935 में
हुंकार -1938 मेंरसवन्ती -1939 मेंद्वंद्वगीत -1940 में
कुरूक्षेत्र -1946 मेंधूपछाँह -1947 मेंसामधेनी -1947 में
बापू -1947 मेंइतिहास के आँसू -1951 मेंधूप और धुआँ -1951 में
मिर्च का मजा -1951 मेंरश्मिरथी -1952 मेंदिल्ली -1954 में
नीम के पत्ते -1954 मेंनील कुसुम -1955 मेंसूरज का ब्याह -1955 में
चक्रवाल -1956 मेंकविश्री -1957 मेंसीपी और शंख -1957 में
नये सुभाषित -1957 मेंलोकप्रिय कवि दिनकर -1960 मेंउर्वशी -1961 में
परशुराम की प्रतीक्षा -1963 मेंआत्मा की आँखें -1964 मेंकोयला और कवित्व -1964 में
मृत्तितिलक -1964 मेंदिनकर की सूक्तियाँ -1964 मेंहारे को हरिनाम -1970 में
संचियता -1973 मेंदिनकर के गीत -1973 मेंरश्मिलोक -1974 में
उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ -1974 में

गद्य

 1946 में मिट्टी की ओर1948 में चित्तोड़ का साकाअर्धनारीश्वर -1952
रेती के फूल -1954हमारी सांस्कृतिक एकता -1955भारत की सांस्कृतिक कहानी -1955
संस्कृति के चार अध्याय -1956उजली आग -1956देशविदेश -1957
राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता -1955काव्य की भूमिका -1958पन्तप्रसाद और मैथिलीशरण -1958
वेणुवन -1958धर्म, नैतिकता और विज्ञान -1969वटपीपल -1961
लोकदेव नेहरू -1965शुद्ध कविता की खोज -1966साहित्यमुखी -1968
राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी -1968हे राम! -1968संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ -1970
भारतीय एकता -1 971मेरी यात्राएँ -1 971दिनकर की डायरी -1973
चेतना की शिला -1973विवाह की मुसीबतें -1973आधुनिक बोध -1973

 पुरस्कार – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी

  • रामधारी दिनकर जी को उनके रचना कुरुक्षेत्र के लिए काशी नागरी प्रचारिणी सभा उत्तर प्रदेश सरकार
    और भारत सरकार के द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ।
  • द्वापर युग की ऐतिहासिक घटना महाभारत पर आधारित उनके प्रबन्ध काव्य कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74वाँ स्थान दिया गया।
  • संस्कृति के चार अध्याय के लिए उन्हें 1968 में साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया।
  • भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 1959 में रामधारी दिनकर को पदम विभूषण से सम्मानित किया।
  • भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलाधिपति और बिहार के राज्यपाल जाकिर हुसैन, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने,उनके द्वारा उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से नवाजा गया ।
  • गुरू महाविद्यालय ने उन्हें विद्या वाचस्पति के लिये चुना।
  • 1968 में राजस्थान विद्यापीठ ने उन्हें साहित्यचूड़ामणि से सम्मानित किया।
  • 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया।
  • 1952 में वे राज्यसभा के लिए चुने गये और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।

मरणोपरांत

  • 30 सितम्बर 1987 को उनकी 13वीं पुण्यतिथि पर तत्कालीन राष्ट्रपति जैल सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
  • 1999 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
  • केंद्रीय सूचना और प्रसारण मन्त्री प्रियरंजन दास मुंशी ने उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर व्यक्तित्व और कृतित्व पुस्तक का विमोचन किया।
  • उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर बिहार के मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार ने उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। कालीकट विश्वविद्यालय में भी इस अवसर को दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

मृत्यु

रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को मद्रास, तमिलनाडु, भारत में हुई थी।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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