श्रीमती इंदिरा गांधी के लोग लगातार शुक्ल को अस्थिर करने की कोशिश में लगे रहते।

शुक्ल की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही थी और इसका लाभ उठाकर कई तांत्रिक उनके आस-पास घूमने लगे।

वे भी तंत्र-मंत्र के चक्कर में डूबे रहते और तांत्रिकों के कहे अनुसार कुछ न कुछ करते रहते।

उन्हीं दिनों शिमला में हुए कांग्रेस के सम्मेलन में शुक्ल के खिलाफ पर्चे बांटे गए और कुछ दिन बाद उनके मंत्रिमंडल के छह सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद में शुक्ल पर दबाव बहुत बढ़ गया था।

इस बीच इंदिरा गांधी ने भी शुक्ल को हालात से अपने स्तर पर ही निपट लेने की सलाह दी।

मृत्यु – श्यामाचरण शुक्ल की जीवनी

Shyama Charan Shukla की 14 फरवरी 2007 में उनकी मृत्यु हो गई।

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