आज इस आर्टिकल में हम आपको राणा हम्मीर की जीवनी – Hammir Singh Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
राणा हम्मीर की जीवनी – Hammir Singh Biography Hindi
राणा हम्मीर 14 वी शताब्दी के भारत के राजस्थान के मेवाड़ के योद्धा और शासक थे।
13 वीं शताब्दी मे दिल्ली सल्तनत ने गुहिलों की सिसोदिया राजवंश के शाखा को मेवाड़ से सत्तारूढ़ कर दिया था,
इससे पहले गुहिलो की रावल शाखा का शासन था।
जिसके प्रथम शासक बप्पा रावल थे और आखिरी रावल रतन सिंह जी थे।
मेवाड़ राज्य के इस संस्था को विषम घाटी पंचानन के नाम से जाता जाना जाता है।
राणा हम्मीर को विषम घाटी पंचानन की संज्ञा राणा कुम्भा ने कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति में दी।
जन्म
राणा हम्मीर का जन्म 1314 ई. में सीसोद गांव के एक ठाकुर सिसोदिया वंश में हुआ था।
राणा हम्मीर सिसोदिया वंशज के पहले शासक थे।
उनके पिता का नाम अरि सिंह तथा माता का नाम उर्मिला था।
उनका विवाह सोंगरी देवी से हुआ था। राणा हम्मीर सिंह,अरिसिंह के पुत्र तथा लक्ष्मण सिंह के पौत्र थे
जिन्होंने अपनी सैन्य क्षमता के आधार पर मेवाड़ केलवाड़ा नामक स्थान का मुख्य केंद्र बनाया।
योगदान – राणा हम्मीर की जीवनी
राजस्थान के इतिहास में राणा हम्मीर ने चित्तौड़ से मुस्लिम सत्ता को उखाड़ने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है मेवाड़ की विषम परिस्थितियों के होते हुए भी उन्होंने चित्तौड़ पर अपनी विजय प्राप्त की। इस प्रकार 1326ई .में राणा हम्मीर को दोबारा चित्तौड़ प्राप्त हुआ। जिस कारण राणा हम्मीर को विषम घाटी पंचानन के नाम से भी जाना जाने लगा।
राणा हम्मीर नहीं इसके अलावा सिसोदिया राजवंश जो कि गुहिल वंश की ही एक शाखा थी के प्रजनक भी बन गए थे । इसके बाद सभी महाराणा सिसोदिया राजवंश के ही रहे। उन्होंने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित चित्तौड़गढ़ दुर्ग में अन्नपूर्णा माता के मंदिर का निर्माण भी करवाया।
राणा हम्मीर के शासनकाल में दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया। दोनों के बीच सिंगोली नामक स्थान पर युद्ध लड़ा गया। जिसे सिंगोली का युद्ध कहां जाता है वर्तमान में सिंगोली नामक स्थान उदयपुर में स्थित है इस युद्ध के बाद में राणा हम्मीर के दिन सामान्य रहे।
मृत्यु – राणा हम्मीर की जीवनी
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