सरोजिनी नायडू सुप्रसिद्ध कवयित्री और भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में हमेशा आगे रहती थी । उनके संगी साथी उनसे शक्ति, साहस और ऊर्जा पाते थे। युवा शक्ति को उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। तो आइए आज हम आपको इस आर्टिकल में सरोजिनी नायडू की जीवनी – Sarojini Naidu Biography Hindi के बारे में बताएंगे
सरोजिनी नायडू की जीवनी – Sarojini Naidu Biography Hindi
जन्म
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फ़रवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ था।उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता का नाम वरदा सुन्दरी था। ये उनकी की आठ संतानों में सबसे बड़ी थीं। अघोरनाथ एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे। वह कविता भी लिखते थे। माता वरदा सुन्दरी भी कविता लिखती थीं। अपने कवि भाई हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय की तरह सरोजिनी को भी अपने माता-पिता से कविता–सृजन की प्रतिभा प्राप्त हुई थी। अघोरनाथ चट्टोपाध्याय ‘निज़ाम कॉलेज’ के संस्थापक और रसायन वैज्ञानिक थे।
सरोजिनी ने 19 साल की उम्र में डॉ गोविंदराजुलू नायडु से विवाह कर लिया। डॉ गोविंदराजुलू गैर-ब्राह्मण थे और पेशे से एक डॉक्टर थे। उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया था जो कि उस दौर में मान्य नहीं था। यह एक तरह से क्रांतिकारी कदम था मगर उनके पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहा और इस शादी से उन्हें चार संतान जयसूर्या, पदमज, रणधीर और लीलामणि हुए।
शिक्षा
उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में पहला स्थान हासिल किया था। उनके पिता चाहते थे कि वो गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें परंतु उनकी रुचि कविता में थी। उनकी कविता से हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी। 16 वर्ष की आयु में वो इंग्लैंड गयीं। वहां पहले उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रीतान कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की।
योगदान
रचनाएँ
‘द गोल्डन थ्रेशोल्ड’, ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ और ‘द ब्रोकन विंग’ उनके लिखे प्रसिद्ध ग्रंथ हैं।