आज इस आर्टिकल में हम आपको संतोष यादव की जीवनी – Santosh Yadav Biography Hindi के बारे में बताएगे।
संतोष यादव की जीवनी – Santosh Yadav Biography Hindi
Santosh Yadav भारत की एक पर्वतारोही हैं। उन्होने दो बार माउंट एवरेस्ट पर जीत पाकर विश्व रिकार्ड बनाया है।
लेकिन उन्होंने बचपन में यह कभी नहीं सोचा था कि वह पर्वतारोहण करेंगी
और विश्वविख्यात हो जाएंगी।
वह पहली और एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है।
उनकी इसी उपलब्धि के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया है।
जन्म
संतोष यादव का जन्म 10 अक्टूबर 1967 में हरियाणा के रेवाड़ी में जोनियावास नाम के गाँव में हुआ था।
पिता का नाम सूबेदार रामसिंह यादव और माता का नाम श्रीमती चमेली देवी है ।
भारतीय समाज में प्राय: सभी परिवार व माता-पिता पुत्र की कामना करते हैं।
लड़की का जन्म आज अभिशाप नहीं,लेकिन उसके जन्म की कामना नहीं की जाती।
यह बात संतोष यादव के मामले में पूरी तरह से अलग है।
उन्होंने जन्म के पूर्व ही पुरानी मान्यताओं को बदलना शुरू कर दिया था।
उनके जन्म के बाद उनकी माँ को एक साधु ने जब बेटे का आशीर्वाद दिया तो उनकी दादी ने कहा कि हमें तो बेटा नहीं, बेटी चाहिए और तब संतोष यादव का जन्म हुआ।
उन्हें यह नाम ‘संतोष’ इसी कारण दिया गया, क्योंकि उनके जन्म से घर वाले संतुष्ट व खुश थे।
संतोष के परिवार में पांच भाई हैं। उनका परिवार जमींदारों का परिवार है, जो आज व्यापार करता है।
उन्होंने 25 वर्ष की आयु में शादी करने फ़ैसला लिया।
उनके माता-पिता भी उनकी स्वतन्त्र जीवन की आदत व से खुश हैं और उनके सेलिब्रिटी बन जाने से गर्व महसूस करते हैं।
शिक्षा – संतोष यादव की जीवनी
अच्छे स्कूल जाने की चाह और जिद ने उन्हें दिल्ली के स्कूल में दाखिला लिया और वे अपनी माँ व भाइयों के साथ दिल्ली में शिक्षा लेने लगीं। पढ़ाई के दौरान हैंड राइटिंग प्रतियोगिता में 1 प्राइज़ भी जीता था। लेकिन पढ़ाई के दौरान वह तेज गति से नहीं लिख पाती थीं, अत: सब उत्तर याद होने के बावजूद वह उत्तरो को सही नहीं लिख पाती थीं। जिस गति से वह सोचती थीं, उस गति से लिख नहीं पाती थीं। इसी कारण उनकी कुछ साथियों के उनसे ज्यादा अंक आ जाते थे, जबकि वे संतोष से ही सीखती थीं। बाद में रेवाड़ी में केन्द्रीय विद्यालय खुल जाने पर वह रेवाड़ी वापस लौट गईं। इस प्रकार वह 12वीं पास कर गईं।
इस समय उन पर शादी का दबाव बढ़ने लगा, लेकिन संतोष ने स्पष्ट कह दिया कि स्नातक किए बिना शादी नहीं करेंगी। इसके बाद उन्होने जयपुर के प्रसिद्ध महारानी कॉलेज से इकोनॉमिक्स आनर्स की पढ़ाई करते-करते पहाड़ों में में दिलचस्पी लेनी लगी।
1986 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश उनके पिता की इच्छा के विरुद्ध था।
पहाड़ों में दिलचस्पी
जयपुर के हॉस्टल में रहते समय संतोष यादव को खिड़की से अरावली की पहाड़ियां देखने में बहुत सुकून मिलता था। उन्होंने बताया- ”मैं हॉस्टल से एक दिन सुबह झालाना डंगरी पहाड़ी की ओर निकल पड़ी। वहां कुछ स्थानीय लोग काम कर रहे थे।” संतोष को उन स्थानीय लोगों से मिलना, उनसे बात करना व उनके बारे में जाननाकाफी अच्छा लगा। वह उन लोगों का स्केच बनाने लगीं। उन्हें बचपन से ही पेंटिंग का शौक था, इसलिए उन्हें इस प्रकार स्केच बनाने में आनन्द आने लगा। दूसरे दिन संतोष वहां गईं तो वहां कोई नहीं था। इसके बाद उन्हें उन पहाड़ियों के प्रति आकर्षण हो गया। वह वहाँ पहाड़ियों पर चढ़ने व घूमने का आनन्द लेने लगीं। एक दिन चढ़ते-चढ़ते चोटी पर पहुँच गईं और वहां से नीचे का सुन्दर दृश्य देखकर भाव विभोर हो गईं।
