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साहिर लुधियानवी की जीवनी – Sahir Ludhianvi Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको साहिर लुधियानवी की जीवनी – Sahir Ludhianvi Biography Hindi के बारे में बताएगे।

साहिर लुधियानवी की जीवनी – Sahir Ludhianvi Biography Hindi

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साहिर लुधियानवी (English – Sahir Ludhianvi) प्रसिद्ध फिल्म गीतकार, कवि थे।

कॉलेज में अपनी गजलों – नज्मों के लिए चर्चित हो गए।

1943 में लाहौर में बस गए और जहां 1945 में उर्दू में तल्खियां प्रकाशित हुई।

उन्होने कई उर्दू पत्रिकाओं में कार्य किया।

बंटवारे के बाद भारत आए और मुंबई आकर बस गए।

1949 में आजादी की राह पर फिल्म से गीतकार के रूप में पदापर्ण किया।

उन्होंने कई हिट बॉलीवुड गीत जैसे “तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा”, “अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम”, “मैं पल दो पल का शायर हूँ”, “चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों”, ” कभी-कभी मेरे दिल में”, “ऐ मेरी ज़ोहराजबीं”, “मेरे दिल में आज क्या है”, “अभी न जाओ छोड़कर”, इत्यादि लिखे।

उनकी प्रमुख फिल्मों में कभी कभी, प्यासा, ताजमहल, नौजवान आदि थी।

उन्हे पद्मश्री सहित कई सम्मनों से नवाजा गया।

संक्षिप्त विवरण

 

नामसाहिर लुधियानवी
पूरा नामअब्दुल हयी साहिर
जन्म8 मार्च 1921
जन्म स्थानकरीमपुरा, लुधियाना
पिता का नामफज़ल मोहम्मद
माता का नामसरदार बेगम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म मुस्लिम
जाति

जन्म

Sahir Ludhianvi का जन्म 8 मार्च 1921 को पंजाब के लुधियाना में लाल पुष्पहार हवेली करीमपुरा में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।

उनका वास्तविक नाम अब्दुल हयी साहिर था।

उनके पिता का नाम फज़ल मोहम्मद तथा उनकी माता का नाम सरदार बेगम था।

शिक्षा

साहिर ने प्रारम्भिक शिक्षा लुधियाना के ‘खालसा हाई स्कूल’ से प्राप्त की।

उन्होने अपनी उच्च शिक्षा एस सी धवन सरकारी बॉयज कॉलेज, लुधियाना, पंजाब और दयाल सिंह कॉलेज, लाहौर से प्राप्त की।

1939 में जब वे ‘गवर्नमेंट कॉलेज’ के विद्यार्थी थे अमृता प्रीतम से उनका प्रेम हुआ जो कि असफल रहा।

कॉलेज़ के दिनों में वे अपने शेर और शायरी के लिए प्रख्यात हो गए थे और अमृता इनकी प्रशंसक थीं।

अमृता के परिवार वालों को आपत्ति थी क्योंकि साहिर मुस्लिम थे।

बाद में अमृता के पिता के कहने पर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया।

जीविका चलाने के लिये उन्होंने तरह तरह की छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं।

कॉलेज के दिनों में, वह “गज़ल” और “नज़्मों” के लिए बहुत लोकप्रिय थे। हालांकि, कॉलेज के पहले वर्ष में उन्हें प्रिंसिपल के ऑफिस लॉन में एक महिला सहपाठी के साथ मैत्रीपूर्ण होने के लिए निष्कासित कर दिया गया।

1943 में, वह लाहौर गए, जहां उन्होंने दयाल सिंह कॉलेज में प्रवेश लिया।

वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और वहां उन्होंने वर्ष 1945 में अपनी पहली पुस्तक “तल्खियां” (कविताओं का संग्रह) को प्रकाशित किया।

करियर – साहिर लुधियानवी की जीवनी

1948 में फ़िल्म ‘आज़ादी की राह पर’ से फ़िल्मों में उन्होंने कार्य करना प्रारम्भ किया। यह फ़िल्म असफल रही।

