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शिरडी साईं बाबा की जीवनी – Shirdi Sai Baba Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको शिरडी साईं बाबा की जीवनी – Shirdi Sai Baba Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

शिरडी साईं बाबा की जीवनी – Shirdi Sai Baba Biography Hindi

शिरडी साईं बाबा की जीवनी

Shirdi Sai Baba एक भारतीय अध्यात्मिक गुरु, योगी और फकीर थे।

साईं बाबा को चमत्कारी पुरुष तो कोई दैवीय अवतार मानते है, लेकिन कोई भी
उन पर यह सवाल नहीं उठाता है कि वह हिंदू है या मुसलमान

साईं बाबा ने जाति-पाति तथा धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर एक विशुद्ध संत
के रूप में प्रस्तुत हुए थे।

वह सभी जीवात्माओं की पुकार सुनने उनके कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।

साईं बाबा को सिर्फ भारत के हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि समूचे संसार के लोग उन्हें अपना प्रिय मानते हैं।

जन्म

साईं बाबा का जन्म 28 सितंबर, 1836 ई. में हुआ था लेकिन उनके जन्म स्थान और जन्म के संदर्भ में अभी तक मतभेद है। लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि साईं बाबा का जीवन काल 1838 से 1918 के बीच का है। अधिकांश विवरणों के अनुसार बाबा एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे और बाद में एक सूफी फकीर द्वारा गोद ले लिए गए थे।

आगे चलकर उन्होंने स्वयं को एक हिंदू गुरु का शिष्य बताया।

लगभग 1898 साईं बाबा पश्चिम भारतीय राज्य महाराष्ट्र के गांव शिरडी में आकर रहने लगे और वहीं पर वे आजीवन तक रहे। साईं बाबा शिरडी के एक निर्जन मस्जिद में रहे जहां पर कुछ सूफी परंपराओं के पुराने रिवाजों के अनुसार वह धूनी रमाते थे।

साईं बाबा मुस्लिम टोपी पहनते थे। उस मस्जिद का नाम उन्होंने ‘द्वारकामाई’ रखा था, जो निश्चित रूप से एक हिंदू नाम था। कहा जाता है कि साईं बाबा को पुराणों, भगवतगीता और हिंदू दर्शन की विभिन्न शाखाओं का अच्छा ज्ञान था।बाबा के नाम की उत्पत्ति ‘साईं ‘शब्द से हुई थी, जो मुसलमानों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाला फारसी का शब्द है जिसका अर्थ होता है पूज्य व्यक्ति और बाबा ‘पिता’ के लिए एक हिंदी शब्द है।

अनुयायी

साईं बाबा एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु और फकीर थे जिन्होंने धर्म की सीमाओं में कभी नहीं बंधे रहे।

वास्तव में उनके अनुयायियों में हिंदू और मुस्लिमों की संख्या बराबर थी।

श्रद्धा और सबुरी यही उनके विचार दर्शन का सार था साईं बाबा का मानना था कि कोई भी इंसान अपार धैर्य और सच्ची श्रद्धा की भावना रखकर ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है।सबका मालिक एक है वाक्य से साईं बाबा ने संपूर्ण जगत को सर्वशक्तिमान ईश्वर के स्वरूप का साक्षात्कार करवाया था। बाबा ने मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया और कई ऐसे चमत्कार किए, जिनसे लोग उन्हें भगवान की उपाधि देने लगे।

आज भी शिरडी साईं बाबा के भक्तों की संख्या लाखों करोड़ों में  भी नहीं आंकी जा सकती ।

आगमन – शिरडी साईं बाबा की जीवनी

16 वर्ष की अवस्था में साईं बाबा महाराष्ट्र के अहमदनगर के शिरडी गांव में पहुंचे, और अपने जीवन की अंतिम सांस तक उसी स्थान पर रहे।शुरुआत में कई लोग उन्हें पागल बताकर उनकी अवमानना करते थे लेकिन शादी के अंत तक उनके समूह को प्रदेश और चमत्कारों से आकर्षित होकर हिंदू और मुस्लिमों की एक बड़ी संख्या उनकी अनुयाई बन गई।

कुछ लोगों का मानना है कि साईं के पास अद्भुत दिव्य शक्ति थी, जिनके सहारे वे लोगों की मदद करते थे।

लेकिन साईं बाबा ने कभी भी इस बात को नहीं स्वीकारा।

साईं बाबा हमेशा साधारण फकीर की वेशभूषा में रहते थे। जमीन पर सोते थे।

और भीख मांग कर अपना गुजारा करते थे।

कहते हैं कि उनकी आंखों में एक दिव्य चमक थी जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी।

साईं बाबा का एक ही लक्ष्य था लोगों में ईश्वर के प्रति विश्वास पैदा करना

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बाबा के द्वारा दी गई शिक्षा

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उपदेश – शिरडी साईं बाबा की जीवनी

साईं बाबा के उपदेश अक्सर विरोधाभासी चित्रण के रूप में होते थे और उस में हिंदुओं तथा मुसलमानों को जकड़ने वाली कट्टर औपचारिकता के प्रति तिरस्कार तथा साथ ही गरीब रोगियों के प्रति सहानुभूति प्रतिबिंबित होती थी। शिरडी एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और उपासनी बाबा और मेहर बाबा जैसी अध्यात्मिक हस्तियां साईं बाबा के उपदेशों की मान्यता देती है।

साईं बाबा के द्वारा दिए गए अनमोल वचन

मृत्यु – शिरडी साईं बाबा की जीवनी

साईं बाबा अपनी घोषणा के अनुसार 15 अक्टूबर 1918 को विजयादशमी के विजय-मुहूर्त में शारीरिक सीमा का उल्लंघन कर निजधाम प्रस्थान कर गए।

इस प्रकार विजयादशमी उनकी महासमाधि के रूप में बनाया गया।

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