सूर्योदय हो रहा था और ऊँचाई पर यूं लग रहा था कि पहाड़ियों में से सूरज निकल रहा है। लेकिन कुछ ही देर में उन्हें वहां अकेले डर लगने लगा और वह नीचे उतरने लगीं। उतरते वक्त उन्हें कुछ लड़कों का दल मिला जो रॉक क्लाइम्बिंग कर रहा था। उन्हें वह सब देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने उनसे से एक से पूछा- ”क्या मैं भी यह कर सकती हूँ ?” लड़कों के लीडर ने उत्साह से उत्तर दिया ”हां, क्यों नहीं ?” तब उन्हें पता लगा कि यह माउंटेनियरिंग है।
यहाँ से ट्रेनिंग लेकर वह भी पर्वतारोहण कर सकती हैं। तब संतोष ने पर्वतारोहण का इरादा कर लिया।
महावीर स्वामी की जीवनी – Mahavir Swami Biography Hindi
करियर
परीक्षण में उच्च ग्रेड प्राप्त करने के बाद संतोष ने पर्वतारोही को अपना करियर चुना और इसकी शुरुआत वर्ष 1989 से की. उन्होने साल नौ तक अलग -अलग देशों के अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहण कैंप में भाग लिया, इस दल में कुल 31 पुरुष थे, जबकि अकेली भारतीय महिला संतोष यादव थी. 6600 मीटर ऊंचे व्हाइट पर्वत शिखर की चढ़ाई में इन्होने शिखर पर तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय महिला
होने के गौरव को प्राप्त कर लिया.
एवरेस्ट पर चढ़ाई
- संतोष ने 1993 में पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ाई कर जीत हासिल की। वह एवरेस्ट पर विजय पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला थीं।
- उन्होंने 1994 में दोबारा पर्वतारोहण किया और एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की। संतोष विश्व की एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है। वह अपनी शारीरिक सक्षमता और फिटनेस के दम पर ही यह सफलता प्राप्त कर सकीं। उन्होंने बताया- ”मेरे लिए वह बेहद खुशी का पल था, जब मैं अवॉर्ड लेकर आई तो पिताजी ने मुझे एक मारुति कार गिफ्ट में दी थी।”
- इसके बाद में संतोष यादव ने पुलिस ज्वाइन कर ली। इस नौकरी में वह छुट्टियों में क्लाइम्बिंग का शौक भी पूरा कर सकती हैं। संतोष आज एक अच्छी वक्ता हैं, जो लोगों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। वह शिक्षा के बढ़ाने के लिए भी कार्य करती हैं। उनका कहना है- ”जीवन में उद्देश्य होना आवश्यक है। उसके लिए कठिन मेहनत करो, कुछ भी बनने का उद्देश्य
अवश्य होना चाहिए, तभी तुम जिंदगी का आनंद उठा सकते हो।”
उपलब्धियां
- संतोष यादव ने बहुत कम उम्र में एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की।
- वह दो बार एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली विश्व की पहली महिला हैं
- संतोष यादव आत्मविश्वास से भरपूर हैं, इसलिए वह ऐसे कठिन क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकीं।
- वह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी हैं।
पुरस्कार – संतोष यादव की जीवनी
- 2000 में संतोष यादव को सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ प्रदान किया गया
- दो बार एवरेस्ट विजय करने के कारण इन्हें के॰के॰ बिड़ला फाउण्डेशन खेल के विशेष पुरस्कार देने की घोषणा की गयी ।
- 19 अप्रैल 2001 को लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस द्वारा सन्तोष को सम्मानित किया गया ।
इसे भी पढ़े – भगवान शिव की जीवनी – God Shiva Biography Hindi