Biography Hindi

शिवानी की जीवनी – Shivani Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको शिवानी की जीवनी – Shivani Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे है-

शिवानी हिंदी की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थी। उनका वास्तविक नाम गोरापंत था लेकिन वे शिवानी नाम से लेखन करती थी। उनकी कहानियां और उपन्यास हिंदी पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय हुए और वे आज भी लोग उन्हें बहुत चाव से पढ़ते हैं।
उनकी लिखी कृतियां में कृष्णाकली, भैरवी , आमादेर, शांतिनिकेतन, विषकन्या चौदह फेरे आदि प्रमुख है। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको शिवानी की जीवनी – Shivani Biography Hindi के बारे में बताएगे।

शिवानी की जीवनी – Shivani Biography Hindi

शिवानी की जीवनी
शिवानी की जीवनी

जन्म

शिवानी का जन्म 17 अक्टूबर 1923 को गुजरात के पास राजकोट शहर में हुआ था। उनका वास्तविक नाम गोरापंत ‘शिवानी’ था। शिवानी के पिता का नाम श्री अश्विनी कुमार पांडे था। श्री अश्विनी कुमार पांडे राजकोट में स्थित राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल के पद पर स्थापित थे। जो कालांतर में मानबादर और रामपुर की रियासतों में दीवान भी रहे हैं। शिवानी के माता और पिता दोनों ही संगीत प्रेमी थे । शिवानी के माता और पिता को कई भाषाओं के बारे में जानकारी थी। शिवानी की माँ गुजरात की विदुषी, पिता अंग्रेज़ी के लेखक थे। पहाड़ी पृष्ठभूमि और गुरुदेव की शरण में शिक्षा ने शिवानी की भाषा और लेखन को बहुयामी बनाया। बांग्ला साहित्य और संस्कृति का शिवानी पर गहरा प्रभाव पड़ा।

शिक्षा

शिवानी जी ने पश्चिम बंगाल के शन्तिनिकेतन से बी.ए.किया था। साहित्य और संगीत के प्रति एक गहरा रुझान शिवानी जी को अपने माता-पिता से ही मिला था। शिवानी ने 1994 में पुणे विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता के रूप में अपने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग स्नातक की डिग्री प्राप्त की

लेखन कार्य की शुरुआत

शिवानी के लेखन एवं व्यक्तित्व में उदारवादिता और परम्परानिष्ठता का जो अद्भुत मेल है, उसकी जड़ें, इसी विविधतापूर्ण जीवन में थीं। शिवानी जी की प्रथम रचना अल्मोड़ा से निकलने वाली ‘नटखट’ नामक एक बाल पत्रिका में छपी थी। उस समय वे केवल 12 साल की थीं। इसके बाद वे मालवीय जी की सलाह पर पढ़ने के लिए अपनी बड़ी बहन जयंती तथा भाई त्रिभुवन के साथ शान्तिनिकेतन भेजी गईं, जहाँ स्कूल तथा कॉलेज की पत्रिकाओं में बांग्ला में उनकी रचनाएँ नियमित रूप से छपती रहीं।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर शिवानी जी को ‘गोरा’ कहकर पुकारते थे। रवीन्द्रनाथ टैगोरजी का मानना था कि हर लेखक को मातृभाषा में ही लेखन करना चाहिए, शिरोधार्य कर शिवानी ने हिन्दी में लिखना आरंभ किया। ‘शिवानी’ की एक लघु रचना ‘मैं मुर्गा हूँ’ 1951 में ‘धर्मयुग’ में छपी थी। इसके बादमें उन्होने कहानी ‘लाल हवेली’ लिखी और तब से जो लेखन-क्रम शुरू हुआ, उनके जीवन के अन्तिम दिनों तक चलता रहा। उनकी अन्तिम दो रचनाएँ ‘सुनहुँ तात यह अकथ कहानी’ एवं ‘सोने दे’ उनके विलक्षण जीवन पर आधारित आत्मवृत्तात्मक आख्यान हैं।

करियर

शिवानी जी ने भारतीय विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे के एक प्राध्यापक के रूप में 2 साल तक काम किया और उन्होने एक साक्षात्कार के लिए अपने माता- पिता से बचपन में ब्रम्हाकुमारी में जाने की बात कही लेकिन बाद में उनकी शादी विशाल वर्मा के साथ हो गई थी। लेकिन 23 साल की उम्र में वह खुद ब्रह्मा कुमारी कार्यशाला में जाने के लिए फिर से जुट गई थी। शुरुआत में सोनी टीवी के लिए दिल्ली में ब्रम्हाकुमारी टेलीविजन प्रस्तुतियों के पीछे काम करने के बाद, 2007 में शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण उन्होंने दर्शकों को स्वयं सवाल पूछने को कहा गया था।
इसमें टीवी कार्यक्रम “Awakening with Brahma Kumaris” नामक एक कार्यक्रम का नेतृत्व किया। बीके शिवानी अब दिल्ली में इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र के माता-पिता कार्यक्रम के लिए अंगदान को बढ़ावा देने से लेकर धर्मार्थ घटनाओं पर ब्रह्माकुमारी को बढ़ावा देने वाले भारत में यात्रा करती है। सुरेश ओबराय के साथ उनकी टीवी श्रृंखला “happiness unilmited” को बेस्टसेलर पुस्तक में रूपांतरित किया गया था। 2014 में आध्यात्मिक चेतना सख्त बनाने में उत्कृष्टता के लिए ऑल लेडीस लिंग द्वारा दी डायोड अचीवर्स अवार्ड की महिलाओं के साथ उन्हें सम्मानित किया गया है।

रचनाएँ

उपन्यास, कहानी, व्यक्तिचित्र, बाल उपन्यास और संस्मरणों के अलावा लखनऊ से निकलने वाले पत्र ‘स्वतन्त्र भारत’ के लिए ‘शिवानी’ ने कई सालों तक एक चर्चित स्तम्भ ‘वातायन’ भी लिखा। उनके लखनऊ स्थित आवास-66, गुलिस्ताँ कालोनी के द्वार, लेखकों, कलाकारों, साहित्य-प्रेमियों के साथ-साथ समाज के हर वर्ग जुड़े उनके पाठकों के लिए हमेशा खुले रहे। शिवानी जी की ‘आमादेर शांति निकेतन’ और ‘स्मृति कलश’ इस पृष्ठभूमि पर लिखी गई सबसे श्रेष्ठ पुस्तकें हैं। ‘कृष्णकली’ उनके द्वारा लिखा गया सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसके दस से भी ज्यादा संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।

उपन्यास

  • कृष्णकली
  • कालिंदी
  • अतिथि
  • पूतों वाली
  • चल खुसरों घर आपने
  • श्मशान चंपा
  • मायापुरी
  • कैंजा
  • गेंदा
  • भैरवी
  • स्वयंसिद्धा
  • विषकन्या
  • रति विलाप
  • आकाश

यात्रा विवरण

  • चरैवैति
  • यात्रिक

धारावाहिक

  • ‘सुरंगमा’
  • ‘रतिविलाप’,
  • ‘मेरा बेटा’
  • ‘तीसरा बेटा’

आत्मकथ्य

  • सुनहुँ तात यह अमर कहानी

कहानी संग्रह

  • शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ
  • शिवानी की मशहूर कहानियाँ
  • झरोखा, मृण्माला की हँसी

संस्मरण

  • अमादेर शांति निकेतन
  • समृति कलश
  • वातायन
  • जालक

पुरस्कार

1982 में शिवानी जी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

शिवानी की मृत्यु 21 मार्च, 2003 को दिल्ली में 79 वर्ष की आयु में हुई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close