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संदीप उन्नीकृष्णन की जीवनी – Sandeep Unnikrishnan Biography Hindi

संदीप उन्नीकृष्णन (English – Sandeep Unnikrishnan) भारतीय सेना में एक मेजर थे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) के कुलीन विशेष कार्य समूह में काम किया।

उन्होने ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो की कमान संभालते हुए अपने 10 कमांडो साथियों के साथ ताज होटल के छठे फ्लोर पर पहुंचे थे। वहां पर उन्होने 14 लोगों को सुरिक्षत निकाला था।

इस दौरान एक आंतकी से उनका सामना हुआ। साथी की जान बचाते समय एक आंतकी ने  उनको पीछे से गोली मर दी।

उन्होने सेना के सबसे मुश्किल कोर्स घातक कोर्स में टॉप किया।

अदम्य  बहादुरी के लिए उन्हे सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया।

मेजर संदीप पर सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट एक बायॉपिक बना रहा है। फिल्म 2020 में रिलीज होगी।

संदीप उन्नीकृष्णन की जीवनी – Sandeep Unnikrishnan Biography Hindi

Sandeep Unnikrishnan Biography Hindi
Sandeep Unnikrishnan Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण

नाम संदीप
पूरा नाम संदीप उन्नीकृष्णन
जन्म15 मार्च 1977
जन्म स्थानचेरुवनूर, कोजिकोडे जिला, केरल
पिता का नामश्री के. उन्नीकृष्णन
माता का नाम धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म

Sandeep Unnikrishnan का जन्म 15 मार्च 1977 को चेरुवनूर, कोजिकोडे जिला, केरल में हुआ था।

उनके पिता का नाम श्री के. उन्नीकृष्णन थे जोकि इसरो के अधिकारी रह चुके हैं। उनकी माता का नाम धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन है।

वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।

शिक्षा

संदीप उन्नीकृष्णन ने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथनी पब्लिक स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की।

इसके बाद 1995 में उन्होने साइंस स्ट्रीम से आईएससी की।

Sandeep Unnikrishnan ने 1995 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) (एनडीए) में में प्रवेश लिया।

वे एक कैडेट थे, ओस्कर स्क्वाड्रन (नंबर 4 बटालियन) का हिस्सा थे और एनडीए के 94 वें कोर्स के स्नातक थे।

उन्होंने कला (सामाजिक विज्ञान विषय) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।

Sandeep Unnikrishnan ki jivani hindi
Sandeep Unnikrishnan ki jivani hindi

करियर

उन्हें 12 जुलाई 1999 को बिहार रेजिमेंट (इन्फेंट्री) की सातवीं बटालियन का लेफ्टिनेंट आयुक्त किया गया।

हमलों और चुनौतियों का सामना करने के लिए दो बार उन्हें जम्मू और कश्मीर तथा राजस्थान में कई स्थानों पर भारतीय सेना में नियुक्त किया।

इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स में शामिल होने के लिए चयनित किया गया।

प्रशिक्षण के पूरा होने पर उन्हें जनवरी 2007 में एनएसजी का विशेष कार्य समूह (एसएजी) सौंपा गया और उन्होंने एनएसजी के कई ऑपरेशन्स में भाग लिया।

वे एक लोकप्रिय अधिकारी थे, जिन्हें उनके वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों ही पसंद करते थे।

सेना के सबसे कठिन कोर्स, ‘घातक कोर्स’ (कमांडो विंग (इन्फैंट्री स्कूल), बेलगाम में) के दौरान वे शीर्ष स्थान पर रहे।

उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारीयों से “प्रशिक्षक ग्रेडिंग” और प्रशस्ति अर्जित की.

