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रामनरेश यादव की जीवनी – Ramnaresh Yadav Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको रामनरेश यादव की जीवनी – Ramnaresh Yadav Biography Hindi के बारे में बताएंगे

रामनरेश यादव की जीवनी – Ramnaresh Yadav Biography Hindi

रामनरेश यादव की जीवनी
रामनरेश यादव की जीवनी

Ramnaresh Yadav यादव एक भारतीय राजनेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे।

वे जनता पार्टी के एक नेता थे।

1977 के जनता पार्टी की सरकार के आने पर वह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने ।

इसके बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।

उन्होने केन्द्रीय जन संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत गठित हिन्दी भाषा समिति के सदस्य के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

राम नरेश यादव ने वित्त मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण नारकोटिक्स समिति के सदस्य के रूप में सीमावर्ती राज्यों में नशीले पदार्थों की खेती की रोकथाम की पहल की। ‘प्रतिभूति घोटाले’ की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के रूप में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। ‘पब्लिक एकाउंट कमेटी’ (पी.ए.सी.), ‘संसदीय सलाहकार समिति’ (गृह विभाग), ‘रेलवे परामर्शदात्री समिति’ और ‘दूरभाष सलाहकार समिति’ के सदस्य के रूप में भी उन्होने काम किया।

श्री यादव जी कुछ समय तक कृषि की स्थाई संसदीय समिति के सदस्य और ‘इंडियन काँसिल ऑफ़
एग्रीकल्चरल रिसर्च’ की जनरल बाडी एवं गवर्निंग बाडी के सदस्य भी रह चुके है।

उन्होंने लखनऊ में ‘अम्बेडकर विश्वविद्यालय’ को ‘केन्द्रीय विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिलाने में काफ़ी महत्वपूर्ण
योगदान दिया।

जन्म – रामनरेश यादव की जीवनी

राम नरेश यादव का जन्म 1 जुलाई, 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, ज़िले के गाँव आँधीपुर (अम्बारी) में हुआ था ।

वे एक साधारण किसान परिवार से थे ।

उनका बचपन खेत-खलिहानों से होकर गुजरा।

उनकी माता  का नाम भागवन्ती देवी था जो एक साधारण और धार्मिक विचारों वाली औरत थीं

और उनके पिता का नाम गया प्रसाद जी था

वे महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे।

राम नरेश यादव के पिता प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे तथा सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे।

यादव जी को देशभक्ति, ईमानदारी और सादगी की शिक्षा अपने पिता से ही विरासत में मिली थी।

राम नरेश यादव का भारतीय राजनीति में अपना विशेष स्थान है।

स्वदेशी और स्वावलंबन उनके जीवन का आदर्श रहा है।

उनके बहुमुखी कृतित्व और व्यक्तित्व के कारण ही वे ‘बाबूजी’ के नाम से भी जाने जाते हैं।

राम नरेश यादव की शादी 1949 में करमिसिरपुर (मालीपुर), अम्बेडकर नगर , उत्तर प्रदेश निवासी राजाराम
यादव की बेटी अनारी देवी ऊर्फ शांति देवी के साथ हुआ थी ।

राम नरेश यादव तीन बेटे और पाँच बेटियाँ है।

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शिक्षा

राम नरेश यादव की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई और उन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा आजमगढ़ के मशहूर ‘वेस्ली हाई स्कूल’ से ग्रहण की। राम नरेश यादव ने इन्टरमीडिएट ने ‘डी.ए.वी. कॉलेज से और वाराणसी से और बी.ए., एम.ए.  की शीशा प्राप्त की और एल.एल.बी. की डिग्री उन्होने ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’, वाराणसी से प्राप्त की।

उस समय प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक और विचारक आचार्य नरेन्द्र देव ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के कुलपति थे।

विश्वविद्यालय के संस्थापक और जनक पंडित मदनमोहन मालवीय के गीता पर उपदेश और भारत के
पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन प्रोफ़ेसर राधाकृष्णन के भारतीय दर्शन से राम नरेश यादव बहुत प्रभावित हुए।

करियर – रामनरेश यादव की जीवनी

1977 से 2011 तक

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योगदान

मानव संसाधन विकास संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पहले अध्यक्ष के रूप में राम नरेश यादव ने स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति के चहुंमुखी विकास को दिशा देने संबंधी रिपोर्ट सदन में पेश की।  उन्होने केन्द्रीय जन संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत गठित हिन्दी भाषा समिति के सदस्य के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। राम नरेश यादव ने वित्त मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण नारकोटिक्स समिति के सदस्य के रूप में सीमावर्ती राज्यों में नशीले पदार्थों की खेती की रोकथाम की पहल की।

‘प्रतिभूति घोटाले’ की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के रूप में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

‘पब्लिक एकाउंट कमेटी’ (पी.ए.सी.), ‘संसदीय सलाहकार समिति’ (गृह विभाग), ‘रेलवे परामर्शदात्री समिति’ और ‘दूरभाष सलाहकार समिति’ के सदस्य के रूप में भी उन्होने काम किया। श्री यादव जी कुछ समय तक कृषि की स्थाई संसदीय समिति के सदस्य और ‘इंडियन काँसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ की जनरल बाडी एवं गवर्निंग बाडी के सदस्य भी रह चुके है।

उन्होंने लखनऊ में ‘अम्बेडकर विश्वविद्यालय’ को ‘केन्द्रीय विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिलाने में काफ़ी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मृत्यु – रामनरेश यादव की जीवनी

रामनरेश यादव की 22 नवंबर, 2016 को लंबी बीमारी के कारण लखनऊ के ‘संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान’ में उनकी मृत्यु हो गई।

उस समय वे 88 साल के थे।

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