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साक्षी मलिक की जीवनी – Sakshi Malik Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको साक्षी मलिक की जीवनी – Sakshi Malik Biography Hindi के बारे में बताएगे।

साक्षी मलिक की जीवनी – Sakshi Malik Biography Hindi

साक्षी मलिक की जीवनी
साक्षी मलिक की जीवनी

(English – Sakshi Malik)साक्षी मलिक भारत की प्रसिद्ध महिला पहलवान है।

उन्होंने 12 वर्ष की आयु में कुश्ती प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था।

17 अगस्त 2016 को, रियो ओलंपिक में उन्होंने कज़ाख़िस्तान की Aisuluu Tynybekova को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया।

ओलंपिक में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला पहलवान और भारत की चौथी महिला खिलाड़ी बन गई।

संक्षिप्त विवरण

 

नामसाक्षी मलिक
पूरा नामसाक्षी मलिक
जन्म3 सितंबर 1992
जन्म स्थानरोहतक, हरियाणा, भारत
पिता का नामसुखबीर मालिक
माता का नामसुदेश मालिक
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
हिंदू
जाति
जाट

जन्म

Sakshi Malik का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा राज्य के रोहतक में ‘मोखरा’ नामक गाँव में हुआ था।

उनके पिता का नाम सुखबीर मलिक है, जो ‘दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन’ (डीटीसी), दिल्ली में बतौर बस कंडक्टर की नौकरी करते हैं तथा उनकी माँ का नाम सुदेश मलिक है और वे रोहतक में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर हैं।

उनका एक भाई सचिन मलिक है।

2 अप्रैल 2017 को उन्होने सत्यवर्त कादियन  से शादी की जोकि एक पहलवान है।

शिक्षा – साक्षी मलिक की जीवनी

साक्षी मलिक ने अपनी पढाई की शुरुवात रोहतक के वैश्य पब्लिक स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद वे रोहतक के DAV पब्लिक स्कूल भी गई।

साक्षी ने अपने कॉलेज की पढाई रोहतक के मह्रिषी दयानंद यूनिवर्सिटी से की थी।

हाइट और वजन

अभ्यास

Sakshi Malik प्रतिदिन 6 से 7 घंटे अभ्यास करती हैं। ओलम्पिक की तैयारी के लिए वे पिछले एक साल से रोहतक के ‘साई’ (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) होस्टल में रह रही थीं। उन्हें वज़न नियंत्रित करने के लिए बेहद कड़ा डाइट चार्ट फॉलो करना पड़ता था। कड़े अभ्यास के बावजूद वे पढ़ाई में अच्छे मार्क्स ला चुकी हैं। कुश्ती की वजह से उनके कमरे में स्वर्ण, रजत व काँस्य पदकों का ढेर लगा है।

करियर

साक्षी ने 12 साल में ट्रेनिंग शुरू की और फिर देश के बहुत से इवेंट में हिस्सा लेकर विजयी रही। अन्तराष्ट्रीय तौर पर साक्षी ने अपने जीवन का पहला खेल 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशीप में खेला था। यहाँ उन्होंने 58 किलोग्राम केटेगरी में ब्रोंज मैडल जीता था।

इसके बाद 2014 में साक्षी को अन्तराष्ट्रीय तौर पर पहचान मिली, जब उन्होंने डेव इंटरनेशनल रेसलिंग टूर्नामेंट में 60 किलोग्राम केटेगरी में गोल्ड मैडल जीता था।

2014 में ही ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी ने क्वार्टर फाइनल जीता था, इसके बाद सेमीफाइनल में कैनेडा से 3-1 से विजयी रही। साक्षी का फाइनल मैच नाइजीरिया की एमिनेट से था, जिसे वे हार गई। यहाँ साक्षी को सिल्वर मैडल मिला।

इसके बाद सितम्बर 2014 में ताशकेंट में वर्ल्ड चैम्पियनशीप मुकाबला हुआ। यहाँ साक्षी क्वार्टरफाइनल से ही बाहर हो गई थी, लेकिन सामने वाली टीम से साथ 16 राउंड तक वे लड़ती रहीं।

2015 में दोहा में एशियन चैम्पियनशीप हुई, इसमें 60 किलोग्राम के 5 राउंड हुए थे। यहाँ साक्षी ने 2 राउंड जीत कर तीसरा नंबर हासिल किया था और ब्रोंज मैडल जीता था।

रियो ओलम्पिक-2016 में काँस्य विजेता

ब्राजील में आयोजित रियो ओलम्पिक-2016 की महिला कुश्ती में साक्षी मलिक ने किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा को हराकर भारत के लिए काँस्य पदक जीता। मैच के पहले पीरियड में वे किर्गिस्‍तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा से 0-5 से पिछड़ गई थीं। दूसरे पीरियड में शुरुआत में पिछड़ने के बाद साक्षी ने जबर्दस्‍त वापसी की और 8-5 से दूसरा सेट जीतकर कांस्‍य पदक जीतने में कामयाब हुईं और भारत की झोली में पदक डाला।

पहला पीरियड – साक्षी मलिक की जीवनी

मैच के पहले पीरियड में किर्गिस्‍तान की खिलाड़ी ने शुरू में ही साक्षी के पैर को पकड़कर खींचा और इस तरह दो अंक हासिल किए। उसके चंद सेकंड बाद एक और अंक हासिल किया। उसने वैसे ही दूसरे मूव में दो अन्‍य अंक हासिल किए। इसके चलते साक्षी पहले पीरियड में 0-5 से पिछड़ गई थीं।

दूसरा पीरियड

इस पीरियड का पहला मिनट बिना स्‍कोर के ही गुजर गया। दूसरे मिनट में साक्षी ने विरोधी को मैट पर गिराकर दो अंक हासिल किए। चंद सेकंड बाद वैसे ही दूसरे मूव में दो अन्‍य अंक हासिल कर मुकाबले को 4-5 तक पहुंचाया। जब साक्षी महज एक अंक पीछे रह गईं तो किर्गिस्‍तान की खिलाड़ी थोड़ा बेचैन दिखी और मौके का फायदा उठाकर तत्‍काल एक और अंक हासिल कर साक्षी ने स्‍कोर 5-5 की बराबरी पर पहुंचाया।

उसके बाद तीसरे मिनट के अंतिम क्षण में एक और शानदार मूव के जरिये साक्षी ने दो अंक बनाए और मैच समाप्‍त होने पर 7-5 से जीत हासिल की, लेकिन किर्गिस्‍तान के कोचिंग स्‍टाफ ने उस अंतिम मूव पर आपत्ति जताते हुए समीक्षा की अपील की। जजों ने रीप्‍ले देखने के बाद फैसला साक्षी के हक में दिया और विरोधी की विफल समीक्षा के चलते एक अतिरिक्‍त अंक साक्षी को दिया गया। नतीजतन साक्षी के पक्ष में अंतिम स्‍कोर 8-5 रहा।

उपलब्धियाँ

पुरस्कार और मान्यता – साक्षी मलिक की जीवनी

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