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श्रीराम लागू की जीवनी – Shriram Lagoo Biography Hindi

 

आज इस आर्टिकल में हम आपको श्रीराम लागू की जीवनी – Shriram Lagoo Biography Hindi के बारे में बताएगे।

श्रीराम लागू की जीवनी – Shriram Lagoo Biography Hindi

श्रीराम लागू की जीवनी
श्रीराम लागू की जीवनी

( English – Shriram Lagoo)श्रीराम लागू हिन्दी व मराठी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे।

पढ़ाई के दौरन ही वे रंगमंच से जुड़ गए।

उन्होने 100 से अधिक हिन्दी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया।

उन्होने करीब 20 मराठी नाटकों का निर्देशन किया।

वह ईएनटी डॉक्टर भी थे। 42 की उम्र में 1969 में पूरी तरह मराठी थिएटर से जुड़ गए।

प्रसिद्ध मराठी नाटक नटसम्राट में यादगार अभिनय किया।

फिल्म घरौंदा के लिए 1978 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

संक्षिप्त विवरण

 

नामश्रीराम लागू
पूरा नामश्रीराम लागू
जन्म16 नवंबर, 1927
जन्म स्थानसतारा ज़िला, महाराष्ट्र
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म और शिक्षा – श्रीराम लागू की जीवनी

श्रीराम लागू का जन्म 16 नवंबर, 1927 को सतारा ज़िला, महाराष्ट्र में हुआ था।

वे मराठी थियेटर के दिग्गज कलाकार थे। खास बात ये थी कि फिल्मों में आने से पहले श्रीराम लागू पेशे से डॉक्टर थे।

वह नाक-कान और गले के सर्जन थे। उन्होंने एमबीबीएस और एमएस दोनों मेडिकल डिग्री प्राप्त की थीं।

डॉ. लागू को एक्टिंग का शौक़ मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही लग गया था।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी।

उन्होंने 1971 में आयी आहट- एक अजीब कहानी से हिंदी सिनेमा में बतौर एक्टर पारी शुरू की थी।

अपने करियर में उन्होंने कई तरह के किरदार निभाये।

डॉ. श्रीराम लागू एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ ENT सर्जन भी थे। उन्होंने अपने करियर में फ़िल्मों के अलावा 20 मराठी नाटकों का निर्देशन भी किया। अस्सी और नब्बे के दशक में डॉ. लागू फ़िल्मों में एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुके थे।

इस दौरान उन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा की क़रीब साठ फ़िल्मों में अलग-अलग भूमिकाएं अदा कीं।

1990 के बाद पर्दे पर उनकी मौजूदगी कम हो गयी थी, मगर थिएटर में वो सक्रिय रहे।

करियर

Shriram Lagoo ने अपने कॅरियर की शुरुआत ‘वो आहट: एक अजीब कहानी’ से की। ये फिल्म साल 1971 में आई थी। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में ‘पिंजरा’, ‘मेरे साथ चल’, ‘सामना’, ‘दौलत’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया। इसके अलावा श्रीराम लागू ने मराठी फिल्मों और नाटक में भी काम किया।

फ़िल्मी शुरुआत

 

पुणे और मुंबई में पढ़ाई करने वाले श्रीराम लागू को एक्टिंग का शौक बचपन से ही था। पढ़ाई के लिए उन्होंने मेडिकल को चुना पर नाटकों का सिलसिला वहाँ भी चलता रहा। मेडकिल का पेशा उन्हें अफ़्रीका समेत कई देशों में लेकर गया।

वह सर्जन का काम करते रहे लेकिन मन एक्टिंग में ही अटका था।

तब 42 साल की उम्र में उन्होंने थियेटर और फ़िल्मों की दुनिया में कदम रखा।

1969 में वह पूरी तरह मराठी थियेटर से जुड़ गए।

  • विधाता (1982)
  • खुद्दार (1994)
  • लावारिस (1981)
  • काला बाज़ार (1989)

इन फिल्मों में श्रीराम लागू के शानदार अभिनय के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। श्रीराम लागू ने अपने फिल्मी करियर में 100 से ज्यादा हिंदी और 40 से ज्यादा मराठी फिल्मों में काम किया।

सन 1978 में फिल्म घरौंदा के लिए डॉ. श्रीराम लागू को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।

प्रमुख फिल्में – श्रीराम लागू की जीवनी

 