संभवतया यही कारण था या बहादुरी के लिए उनका जुनून था कि उन्होंने एनएसजी कमांडो सेवा को चुना, जिसमें वे 2006 में प्रतिनियुक्ति पर शामिल हुए थे।

जुलाई 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान पाकिस्तानी सैन्य दलों के द्वारा भारी तोपों के हमलों और छोटी बमबारी के जवाब में उन्होंने आगे की पोस्ट्स में तैनात रहते हुए धैर्य और दृढ संकल्प का प्रदर्शन किया।

31 दिसम्बर 1999 की शाम को, मेजर संदीप ने छह सैनिकों एक टीम का नेतृत्व किया और शत्रु से 200 मीटर की दूरी पर एक पोस्ट बना ली।

इस दौरान वे शत्रु के प्रत्यक्ष प्रेक्षण और आग के चलते काम कर रहे थे।

ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो

26 नवंबर 2008 की रात, दक्षिणी मुंबई की कई प्रतिष्ठित इमारतों पर आतंकवादियों ने हमला किया।

इनमें से एक इमारत जहां आतंकवादियों ने लोगों को बंधक बना लिया, वह 100 साल पुराना ताज महल पेलेस होटल था।

उन्होने ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो की कमान संभालते हुए अपने 10 कमांडो साथियों के साथ ताज होटल के छठे फ्लोर पर पहुंचे थे।

लगातार ऊपर से आतंकी गोली चला रहे थे। उनकी टीम आतंकियों को पीछे हटने को मजबूर करने के लिए जवाबी गोलीबारी कर रही थी।

इस दौरान आतंकियों की एक गोली उनके एक साथी सुनील यादव को आ लगी। संदीप उनको बचाने के लिए दौड़े और और उसे बाहर भेज दिया।

इस तरह सुनील की जान उन्होंने बचा ली। इस दौरान उनको भी कुछ गोलियां आकर लगी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

वहां पर उन्होने 14 लोगों को सुरिक्षत निकाला था। जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी जान बचाकर भागने लगे।

मेजर संदीप उन भागते आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए ऊपर चढ़े। उन्होंने अपने साथियों से कहा, ‘ऊपर मत आना। मैं इनसे निपट लूंगा।’। उन्होंने कुछ आतंकियों को मार गिराया। लेकिन एक आतंकी ने पीछे से छिपकर संदीप पर हमला कर दिया।

गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह आतंकियों से लड़ते रहे। आखिरी सांस तक उन्होंने आतंकियों से डटकर मुकाबला किया।

शहीद

28 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए  26/11 के अंतकवादी हमले में Sandeep Unnikrishnan शहीद हो गए।

Sandeep Unnikrishnan ki death
Sandeep Unnikrishnan ki death

विवाद

Sandeep Unnikrishnan के अंतिम संस्कार में केरल की सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं था। स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया ने राजनीतिज्ञों के इस फैसले की आलोचना की।

हालांकि केरल के मुख्य मंत्री वी. एस. अच्युतानंदन और गृह मंत्री कोडियेरी बालाकृष्णन ने 30 नवम्बर 2008 को आकर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के परिवार के लिए अफसोस व्यक्त किया।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता श्री के. उन्नीकृष्णन क्रोधित थे, उन्होंने इनके आने की आलोचना की और उनसे चले जाने के लिए कहा।

इसके बाद में वी.एस. अच्युतानंदन ने मीडिया से कहा कि वे मेजर उन्नीकृष्णन के लिए गए थे, उनके माता पिता के घर तो कोई कुत्ता भी नहीं जाएगा।

एक बार फिर से मीडिया और जनता ने इस की जबरदस्त आलोचना की।

हालांकि, अच्युतानंदन ने कहा कि वे मेजर के परिवार से माफी नहीं मांगेगें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे शहीद मेजर के परिवार का सम्मान करते हैं।

2 दिसम्बर 2008, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव प्रकाश करात ने अच्युतानंदन की ‘कुत्ते वाली टिप्पणी’ के लिए माफ़ी मांगी।

3 दिसंबर 2008 दिसम्बर को, अच्युतानंदन ने एस घटना पर खेद व्यक्त किया है।

पुरस्कार

उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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