शरत चंद्र चट्टोपाध्याय (English -Sarat Chandra Chattopadhyay) बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है।
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी – Sarat Chandra Chattopadhyay Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | शरत चंद्र चट्टोपाध्याय |
पूरा नाम | शरत चंद्र चट्टोपाध्याय |
जन्म | 15 सितंबर 1876 |
जन्म स्थान | देवानंदपुर गाँव हुगली जिला |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | – |
जाति | – |
जन्म
Sarat Chandra Chattopadhyay का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली ज़िले के एक देवानंदपुर गाँव में हुआ था। शरतचंद्र अपने माता-पिता की नौ संतानों में एक थे।
शिक्षा
शरतचंद्र ने अठ्ठारह साल की उम्र में बारहवीं पास की थी। शरतचंद्र ने इन्हीं दिनों ‘बासा’ (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। कॉलेज की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर वे तीस रुपए मासिक के क्लर्क होकर बर्मा (वर्तमान म्यांमार) पहुँच गए। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की कथा-साहित्य की प्रस्तुति जिस रूप-स्वरूप में हुई, लोकप्रियता के तत्त्व ने उनके पाठकीय आस्वाद में वृद्धि ही की है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय अकेले ऐसे भारतीय कथाकार भी हैं, जिनकी अधिकांश कालजयी कृतियों पर फ़िल्में बनीं तथा अनेक धारावाहिक सीरियल भी बने। इनकी कृतियाँ देवदास, चरित्रहीन और श्रीकान्त के साथ तो यह बार-बार घटित हुआ है।
साहित्यिक परिचय
Sarat Chandra Chattopadhyay यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य किया था।
प्रतिभा
शरतचंद्र की प्रतिभा उपन्यासों के साथ-साथ उनकी कहानियों में भी देखने योग्य है। उनकी कहानियों में भी उपन्यासों की तरह मध्यवर्गीय समाज का यथार्थ चित्र अंकित है। शरतचंद्र प्रेम कुशल के चितेरे थे। शरतचंद्र की कहानियों में प्रेम एवं स्त्री-पुरुष संबंधों का सशक्त चित्रण हुआ है। इनकी कुछ कहानियाँ कला की दृष्टि से बहुत ही मार्मिक हैं। ये कहानियाँ शरत के हृदय की सम्पूर्ण भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहानियाँ अपने बालपन के संस्मरण से और अपने संपर्क में आये मित्र व अन्य जन के जीवन से उठाई हैं। ये कहानियाँ जैसे हमारे जीवन का एक हिस्सा है ऐसा प्रतीत होता है।
सम्पूर्ण साहित्य
शरतचंद्र का सम्पूर्ण साहित्य नारी के उत्थान से पतन और पतन से उत्थान की करुण कथाओं से भरा पड़ा है। शरतचंद्र अपनी कहानियों में केवल पीडित-प्रताड़ित नारी की पतनगाथा नहीं गाते, सिर्फ़ उसके पतिता और कुलटा हो जाने की कथा नहीं कहते, उसके स्नेह, त्याग, बलिदान ममता और प्रेम की पावन-कथा भी सुनाते हैं।
शरतचंद्र की कहानियों में नारी के नीचतम और महानतम दोनों रूपों के एक साथ दर्शन होते हैं। जब शरतचंद्र नारी के अधोपतन की कथा कहते-कहते उसी नारी के उदात्त और उज्ज्वल चरित्र को उद्घाटित करते हैं, तो पाठक सन्न रह जाता है। उसने मन में यह प्रश्न कहीं गहरे घर कर जाता है कि एक ही स्त्री के दो रूप कैसे हो सकते हैं और वह यह नहीं समझ पाता कि आख़िर वह नारी के किस रूप को स्वीकार करे। शरतचंद्र अपनी कहानियों में नारी हृदय की गांठों और गुत्थियों को जिस कुशलता से खोलते हैं, उनकी रचनाओं में नारी का जो बहुरूप सामने आता है, वैसी झलक विश्व-साहित्य में कहीं नहीं मिलती।
कृतियाँ
शरतचंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे हैं जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, अभागिनी का स्वर्ग, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, अनुपमा का प्रेम, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, ब्राह्मण की लड़की, सती, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं। उन्होंने बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर ‘पथेर दावी’ उपन्यास लिखा था। कई भारतीय भाषाओं में शरत के उपन्यासों के अनुवाद हुए हैं। शरतचंद्र के कुछ उपन्यासों पर आधारित हिन्दी फ़िल्में भी कई बार बनी हैं।
1974 में Sarat Chandra Chattopadhyay के उपन्यास ‘चरित्रहीन’ पर आधारित फ़िल्म बनी थी। उसके बाद देवदास को आधार बनाकर देवदास फ़िल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है। पहली देवदास (1936) कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास (1955) दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास (2002) शाहरुख़ ख़ान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत है। इसके अतिरिक्त 1974 में चरित्रहीन, परिणीता 1953 और 2005 में भी बनी थी, बड़ी दीदी (1969) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं।
प्रकाशित ग्रन्थ
उपन्यास
- बड़दिदि
- बिराजबौ
- परिणीता
- बैकुन्ठेर उइल
- पल्लीसमाज
- चन्द्रनाथ
- अरक्षणीया
- पन्डितमशाइ
- देवदास
- चरित्रहीन
- श्रीकान्त
- निष्कृति
- श्रीकान्त 2
- दत्ता
- गृहदाह
- बामुनेर मेये
- देना पाओना
- नबबिधान
- पथेर दाबी
- श्रीकान्त
- शेष प्रश्न
- बिप्रदास
- श्रीकान्त
- शुभदा
- शेषेर परिचय,1939
नाटक
- षोड़शी
- रमा
- बिराज बौ
- बिजया
गल्प
- रामेर सुमति
- बिन्दुर छेले
- पथ-निर्देश
- मेजदिदि
- आधाँरे आलो
- दर्पचूर्ण
- काशीनाथ
- छबि
- बिलासी
- मामलार फल
- हरिलक्षी
- महेश
- अभागीर स्बर्ग
- अनुराधा
- सती
- परेश
निबन्ध
- नारीर मूल्य
- तरुणेर बिद्रोह
- स्बदेश ओ साहित्य
- स्बराज साधनाय नारी
- शिक्षार बिरोध
- स्मृतिकथा
- अभिनन्दन
- भबिष्यत् बंग-साहित्य
- गुरु-शिष्य संबाद
- साहित्य ओ नीति
- साहित्ये आर्ट ओ दुर्नीति
- भारतीय उच्च संगीत
मृत्यु
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्यु 16 जनवरी 1938 ई. को हुई थी।