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श्रीकांत वर्मा की जीवनी – Shrikant Varma Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको श्रीकांत वर्मा की जीवनी – Shrikant Varma Biography Hindi के बारे में बताएगे।

श्रीकांत वर्मा की जीवनी – Shrikant Varma Biography Hindi

श्रीकांत वर्मा की जीवनी
श्रीकांत वर्मा की जीवनी

 

(English – Shrikant Varma)श्रीकांत वर्मा हिन्दी साहित्य में कथाकार, गीतकार और एक समीक्षक के रूप में विशेष तौर पर जाने जाते हैं।

उन्होने 1956 मेंनरेश मेहता के साथ प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका ‘कृति’ का दिल्ली से संपादन एवं प्रकाशन कार्य किया।

संक्षिप्त विवरण

 

नामश्रीकांत वर्मा
पूरा नामश्रीकांत वर्मा
जन्म18 सितंबर 1931
जन्म स्थान बिलासपुर, छत्तीसगढ़
पिता का नामराजकिशोर वर्मा
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म

श्रीकांत वर्मा का जन्म 18 सितंबर 1931 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ था। इनका पिता का नाम राजकिशोर वर्मा था जोकि पेशेवर से वकील थे।

शिक्षा – श्रीकांत वर्मा की जीवनी

श्रीकांत वर्मा ने प्रारम्भिक शिक्षा के लिए बिलासपुर के एक अंग्रेज़ी स्कूल में दाखिला करवाया गया, लेकिन वहाँ का वातावरण उन्हें रास नहीं आया। श्रीकांत वर्मा ने उस स्कूल को छोड़ दिया और नगरपालिका के स्कूल से शिक्षा ग्रहण की।

मैट्रिक पास कर लेने के बाद उन्होने आगे की शिक्षा के लिए उन्हें इलाहाबाद भेजा गया। वहाँ उन्होंने ‘क्रिश्चियन कॉलेज’ में दाखिला लिया। लेकिन वहाँ उन्हें घर की याद सताने लगी और वे बिलासपुर वापस लौट आए।

यहीं से उन्होंने बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद में उन्होने प्राइवेट से ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से एम.ए. किया।

करियर

श्रीकांत जी के पिता वकील थे और परिवार भी समृद्ध था, फिर भी श्रीकांत वर्मा को काफ़ी कठिन दिन देखने पड़े। 1952 तक वे बेकारी झेलते रहे। घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होती जा रही थी। अब उन्होंने स्कूल शिक्षक की नौकरी शुरू की।

वे परिवार में सबसे बड़े थे, इसलिए परिवार की जिम्मेदारी भी उन पर आ पड़ी। 1954 में उनकी भेंट गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ से हुई। उनकी प्रेरणा से बिलासपुर में श्रीकांत वर्मा ने नवलेखन की पत्रिका ‘नयी दिशा’ का संपादन करना शुरू किया।

संपादन एवं प्रकाशन कार्य

1956 से नरेश मेहता के साथ प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका ‘कृति’ का दिल्ली से संपादन एवं प्रकाशन कार्य किया। वर्ष 1956 से लेकर 1963 तक का समय उनके लिए संघर्ष का काल था।

1964 में रायपुर की सांसद मिनी माता ने उन्हें दिल्ली के अपने सरकारी आवास में रहने के लिए बुला लिया, जहाँ वे अगले ग्यारह साल तक रहे। दिल्ली में वे पत्रकारिता से भी जुड़े। 1965 से 1977 तक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रकाशन समूह से निकलने वाली पत्रिका ‘दिनमान’ में उन्होंने विशेष संवाददाता की हैसियत से काम किया।

राजनीति जीवन – श्रीकांत वर्मा की जीवनी

बाद के समय में श्रीकांत वर्मा कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्हें ‘दिनमान’ से अलग होना पड़ा। 1969 में वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के काफ़ी क़रीब आये। वे कांग्रेस के महासचिव भी बनाये गये थे।

1976 में वे मध्य प्रदेश से राज्य सभा में निर्वाचित हुए। इसके बाद 1980 में कांग्रेस प्रचार समीति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। राजीव गाँधी के शासन काल में उन्हें 1985 में महासचिव के पद से हटा दिया गया।

रचनाएँ

काव्य रचनाएँ

भटका मेघ (1957)मायादर्पण (1967)दिनारंभ (1967)
जलसाघर (1973)मगध (1983)गरुड़ किसने देखा (1986)

उपन्यास

कहानी-संग्रह

झाड़ी (1964)संवाद (1969)घर (1981)दूसरे के पैर (1984)
अरथी (1988)ठंड (1989)वास (1993)साथ (1994)

यात्रा वृत्तांत

संकलन

आलोचना

साक्षात्कार – श्रीकांत वर्मा की जीवनी

अनुवाद

पुरस्कार व सम्मान

मृत्यु – श्रीकांत वर्मा की जीवनी

श्रीकांत वर्मा जी की मृत्यु 26 मई 1986 को कैंसर के कारण हुआ।

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