Biography Hindi

रजिया सुल्तान की जीवनी – Razia Sultana Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको रजिया सुल्तान की जीवनी – Razia Sultana Biography Hindiके बारे में बताएंगे।

रजिया सुल्तान की जीवनी – Razia Sultana Biography Hindi

रजिया सुल्तान की जीवनी

Razia Sultana मुस्लिम औरतों के इतिहास की पहली महिला शासक थी।

रजिया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व था और प्रशासन के कार्य में अभ्यास कराया गया था कि जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।

रजिया सुल्तान प्रतिभाशाली, बुद्धिमान, बहादुर उत्कृष्ट प्रशासक और एक महान
योद्धा भी थी।

 

जन्म

रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में बदायूं नामक गांव में हुआ था।

उनका पूरा नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ”था। वह तुर्की सेल्जुक वंशज की थी।

उनके पिता का नाम शम्स- उद- दिन इल्तुतमिश और उनकी माता का नाम कुतुब बेगम था।

रजिया के तीन भाई थे।

प्रशिक्षण – रजिया सुल्तान की जीवनी

रजिया सुल्तान ने अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान लेने के बाद उन्होंने मार्शल आर्ट्स और अन्य सैन्य प्रशिक्षण भी लिया और इसे अच्छे से सिखा भी।

शासन-काल

रजिया सुल्तान को उनके पिता की हत्या के बाद रजिया को ही दिल्ली का सुल्तान बनाया जाना था।

उस समय इल्तुतमिश एक ऐसा पहला शासक था जिन्होंने अपने राजगद्दी के बाद में किसी एक महिला को अपना वारिश नियुक्त किया था।लेकिन मुस्लिम समुदाय को इल्तुतमिश के फैसला मंजूर नहीं था। इसलिए उनकी मौत के बाद उन लोगों ने उसके छोटे पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज शाह को शासन पर बैठा दिया।

लेकिन रुकनुद्दीन फिरोज शाह ने दिल्ली पर केवल 6 महीने तक शासन चला पाया। रुकनुद्दीन के शान शौकत और लापरवाह होने के कारण जनता उनके विरुद्ध आक्रोश में उमड़ गई और 9 नवंबर 1236 को उनकी और उनके साथ है उसकी मां तुरकान की भी हत्या कर दी गई।जिसके बाद मुसलमानों के पास और कोई विकल्प नहीं बचा इसलिए उन्होंने रजिया सुल्तान को ही दिल्ली का शासक बना दिया।

10 नवम्बर 1236 को रज़िया, दिल्ली की सुल्तान बनी और उन्हें जलालत-उद्दीन-रज़िया के नाम से बुलाया गया।

सुल्तान बनाने के बाद रज़िया सुल्तान ने शासन मजबूत बनाने के लिए उन्होंने अपने सारे कपड़े और गहने भी त्याग दिए और युद्ध के मैदान और दरबार में उन्होंने मर्दाना पहनावे को अपनाया और रूढ़िवादी मुस्लिम समाज को चौका दिया।

धीरे-धीरे रज़िया सुल्तान ने अपने अधिकार का स्थापना करना शुरू कर दिया।

साथ ही रज़िया ने नए सिक्के भी बनवाए जिन पर लिखा हुआ था – महिलाओं का स्तंभ, समय की रानी, सुलताना रजिया, शमसुद्दीन इल्तुतमिश की बेटी।

योगदान

1236 में रजिया सुल्तान ने दिल्ली के लोगों के समर्थन से अपने भाई को हराकर दिल्ली शासन की बागडोर संभाली।

एक कुशल शासक होने पर रजिया सुल्तान ने अपने क्षेत्र में पूर्ण कानून और पूरी व्यवस्था की स्थापना की।

उन्होंने व्यापार को बढ़ावा दिया, सड़कों का निर्माण, कुओं की खुदाई और स्कूल और पुस्तकालयों का निर्माण करवा कर देश के बुनियादी ढांचे को सुधारने की कोशिश की।उन्होने कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी काफी योगदान दिया और कवि, चित्रकार और संगीतकारों को भी प्रोत्साहित किया।