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
2001ध्यासपर्वमराठी फ़िल्म
1994खुद्दार
1994गोपाला
1993मायामाया
1993बड़ी बहन
1993प्यार का तराना
1992करन्ट
1992इमेक्यूलेट इंस्पेकशनअंग्रेजी फ़िल्म
1992सरफिरा
1991फूलवती
1990किशन कन्हैयासुन्दर दास
1989एक दिन अचानक
1989गलियों का बादशाहचाचा अब्दुल
1989काला बाज़ार
1989दाना पानी
1989तौहीन
1988नामुमकिन
1988तमाचा
1988चरणों की सौगन्धगोविंद
1988औरत तेरी यही कहानी
1987शेर शिवाजी
1987आवाम
1987मर्द की ज़बान
1987इंसाफ की पुकार
1987मजाल
1987मेरा कर्म मेरा धर्म
1986एक पल
1986सवेरे वाली गाड़ी
1986समय की धारा
1986लॉकेट
1986काला धंधा गोरे लोग
1986जीवा
1986सिंहासन
1986दिलवालागणेश भिथल कोल्हापुरे
1986मुद्दतविक्रम सिंह
1986घर संसार
1985अनकही
1985सितमगर
1985हम नौजवान
1985सरफ़रोशपुलिस कमिश्नर
1984बद और बदनाम
1984तरंग
1984मेरी अदालत
1984होली
1984मकसद
1984लव मैरिजमेहरा
1983मुझे इंसाफ चाहिये
1983सौतन
1983पुकार
1983कलाकाररोहित खन्ना
1983मवाली
1983हम से है ज़मानाकालीचरण
1976 से 1982 तक
1982मैं इन्तकाम लूँगी
1982दीदार-ए-यार
1982रास्ते प्यार के
1982श्रीमान श्रीमतीअरुणा के पिता
1982दौलत
1982सम्राट
1982विधाता
1982चोरनीजज सिन्हा
1981घुंघरू की आवाज़
1981अग्नि परीक्षावकील अनुपम
1981चेहरे पे चेहरापुजारी
1981जमाने को दिखाना है
1981सनसनी
1981लावारिस
1980गहराई
1980दो और दो पाँच
1980इंसाफ का तराजूमिस्टर चन्द्रा
1980थोड़ी सी बेवफाई
1980नीयत
1980कस्तूरी
1980ज्वालामुखी
1980स्वयंवर
1980लूटमार
1980ज्योति बने ज्वाला
1979जुर्माना
1979मीराराजा बिरामदेव राठोड
1979तराना
1979हम तेरे आशिक हैं
1979मुकाबला
1979मंज़िल
1978दामाद
1978मेरा रक्षक
1978अरविन्द देसाई की अजीब दास्तान
1978देवता
1978नया दौर
1978फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
1978मुकद्दर का सिकन्दर
1978देस परदेसमि. बांड
1977इंकार
1977घरौंदा
1977किनारा
1977ईमान धर्मगोविंद अन्नाडॉ॰ श्रीराम लागू नाम से
1977अगरअशोक सक्सेना
1976हेरा फेरी
1976चलते चलते
1976बुलेट

नाटक ‘नट सम्राट’

Shriram Lagoo प्रसिद्ध नाटक ‘नट सम्राट’ के पहले हीरो थे। इस नाटक को प्रसिद्ध लेखक कुसुमाग्र ने लिखा था। इस नाटक में उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है।

नट सम्राट नाटक में उन्होंने अप्पासाहेब बेलवलकर की भूमिका निभाई थी, जिसे मराठी थिएटर के लिए मील का पत्थर माना जाता है। इस नाटक में अपने शानदार अभिनय के बाद उन्हें नट सम्राट कहा जाने लगा।

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक बार कहा था कि- “श्रीराम लागू की आत्मकथा ‘लमाण’ किसी भी एक्टर के लिए बाइबिल की तरह है”।

पुरस्कार व सम्मान – श्रीराम लागू की जीवनी

  • 1978 में घरौंदा फ़िल्म के लिए श्रीराम लागू को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए फ़िल्मफेयर अवॉर्ड प्रदान किया गया था।
  • 1997 में उन्हें ‘कालीदास सम्मान’ से नवाज़ा गया था।
  • 2006 में डॉ. लागू को सिनेमा में योगदान के लिए ‘मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान’ ने सम्मानित किया था।
  • 2010 में उन्हें ‘संगीत नाटक एकेडमी फेलोशिप’ से सम्मानित किया गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. श्रीराम लागू ने ‘लमान’ शीर्षक से आत्मकथा भी लिखी।

निधन

श्रीराम लागू का निधन 92 साल की उम्र में 17 दिसंबर, 2019 (मंगलवार) को  पुणे के निजी अस्पताल में हुआ।

इसे भी पढ़े – 16 नवंबर का इतिहास – 16 November in History Hindi

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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