साहिर को 1951 में आई फ़िल्म “नौजवान” के गीत “ठंडी हवाएं लहरा के आए …” से प्रसिद्धी मिली।

इस फ़िल्म के संगीतकार एस डी बर्मन थे।

गुरुदत्त के निर्देशन की पहली फ़िल्म “बाज़ी” ने उन्हें प्रतिष्ठित किया।

इस फ़िल्म में भी संगीत बर्मन साहब का था, इस फ़िल्म के सभी गीत मशहूर हुए।

साहिर ने सबसे अधिक काम संगीतकार एन दत्ता के साथ किया।

दत्ता साहब साहिर के जबरदस्त प्रशंसक थे। 1955 में आई ‘मिलाप’ के बाद ‘मेरिन ड्राइव’, ‘लाईट हाउस’, ‘भाई बहन’,’ साधना’, ‘धूल का फूल’, ‘धरम पुत्र’ और ‘दिल्ली का दादा’ जैसी फ़िल्मों में गीत लिखे।गीतकार के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी ‘बाज़ी’, जिसका गीत तक़दीर से बिगड़ी हुई तदबीर बना ले…बेहद लोकप्रिय हुआ। उन्होंने ‘हमराज’, ‘वक़्त’, ‘धूल का फूल’, ‘दाग़’, ‘बहू बेग़म’, ‘आदमी और इंसान’, ‘धुंध’, ‘प्यासा’ सहित अनेक फ़िल्मों में यादग़ार गीत लिखे।

साहिर जी ने शादी नहीं की, पर प्यार के एहसास को उन्होंने अपने नग़मों में कुछ इस तरह पेश किया कि लोग झूम उठते।निराशा, दर्द, कुंठा, विसंगतियों और तल्ख़ियों के बीच प्रेम, समर्पण, रूमानियत से भरी शायरी करने वाले साहिर लुधियानवी के लिखे नग़में दिल को छू जाते हैं।

लिखे जाने के 50 साल बाद भी उनके गीत उतने ही जवाँ हैं, जितने की पहले थे।

उन्होंने बहुचर्चित उर्दू पत्रिका शाहकार, अदाब-ए-लतीफ़, सवेरा, इत्यादि में एक संपादक के रूप में कार्य किया।

2017 में, संजय लीला भंसाली ने साहिर के जीवन पर एक आत्मकथा बनाने की घोषणा की।

साहिर की भूमिका निभाने के लिए शाहरुख खान पहली पसंद थे।

हालांकि, बाद में उन्होंने अभिषेक बच्चन को चुन लिया।

विवाद

  • वह अपने तुनक मिज़ाजी के कारण काफी विवादों में रहे हैं।
  • वह संगीतकारों को सिर्फ अपनी ही नज़्मों का प्रयोग करने के लिए ही कहते थे। जिसके चलते वह विवादों में रहे।
  • उन्होंने लता मंगेशकर की तुलना में 1 रुपए ज्यादा भुगतान करने पर जोर दिया, जिसके चलते दोनों के बीच काफी अनबन हो गई।
  • अपने रसूख का उपयोग करते हुए अपनी प्रेमिका सुधा मल्होत्रा के गायन करियर को बढ़ावा देने के लिए वह विवादों में रहे।
  • उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर जोर दिया किया, वह उनके सभी गीतों को प्रसारित करे।

पुरस्कार

  • 1958 में, उन्हें “औरत ने जन्म दिया साधना” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  • 1964 में, उन्हें फ़िल्म ताजमहल के गीत “जो वादा किया” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • 1971 में, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  •  1977 में, उन्हें फिल्म कभी-कभी के गीत “कभी कभी मेरे दिल में” के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मृत्यु – साहिर लुधियानवी की जीवनी

Sahir Ludhianvi की 59 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने के कारण 25 अक्टूबर 1980 को हुई।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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