अमीरों से संघर्ष – रजिया सुल्तान की जीवनी

अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए रजिया को अपने सगे भाई ही नहीं बल्कि शक्तिशाली तुर्की रईसो का भी मुकाबला करना पड़ा और वह केवल 5 वर्षों तक शासन कर सकी यद्यपि उनके शासन काल की अवधि बहुत कम थी।लेकिन उसके कई महत्वपूर्ण पहलू थे रज़िया के शासन के साथ ही सम्राट और तुर्की सरदारों, जिन्हें चहलग़ानी (चालीस) कहा जाता है, के बीच संघर्ष प्रारम्भ हो गया।

तुर्की  शाही लोगों द्वारा साजिश

रजिया ने जमात-उद-दिन-याकुत, नामक इथोपियन (हब्सी) पर भरोसा किया और उसे अपना सलाहकार बना लिया और इस प्रकार उन्होने तुर्की अमीरों के एकाधिकार को चुनौती दी।रजिया सुल्तान की सफलता से तुर्की की रईस लोग उनसे चिड़नेलगे और एक महिला सुल्तान की ताकत को देखकर भी जलने लगे।

उन्हे लगता था कि वह एक महिला के सामने कभी भी नतमस्तक नहीं होगें और उन्होंने विद्रोह करने के लिए एक साजिश रची।

इस साजिश का मुखिया मलिक इख्तियार उद्दीन था।

जो बौदन के कार्यालय में गवर्नर के रूप में उभरा।

उसने अपनी योजना के अनुसार भटिंडा के गवर्नर अल्तूनिया और उनके बचपन के मित्र ने सबसे पहले विद्रोह छेड़ा।

रजिया सुल्तान ने उसका बहादुरी से सामना किया।

लेकिन वह उन से हार गई और रजिया को कैद कर लिया गया और याकूत मारा गया।

रजिया के कैद होने के बाद, उसके भाई मुइजुद्दीन बेहराम शाह, ने सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया।

सिंहासन को पुनः प्राप्त करने के लिए रजिया सुल्ताना ने भटिंडा के सेनापति, मलिक अल्तुनिया से शादी कर ली।

मृत्यु

अपने सल्तनत की वापसी के लिए रजिया और उसके पति अल्तूनिया ने बेहराम से युद्ध किया। जिसमें उनकी हार हो गई।

उन्हें दिल्ली छोड़कर भागना पड़ा और अगले दिन वह कैथल पहुंचे जहां पर उनकी सेना ने उनका साथ छोड़ दिया।

वहां जाटों के साथ हुए संघर्ष में 14 अक्टूबर 1240 को दोनो मारे गए।

कब्र पर विवाद – रजिया सुल्तान की जीवनी

रजिया सुल्तान और उसके प्रेमी याकुत की कब्र का दावा तीन अलग-अलग स्थान पर होने का किया जाता है।

लेकिन रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं हो पाये है।

रजिया सुल्तान की मजार पर दिल्ली ,कैथल एवं टोंक अपना अपना दावा जताते आए हैं।

लेकिन वास्तविक मजार पर अभी कोई फैसला नहीं आया है।

वैसे रजिया की मजार के दावों में अब तक तीन दावे सबसे मजबूत साबित हुए हैं।

इन स्थानों पर स्थित धार्मिक स्थलों में अरबी फ़ारसी में रजिया सुल्तान लिखने के संकेत मिलते हैं।

लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिसके कारण टोंक में रजिया सुल्तान और उनकी हबी दास की मजार मिली है, यहां पुरानी कब्रिस्तान के पास एक विशाल मजार मिली है, जहां फारसी में ’सल्तने हिंद रजियाह’ उत्कीर्ण किया गया है।

पास में एक छोटी सी मजार है जो युत का संग्रहालय हो सकता है।

इसकी भव्यता और भव्यता के आकार पर इसे सुल्ताना की मजार कहा जाता है।

स्थानीय इतिहासकारों का कहना है कि एक माह को चूक वश उल्लेखित नहीं कर पाए और जंग के तुरंत बाद उसकी मौत मान ली गई। जबकि ऐसा नहीं था। जंग में हार को सामने देख याकूत रजिया को लेकर राजपूताना की तरफ निकल गया। वह रजिया की जान बचाना चाहता था, लेकिन आखिरकार वह टोंक में घिर गया और यहीं उसकी मृत्यु हो गई।

इसे भी पढ़े – छत्रपति साहू महाराज की जीवनी – Chhatrapati Shahu Maharaj Biography Hindi

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close