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सालिम अली की जीवनी – Salim Ali Biography Hindi

सालिम अली भारतीय पक्षी विज्ञानी, वन्यजीव संरक्षणवादी और प्रकृतिवादी थे। उन्होंने ‘साइलेंट वैली नेशनल पार्क’ को बर्बादी से बचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1947 के बाद वे ‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ के सबसे प्रधान व्यक्ति बन गए और ‘भरतपुर पक्षी अभयारण्य’ (केओलदेव् राष्ट्रिय उद्यान) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें “भारत का बर्डमैन” के रूप में भी जाना जाता है। 1976 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको सालिम अली की जीवनी – Salim Ali Biography Hindi के बारे में बताएगे।

सालिम अली की जीवनी – Salim Ali Biography Hindi

जन्म

सालिम अली का जन्म 12 नवम्बर 1896 में बॉम्बे में हुआ था। उनका पूरा नाम सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली था। उनके पिता का नाम मोइज़ुद्दीन अब्दुल तथा उनकी माता का नाम ज़ीनत-उन-निस्सा था। वे अपने माता-पिता की नौंवी संतान थे। जब वे एक साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया और जब वे तीन साल के हुए तब उनकी माँ की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद सलीम और उनके भाई-बहनों की देख-रेख उनके मामा अमिरुद्दीन तैयाबजी और चाची हमिदा द्वारा मुंबई की खेतवाड़ी इलाके में हुआ। उनकी पत्नी का नाम तहमिना अली था।

शिक्षा

सालिम अली ने अपनी प्राथमिक शिक्षा के लिए अपनी दो बहनों के साथ गिरगौम में स्थापित ज़नाना बाइबिल मेडिकल मिशन गर्ल्स हाई स्कूल में भर्ती हुए और बाद में मुंबई के सेंट जेविएर में दाखिला लिया। लगभग 13 साल की उम्र में वे सिरदर्द से पीड़ित हुए, जिसके चलते उन्हें कक्षा से अक्सर बाहर होना पड़ता था। उन्हें अपने एक चाचा के साथ रहने के लिए सिंध भेजा गया जिन्होंने यह सुझाव दिया था कि शुष्क हवा से शायद उन्हें ठीक होने में मदद मिले और लंबे समय के बाद वापस आने के बाद बड़ी मुश्किल से 1913 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास की।

प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रहण की पर कॉलेज का पहला साल ही मुश्किलों भरा था जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और परिवार के वोलफ्रेम (टंग्सटेन) माइनिंग और इमारती लकड़ियों के व्यवसाय की देख-रेख के लिए टेवोय, बर्मा (टेनासेरिम) चले गए। यह स्थान सलीम के अभिरुचि में सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि यहाँ पर घने जंगले थे जहाँ इनका मन तरह-तरह के परिन्दों को देखने में लगता।

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करियर

वे अपनी पढ़ाई भी पूरी तरह से नहीं कर पाये। बड़ा होने पर सालिम अली को बड़े भाई के साथ उसके काम में मदद करने के लिए बर्मा (वर्तमान म्यांमार) भेज दिया गया। यहाँ पर भी उनका मन जंगल में तरह-तरह के परिन्दों को देखने में लगता। घर लौटने पर सालिम अली ने पक्षी शास्त्री विषय में प्रशिक्षण लिया और बंबई के ‘नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ के म्यूज़ियम में गाइड के पद पर नियुक्त हो गये। फिर जर्मनी जाकर इन्होंने उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया। लेकिन एक साल बाद देश लौटने पर इन्हें ज्ञात हुआ कि इनका पद ख़त्म हो चुका है। इनकी पत्नी के पास थोड़े-बहुत पैसे थे। जिसके कारण बंबई बन्दरगाह के पास किहिम नामक स्थान पर एक छोटा सा मकान लेकर सालिम अली रहने लगे। यह मकान चारों तरफ़ से पेड़ों से घिरा हुआ था। उस साल वर्षा ज़्यादा होने के कारण इनके घर के पास एक पेड़ पर बया पक्षी ने घौंसला बनाया। सालिम अली तीन-चार माह तक बया पक्षी के रहने-सहने का अध्ययन रोज़ाना घंटों करते रहते।

बर्डमैन ऑफ़ इंडिया

दुनिया में ऐसे कम ही लोग हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं और इंसानी जमात से अलग जीवों के बारे में सोचने वाले तो विरले ही हैं। ऐसा ही एक विरला व्यक्तित्व मशहूर प्रकृतिवादी सालिम अली का था, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी पक्षियों के लिए लगा दी। कहते हैं कि सालिम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली परिंदों की ज़ुबान समझते थे और इसी खूबी की वजह से उन्हें बर्डमैन ऑफ़ इंडिया कहा गया। उन्होंने पक्षियों के अध्ययन को आम जनमानस से जोड़ा और कई पक्षी विहारों की तामीर में सबसे आगे रहे। कोयम्बटूर स्थित ‘सालिम अली पक्षी विज्ञान एवं प्रकृति विज्ञान केंद्र’ (एसएसीओएन) के निदेशक डॉक्टर पी.ए. अजीज ने बताया सालिम अली एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने पक्षी विज्ञान में बहुत बड़ा योगदान दिया। कहा जाता है कि वह पक्षियों की भाषा बखूबी समझते थे।

योगदान

‘बर्लिन विश्वविद्यालय’ में उन्होंने प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक इरविन स्ट्रेसमैन के तहत काम किया। उन्होंने ‘साइलेंट वैली नेशनल पार्क’ को बर्बादी से बचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह वर्ष 1930 में भारत लौटे और फिर पक्षियों पर तेजी से काम शुरू किया। आज़ादी के बाद सालिम ‘बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी’ (बीएनएसच) के प्रमुख लोगों में रहे। उन्होंने भरतपुर पक्षी विहार की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।

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पुस्तक

  • बर्ड्स ऑफ़ इंडिया
  •  द बुक ऑफ़ इंडियन बर्ड्स
  • हैण्डबुक ऑफ़ द बर्ड्स ऑफ़ इंडिया एण्ड पाकिस्तान
  • द फाल ऑफ़ ए स्पैरो

पुरस्कार

  • प्रकृति विज्ञान और पक्षियों पर अध्ययन में महारत रखने वाले सालिम अली को देश-विदेश के प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया।
  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा।
  • प्रकृति विज्ञान और पक्षियों पर किए गये महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से 1958 में पद्म भूषण से नवाजा गया।
  • 1976 में उन्हे पद्म विभूषण जैसे देश के बड़े सम्मानों से सम्मानित किया गया।
  • डाक विभाग ने इनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है।

मृत्यु

सालिम अली 91 साल की उम्र में  की मृत्यु 27 जुलाई 1987 को मुंबई में हुआ।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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