आज इस आर्टिकल में हम आपको सरदार शोभा सिंह की जीवनी देने जा रहे है. शोभा सिंह पंजाब, भारत के एक प्रसिद्ध समकालीन चित्रकार थे। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको सरदार शोभा सिंह के जीवन के बारे में बताएगे

सरदार शोभा सिंह की जीवन
जन्म
सरदार सोभा सिंह का जन्म 29 नवम्बर 1901 को एक रामगढ़िया सिख परिवार में श्री हरगोबिंदपुर, पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम देवा सिंह, भारतीय घुड़सवार सेना में थे।
करियर
- शोभा सिंह पंजाब के सबसे अच्छे चित्रकारों में से एक माने जाते थे।
- 1969 में गुरु नानक की 500 वीं जयंती के अवसर पर उनके द्वारा बनाया गया गुरू नानक का चित्र गुरु नानक के चेहरे के बहुत करीब है।
- उन्होने गद्दी जनजाति के लोगों के चित्र भी चित्रित किया हैं, जिसकी पृष्ठभूमि में धौलाधार श्रेणियाँ हैं।
- 1940 में उन्होने सोहनी–महिवाल की पेंटिंग बनाई जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी है।
- उन्होने हीर–राँझा की पेंटिंग भी की जिसकी भी पर्यटकों द्वारा काफी तारीफ की जाती है।
आर्ट गैलरी
शोभा सिंह आर्ट गैलरी पालमपुर शहर का प्रमुख आकर्षण है, जहाँ भारत के पंजाब राज्य के प्रसिद्ध समकालीन चित्रकार सर शोभा सिंह के कलात्मक प्रयासों का प्रदर्शन किया गया है। यह गैलरी पालमपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सर शोभा सिंह ने बहुत सारे चित्र बनाए जिसमें सिख गुरुओं पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया। सर शोभा सिंह द्वारा बनाए हुए भारतीय नायकों और नेताओं के चित्र भी इस गैलरी में प्रदर्शित किये गए हैं जिनमें शहीद भगत सिंह, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री तथा अन्य शामिल हैं।
1969 में गुरु नानक की 500 वीं जयंती के अवसर पर उनके द्वारा बनाया गया गुरू नानक का चित्र गुरु नानक के चेहरे के बहुत करीब है। वह पर गद्दी जनजाति से जुड़े के लोगों के चित्र भी देख सकते हैं, जिसकी पृष्ठभूमि में धौलाधार श्रेणियाँ हैं। इस गैलरी में 1940 में बनी हुई सोहनी–महिवाल की पेंटिंग रखी गई है जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। हीर–राँझा की पेंटिंग की भी पर्यटकों द्वारा काफी तारीफ की जाती है।
मृत्यु
शोभा सिंह की मृत्यु 1986 में हुई थी।
महान आर्टिस्ट शोभा सिंह जी के बारे में जान कर ज्ञान वर्धन हुआ कैसे उन्होंने सोनी महिवाल और ग्रेट सिख गुरुओं की पेंटिंग्स को बनाया ,उनके द्वारा शहीद भगत सिंह और करतार सराभा की पेंटिंग्स बनाई गई , कैसे इन्होंने पालमपुर के पास स्थित अर्देत्ता स्थान को विश्व मानचित्र पर अपनी कला से उकेरा ,जानकर मन आनंदित हुआ।