सर्बानन्द सोनोवाल (English – Sarbananda Sonowal) भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद और असम के 14वें मुख्यमंत्री हैं।
सोनोवाल ने साल 2001 में असम गण परिषद को ज्वाइन किया और उसी साल वो MLA बन गए।
2014 में वह लखीमपुर के MP बने थे और साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार में वो खेल एवं युवा मामलों के मंत्री हैं। मई 2016 में हुए असम विधान सभा चुनाव में वे भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद उन्होने 26 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
सर्बानन्द सोनोवाल की जीवनी – Sarbananda Sonowal Biography Hindi
संक्षिप्त विवरण
नाम | सर्बानन्द सोनोवाल |
पूरा नाम | सर्बानन्द सोनवाल |
जन्म | 31 अक्टूबर 1962 |
जन्म स्थान | असम के डिब्रूगढ़ |
पिता का नाम | जीवेश्वर सोनोवाल |
माता का नाम | दिनेश्वरी सोनोवाल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | |
जाति |
जन्म
Sarbananda Sonowal का जन्म 31 अक्टूबर 1962 को असम के डिब्रूगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम जीवेश्वर सोनोवाल और उनकी माता का नाम दिनेश्वरी सोनोवाल है।
शिक्षा और राजनीतिक करियर
सर्बानन्द सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से स्नातक किया इसके बाद उन्होने डिब्रूगढ़ और इसके बाद उन्होने क़ानून की पढ़ाई गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से LL.B और B.C.J की शिक्षा प्राप्त की। यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी की। वे छात्र जीवन के दौरान ही छात्र राजनीति में भी संलग्न रहे। वर्ष 1996 से 2000 तक ये पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एन.ई.एस.ओ) के अध्यक्ष भी रहे। इस समय में वे असम के लखीमपुर सीट से लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले वे असम भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। सोनोवाल को असम के युवा नेता के तौर पर जाना जाता है। सर्बानन्द सोनोवाल को असम का जातीय नायक भी कहा जाता है क्योंकि ये असम के कछारी जनजाति के समुदाय से आते है। भाजपा ने असम चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।
Sarbananda Sonowal ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ऑल असम स्टूडेंट यूनियन से की थी। साल 1992 से लेकर 1999 तक यह इसके प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं। उन्होने 2001 में असम गण परिषद को ज्वाइन किया और उसी साल ये MLA बन गए। डिब्रूगढ़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह को हराकर सोनोवाल ने पहली बार साल 2004 में लोकसभा में कदम रखा।
असम गढ़ परिषद में हुई कुछ असमानताओं के चलते उन्होंने साल 2011 में भाजपा का दामन थाम लिया। भारतीय जनता पार्टी में 2012 में उन्हें असम यूनिट का प्रेसीडेंट बनाया गया। लोकसभा में वापसी करने से पहले सोनोवाल 2014 तक असम BJP के चीफ भी रह चुके हैं।
नरेंद्र मोदी की सरकार में इन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था। इसके बाद वे 2015 में एक बार फिर असम यूनिट के चीफ के तौर पर चुने गए। सोनोवाल को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने उस गैरकानूनी प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित) अधिनियम को सफलतापूर्वक चुनौती दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में असंवैधानिक बताया था।
योगदान
असम में बांग्लादेश के नागरिकों की अवैध स्थानांतरण, जो हमेशा से ही बड़ी समस्या रहा है। बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में आने से रोकने के लिए इल्लीगल माइग्रैंड्स डिटर्मिनेशन बाई ट्राइब्युनल एक्ट 1983 अस्तित्व में आया है। यह एक्ट भारत सरकार और ऑल स्टूडेंट यूनियन के बीच हुआ था। इस एक्ट के अनुसार असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को असम में रहने की अनुमति दी गयी थी। यह क़ानून उन विदेशी नागरिकों पर लागू होता है जो 25 मार्च 1971 के बाद असम में बसे थे। सोनोवाल अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले गये और कोर्ट ने इस एक्ट को खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस क़ानून को गलत ठहराया और बांग्लादेशी नागरिकों को असंवैधानिक करार दिया।